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25 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर, पुलिस पर हमला और सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप - लखनऊ का समाचार

गिरफ्तारी के दौरान अपने को पूर्व वरिष्ठ आईपीएस बताकर धमकी देने और सरकारी काम में बाधा डालना अमिताभ ठाकुर को महंगा पड़ गया. लखनऊ के सीजेएम रवि कुमार गुप्ता ने के एक अपराधिक मामले में मंगलवार को मुल्जिम अमिताभ ठाकुर को 25 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है.

25 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर
25 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर
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Published : Oct 12, 2021, 10:00 PM IST

लखनऊः अमिताभ ठाकुर को 25 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तारी के दौरान अपने को पूर्व वरिष्ठ आईपीएस बताकर धमकी देने और सरकारी काम में बाधा डालने के एक अपराधिक मामले में सीजेएम रवि कुमार गुप्ता ने ये फैसला सुनाया है. उन्होंने ये आदेश इस मामले के विवेचक और एसआई अरुण कुमार मिश्रा की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया. कोर्ट ने अमिताभ ठाकुर की अर्जी को खारिज कर दिया है.

विवेचक की इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान अमिताभ ठाकुर जेल से अदालत में उपस्थित हुए. उन्होंने स्वंय बहस करते हुए विवेचक की अर्जी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि न्यायिक रिमांड मांगने का एक मात्र उद्देश्य उनका शोषण और उत्पीड़न करना है. जबकि इस मामले में न तो कोई साक्ष्य है और न ही कोई तथ्य ही मौजूद है. यह एफआईआर झूठा है. उन्होंने कई निर्णयों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि सिर्फ रुटीन ढंग से नहीं, बल्कि न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग करते हुए ही रिमांड दिया जा सकता है. अगर विवेचक को ऐसा लगता है, कि इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य है, तो उन्हें आरोप पत्र प्रेषित करना चाहिए था. लेकिन इसके विपरीत पूर्णतया अस्पष्ट और मनमाना कारण रिमांड देने का आधार नहीं हो सकता. सिर्फ उनकी स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए विधि के खिलाफ यह अर्जी दी गई है.

जबकि इससे पूर्व विवेचक का कहना था कि बीते 27 अगस्त को इस मामले की नामजद एफआईआर एसआई धनंजय सिंह ने थाना गोमतीनगर में आईपीसी की धारा 186, 189, 224, 323, 353 व 427 में दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक उस रोज एक आपराधिक मामले में अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तारी देने को कहा गया. लेकिन वह अपने को पूर्व आईपीएस बताकर धमकी देने लगे और गिरफ्तारी देने से इंकार किया. लेकिन जब पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का प्रयास किया गया, तो वह और उनकी पत्नी पुलिस कर्मचारियों पर हमलावर हो गए. कुछ पुलिस कर्मचारियों को आंशिक चोट भी आई. इनके द्वारा सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने से असहज स्थिति पैदा हो गई. विवेचक का कहना था कि इस मुकदमे की विवेचना के लिए मुल्जिम को न्यायिक रिमांड में लिया जाना आवश्यक है.

अदालत ने विवेचक की इस अर्जी पर सुनवाई के लिए अमिताभ ठाकुर को जेल से तलब किया था. उन्हें पुलिस की भारी सुरक्षा में जेल से अदालत में पेश किया गया था. इस दौरान उनकी पत्नी डॉक्टर नूतन ठाकुर और कई वकील भी अदालत में मौजूद थे.

इसे भी पढ़ें- मनीष गुप्ता हत्याकांडः दो और आरोपी पुलिसकर्मी गिरफ्तार, आत्मसर्पण करने जा रहे थे कोर्ट

उधर, घोषी से बसपा सांसद अतुल राय पर दुराचार का आरोप लगाने वाली युवती और गवाह की मौत के मामले में निरुद्ध आरोपी अमिताभ ठाकुर की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद सत्र अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. बीते 27 अगस्त को अमिताभ ठाकुर को इस मामले में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था.

लखनऊः अमिताभ ठाकुर को 25 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तारी के दौरान अपने को पूर्व वरिष्ठ आईपीएस बताकर धमकी देने और सरकारी काम में बाधा डालने के एक अपराधिक मामले में सीजेएम रवि कुमार गुप्ता ने ये फैसला सुनाया है. उन्होंने ये आदेश इस मामले के विवेचक और एसआई अरुण कुमार मिश्रा की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया. कोर्ट ने अमिताभ ठाकुर की अर्जी को खारिज कर दिया है.

विवेचक की इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान अमिताभ ठाकुर जेल से अदालत में उपस्थित हुए. उन्होंने स्वंय बहस करते हुए विवेचक की अर्जी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि न्यायिक रिमांड मांगने का एक मात्र उद्देश्य उनका शोषण और उत्पीड़न करना है. जबकि इस मामले में न तो कोई साक्ष्य है और न ही कोई तथ्य ही मौजूद है. यह एफआईआर झूठा है. उन्होंने कई निर्णयों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि सिर्फ रुटीन ढंग से नहीं, बल्कि न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग करते हुए ही रिमांड दिया जा सकता है. अगर विवेचक को ऐसा लगता है, कि इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य है, तो उन्हें आरोप पत्र प्रेषित करना चाहिए था. लेकिन इसके विपरीत पूर्णतया अस्पष्ट और मनमाना कारण रिमांड देने का आधार नहीं हो सकता. सिर्फ उनकी स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए विधि के खिलाफ यह अर्जी दी गई है.

जबकि इससे पूर्व विवेचक का कहना था कि बीते 27 अगस्त को इस मामले की नामजद एफआईआर एसआई धनंजय सिंह ने थाना गोमतीनगर में आईपीसी की धारा 186, 189, 224, 323, 353 व 427 में दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक उस रोज एक आपराधिक मामले में अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तारी देने को कहा गया. लेकिन वह अपने को पूर्व आईपीएस बताकर धमकी देने लगे और गिरफ्तारी देने से इंकार किया. लेकिन जब पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का प्रयास किया गया, तो वह और उनकी पत्नी पुलिस कर्मचारियों पर हमलावर हो गए. कुछ पुलिस कर्मचारियों को आंशिक चोट भी आई. इनके द्वारा सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने से असहज स्थिति पैदा हो गई. विवेचक का कहना था कि इस मुकदमे की विवेचना के लिए मुल्जिम को न्यायिक रिमांड में लिया जाना आवश्यक है.

अदालत ने विवेचक की इस अर्जी पर सुनवाई के लिए अमिताभ ठाकुर को जेल से तलब किया था. उन्हें पुलिस की भारी सुरक्षा में जेल से अदालत में पेश किया गया था. इस दौरान उनकी पत्नी डॉक्टर नूतन ठाकुर और कई वकील भी अदालत में मौजूद थे.

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उधर, घोषी से बसपा सांसद अतुल राय पर दुराचार का आरोप लगाने वाली युवती और गवाह की मौत के मामले में निरुद्ध आरोपी अमिताभ ठाकुर की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद सत्र अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. बीते 27 अगस्त को अमिताभ ठाकुर को इस मामले में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था.

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