जौनपुर/लखनऊ : अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री माता प्रसाद का लखनऊ में मंगलवार की देर रात निधन हो गया. 97 वर्ष की आयु में उन्होंने पीजीआई में अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर सुनते ही गृह जनपद जौनपुर में शोक की लहर दौड़ गई. निधन की जानकारी होते ही जौनपुर स्थित आवास से उनके घर के सदस्य लखनऊ के लिए रवाना हो गए.
कौन हैं माता प्रसाद
जनपद के मछलीशहर तहसील के काजियान मोहल्ले में माता प्रसाद का 11 अक्टूबर 1924 को जन्म हुआ था. बचपन से ही उन्हें साहित्य से प्रेम था. राजनीति में रुचि के कारण उन्हें 1955 में कांग्रेस का जिला सचिव बनाया गया था. माता प्रसाद जौनपुर के शाहगंज (सुरक्षित) से कांग्रेस के टिकट से (1957-1975) तक लगातार 5 बार विधायक चुने गए थे. इसके अलावा 1980 से 1992 तक वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार में वह राजस्व मंत्री भी रहे. 21 अक्टूबर 1993 से लेकर 31 मई 1999 तक इन्होंने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के पद को भी सुशोभित किया. माता प्रसाद ने अपने राजनीतिक करियर के साथ साथ हिंदी काव्य जगत में भी अपना योगदान दिया है.
पूर्व पिंडरा विधायक अजय राय ने दी श्रद्धांजलि
पिंडरा विधानसभा से पूर्व कांग्रेस विधायक अजय राय ने माता प्रसाद को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि माता प्रसाद पूर्वांचल के सबसे सरल नेताओं में से एक थे. उनकी छवि बेदाग रही है. बेहद ही सरल व्यक्तित्व के वे धनी थे.
'माता प्रसाद जी का निधन अपूर्णीय क्षति'
माता प्रसाद के पड़ोसी और तिलकधारी महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल सिंह ने बताया कि माता प्रसाद सादगी की मिसाल थे. उन्होंने तमाम पदों को सुशोभित किया. उनका जाना जनपद के लिए अपूरणीय क्षति है. उनके निधन की खबर सुनते ही जनपद में शोक की लहर है.