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पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने अनिवार्य सेवानिवृति को CAT में दी चुनौती - केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अपने अनिवार्य सेवानिवृति के आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) की लखनऊ बेंच में चुनौती दी हैं. उन्हें गृह मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 23 मार्च 2021 को अनिवार्य सेवानिवृति दिया गया था.

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर.
पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर.
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Published : May 11, 2021, 9:31 PM IST

लखनऊः पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा कि भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश शासन के आदेश पूरी तरह गलत हैं. मात्र उनके प्रति व्यक्तिगत तथा व्यवस्थाजन्य विद्वेष तथा पूर्वाग्रह के कारण आदेश पारित किए गए हैं, जिससे उनका पूरा परिवार दुष्प्रभावित हुआ है.

केंद्र और यूपी सरकार ने अभिलेख देने से किया मना

अमिताभ ने कहा कि यूपी शासन ने बिना कारण और आधार के मनमाने ढंग से उनका नाम चुन कर उन्हें सेवा से निकाले जाने की संस्तुति की, जिसे भारत सरकार ने अनुमोदित कर दिया. अतः जब उन्होंने इस आदेश से संबंधित अभिलेख मांगे तो दोनों सरकार द्वारा उन्हें अभिलेख देने से मना कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें- बक्सर और गाजीपुर के बाद अब बलिया में भी मिली गंगा में उतराती लाशें

गलत आदेश को छिपाना चाहती हैं सरकारें

अमिताभ ने कहा कि इस प्रकार से अभिलेख देने से मना करने से यह साफ हो जाता है कि दोनों सरकार के आदेश गलत हैं और इन्हें छिपाना चाहती हैं. अतः उन्होंने इस आदेश को खारिज करते हुए उन्हें सेवा में वापस लिए जाने तथा उन्हें इस अवधि के समस्त सेवा लाभ दिए जाने की प्रार्थना की है.

लखनऊः पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा कि भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश शासन के आदेश पूरी तरह गलत हैं. मात्र उनके प्रति व्यक्तिगत तथा व्यवस्थाजन्य विद्वेष तथा पूर्वाग्रह के कारण आदेश पारित किए गए हैं, जिससे उनका पूरा परिवार दुष्प्रभावित हुआ है.

केंद्र और यूपी सरकार ने अभिलेख देने से किया मना

अमिताभ ने कहा कि यूपी शासन ने बिना कारण और आधार के मनमाने ढंग से उनका नाम चुन कर उन्हें सेवा से निकाले जाने की संस्तुति की, जिसे भारत सरकार ने अनुमोदित कर दिया. अतः जब उन्होंने इस आदेश से संबंधित अभिलेख मांगे तो दोनों सरकार द्वारा उन्हें अभिलेख देने से मना कर दिया गया.

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गलत आदेश को छिपाना चाहती हैं सरकारें

अमिताभ ने कहा कि इस प्रकार से अभिलेख देने से मना करने से यह साफ हो जाता है कि दोनों सरकार के आदेश गलत हैं और इन्हें छिपाना चाहती हैं. अतः उन्होंने इस आदेश को खारिज करते हुए उन्हें सेवा में वापस लिए जाने तथा उन्हें इस अवधि के समस्त सेवा लाभ दिए जाने की प्रार्थना की है.

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