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Lucknow News : पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह की पोस्ट बनी चर्चा की विषय, जानिए क्या कहा - आईपीएस अफसर सुलखान सिंह

यूपी के पूर्व डीजीपी और रिटायर्ड आईपीएस अफसर सुलखान सिंह की सोशल मीडिया (Lucknow News) पर एक पोस्ट के बाद हंगामा मच गया.

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Published : Feb 22, 2023, 5:01 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह एक बार फिर अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने गरीब सवर्णों को लेकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने अपने पोस्ट का शीर्षक 'भाजपा की क्षत्रियों से नफ़रत और गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण' दिया है. इससे पहले उन्होंने राम चरित मानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए पोस्ट किया था. सुलखान सिंह डीजीपी के पद से रिटायर होने के बाद योगी सरकार में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बनाए गए आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं.

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए लिखा है कि 'काफी पहले मैंने गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण का विरोध किया था. मैंने स्पष्ट लिखा था कि एक चाल है कुछ लोगों द्वारा बचे-खुचे पचास प्रतिशत पदों को हड़पने का षड्यंत्र है. ग़रीबी का पैमाना ऐसे बनाया जायेगा कि EWS का प्रमाणपत्र कुछ वर्ग के लोग ही ले जायेंगे. अभी अपने एक रिश्तेदार के मामले में इस व्यवस्था को देखा. EWS के लिए आठ लाख सालाना आय रखी गई है, लेकिन यदि किसी के पास पांच एकड़ या अधिक कृषि भूमि है तो वह EWS के दायरे से बाहर हो जायेगा, भले ही उसकी आय कुछ भी हो. कोई भी व्यक्ति यह समझ सकता है कि पांच एकड़ जमीन से आठ लाख तो दूर, चार लाख भी नहीं मिल सकता है. यह शासनादेश भारत सरकार द्वारा जानबूझकर खेतीबाड़ी में लगे सवर्णों को आरक्षण श्रेणी से बाहर रखने के लिए जारी किया गया है. खेतीबाड़ी ही जिनकी आजीविका है और जो पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति के आरक्षण में नहीं आते हैं, वे हैं क्षत्रिय. अनारक्षित सवर्णों में क्षत्रिय ही ऐसे हैं जो अधिकांश खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं. पांच एकड़ की यह सीमा जानबूझकर क्षत्रियों को आरक्षण से बाहर करने के लिए की गई है. भाजपा सरकार क्षत्रिय विरोधी है, क्षत्रियों से नफ़रत करती है और क्षत्रिय हैं कि भाजपा की चाल में फंसकर अपनी ही दुर्दशा पर आगे आगे उछल रहे हैं.'


इससे पहले सुलखान सिंह ने सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए लिखा था कि 'स्वामी प्रसाद मौर्य के मानस पर दिये गए बयान पर अभिजात्य वर्ग की प्रतिक्रिया ठीक नहीं है. मौर्य ने मानस का अपमान नहीं किया है मात्र कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है. उन्हें इसका अधिकार है. यही नहीं मौर्य के खिलाफ दर्ज हो रहे मुकदमों पर भी पूर्व डीजीपी ने आपत्ति जताई थी'.


कौन हैं सुलखान सिंह? : 1980 बैच के आईपीएस रहे सुलखान सिंह उत्तर प्रदेश के बांदा के रहने वाले हैं. इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज बांदा से हुई. इसके बाद इन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की. सुलखान सिंह ने लॉ की भी पढ़ाई की है. डीजीपी बनने से पहले वो पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण के पद पर तैनात थे. योगी सरकार बनते ही उन्हें राज्य का डीजीपी बनाया गया था. रिटायर होने के बाद सुलखान सिंह को योगी सरकार ने पुलिस आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण आयोग का गठन कर अध्यक्ष बनाया था.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह एक बार फिर अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने गरीब सवर्णों को लेकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने अपने पोस्ट का शीर्षक 'भाजपा की क्षत्रियों से नफ़रत और गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण' दिया है. इससे पहले उन्होंने राम चरित मानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए पोस्ट किया था. सुलखान सिंह डीजीपी के पद से रिटायर होने के बाद योगी सरकार में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए बनाए गए आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं.

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए लिखा है कि 'काफी पहले मैंने गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण का विरोध किया था. मैंने स्पष्ट लिखा था कि एक चाल है कुछ लोगों द्वारा बचे-खुचे पचास प्रतिशत पदों को हड़पने का षड्यंत्र है. ग़रीबी का पैमाना ऐसे बनाया जायेगा कि EWS का प्रमाणपत्र कुछ वर्ग के लोग ही ले जायेंगे. अभी अपने एक रिश्तेदार के मामले में इस व्यवस्था को देखा. EWS के लिए आठ लाख सालाना आय रखी गई है, लेकिन यदि किसी के पास पांच एकड़ या अधिक कृषि भूमि है तो वह EWS के दायरे से बाहर हो जायेगा, भले ही उसकी आय कुछ भी हो. कोई भी व्यक्ति यह समझ सकता है कि पांच एकड़ जमीन से आठ लाख तो दूर, चार लाख भी नहीं मिल सकता है. यह शासनादेश भारत सरकार द्वारा जानबूझकर खेतीबाड़ी में लगे सवर्णों को आरक्षण श्रेणी से बाहर रखने के लिए जारी किया गया है. खेतीबाड़ी ही जिनकी आजीविका है और जो पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति के आरक्षण में नहीं आते हैं, वे हैं क्षत्रिय. अनारक्षित सवर्णों में क्षत्रिय ही ऐसे हैं जो अधिकांश खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं. पांच एकड़ की यह सीमा जानबूझकर क्षत्रियों को आरक्षण से बाहर करने के लिए की गई है. भाजपा सरकार क्षत्रिय विरोधी है, क्षत्रियों से नफ़रत करती है और क्षत्रिय हैं कि भाजपा की चाल में फंसकर अपनी ही दुर्दशा पर आगे आगे उछल रहे हैं.'


इससे पहले सुलखान सिंह ने सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए लिखा था कि 'स्वामी प्रसाद मौर्य के मानस पर दिये गए बयान पर अभिजात्य वर्ग की प्रतिक्रिया ठीक नहीं है. मौर्य ने मानस का अपमान नहीं किया है मात्र कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है. उन्हें इसका अधिकार है. यही नहीं मौर्य के खिलाफ दर्ज हो रहे मुकदमों पर भी पूर्व डीजीपी ने आपत्ति जताई थी'.


कौन हैं सुलखान सिंह? : 1980 बैच के आईपीएस रहे सुलखान सिंह उत्तर प्रदेश के बांदा के रहने वाले हैं. इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज बांदा से हुई. इसके बाद इन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की. सुलखान सिंह ने लॉ की भी पढ़ाई की है. डीजीपी बनने से पहले वो पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण के पद पर तैनात थे. योगी सरकार बनते ही उन्हें राज्य का डीजीपी बनाया गया था. रिटायर होने के बाद सुलखान सिंह को योगी सरकार ने पुलिस आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण आयोग का गठन कर अध्यक्ष बनाया था.

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