लखनऊ: कानपुर देहात के मंगटा गांव में गत 13 फरवरी को दलित परिवारों के साथ मारपीट और जातीय संघर्ष की घटना को लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी ने रिपार्ट पेश की. पूर्व आईएएस अधिकारी हरिश्चंद्र ने बुधवार को यूपी प्रेस क्लब में कांफ्रेंस कर पूरी घटना पर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट मीडिया के सामने प्रस्तुत की और गांव में दलित परिवारों के साथ हुई बर्बरता को बयां किया.
पेश की गई फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट
राजधानी लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में कांफ्रेंस कर पूर्व आईएएस अधिकारी हरिश्चंद्र ने बताया कि 'संविधान बचाओ, देश बचाओ' संस्था की ओर से 6 सदस्यीय डेलिगेशन ने मंगटा गांव पहुंचकर हालात का जायजा लिया. उन्होंने गांव में रह रहे लोगों से बातचीत की और पीड़ित परिवारों से अस्पताल पहुंचकर मुलाकात की, जिसके बाद एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की.
आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
रिपार्ट के मुताबिक कानपुर देहात के मंगटा गांव में दलितों के साथ ऊंची जाति के दबंगों ने बर्बता की, जिसमें महिलाओं के साथ छोटे बच्चें भी शामिल हैं. पूर्व आईएएस अधिकारी हरिश्चंद्र ने कहा कि दलितों पर हुए हमले को जातीय संघर्ष कहा गया, लेकिन अधिकारियों से दूसरे पक्ष के घायलों को दिखाने को कहा गया था तो दलितों के अलावा कोई घायल नहीं मिला. सरकार से मांग है कि दबंगों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की जाए.
एफआईआर पर भी उठाए सवाल
वहीं प्रशासन पर गम्भीर सवाल खड़े करते हुए हरिश्चंद्र ने कहा कि इस मामले पर ग्रुप एफआईआर दर्ज की गई है, जिसकी कोर्ट में ट्रायल के दौरान कोई महत्ता नहीं होती है. इस डेलिगेशन में पूर्व आईएएस अधिकारी हरिश्चंद्र के साथ पूर्व डीजीपी बंसीलाल, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, पूर्व आईएएफ अधिकारी चंद्रा, सोशल एक्टिविस्ट और संविधान बचाओ देश बचाओ संस्था के कन्वीनर अमीक जमाई मौजूद रहे.
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