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Foriegn Coal Purchase Case : विद्युत नियामक आयोग में रिपोर्ट सौंपे जाने की तैयारी, जानिए पूरा मामला

ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य सरकारों को 6 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने (Foriegn Coal Purchase Case) के निर्देश दिए हैं. कहा है कि 30 सितंबर तक देश में बड़ा कोयला संकट आने वाला है. वहीं उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश में बिना विदेशी कोयला खरीद किए राज्य विद्युत उत्पादन निगम की सभी मशीनें चलती रहने की बात कही है.

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Published : Jan 20, 2023, 5:59 PM IST

लखनऊ : भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के सभी राज्यों के उत्पादन निगमों के लिए अपनी आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला हर महीने खरीदने के जो निर्देश जारी हुए हैं उस संदर्भ में उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश के मामले में एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है. जल्द ही विद्युत नियामक आयोग में ये रिपोर्ट सौंपे जाने की तैयारी है. उपभोक्ता परिषद ने पाया है कि उत्तर प्रदेश में बिना विदेशी कोयला खरीद किए भी बहुत ही आसानी से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की सभी मशीनें चलती रहेंगी.


उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन ने बिजली की उत्पादकता के लिए काफी अच्छे इंतजाम किए हैं. बात करें तो 17 जनवरी 2023 को जब प्रदेश के पास लगभग 14 लाख 30 हजार टन कोयले की उपलब्धता उत्पादन इकाइयों में है तो आज ही के दिन जनवरी 2022 में यह उपलब्धता मात्र 10 लाख 90 हजार टन थी. यानी जब वर्ष 2022 में हम बिना विदेशी कोयला खरीदे अपने प्रदेश की सभी उत्पादन इकाइयों को सुचारु रूप से चला लिए तो इस बार तो हमारे प्रदेश में डोमेस्टिक कोयले की उपलब्धता अधिक है, इसलिए विदेशी कोयला खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कि यदि प्रदेश की बिजली कंपनियां जनवरी से सितंबर 2023 के बीच छह प्रतिशत विदेशी कोयला की खरीद करेंगी तो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के ऊपर अतिरिक्त लगभग 7500 करोड़ का भार आएगा, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पडे़गा.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि "प्रदेश में अगर 85 प्रतिशत पीएलएफ पर सभी 5820 मेगावाट की उत्पादन इकाइयों को चलाया जाए तो रोज लगभग 85 हजार टन कोयले की जरूरत होगी, वहीं आज बात करें अनपरा की तो लगभग 28 दिन से ज्यादा का कोयला है. हरदुआगंज में 18 दिन से ज्यादा का कोयला है. ओबरा में पांच दिन का कोयला है. परीछा में छह दिन का कोयला है. उत्तर प्रदेश को रोज 11 रैक कोयला अनुबंध के तहत मिलना है. अब कोहरा भी कम हो रहा है तो उपलब्धता बढे़गी."


उन्होंने बताया कि "आरसीआर मोड से ट्रक से भी ढुलाई प्रदेश में सुचारु रूप से हो रही है और इसी का नतीजा है कि पूरे भारत में नार्मेटिव मानक के आधार पर जो कुल कोयले की उपलब्धता उत्पादन इकाइयों के पास 51 प्रतिशत है, वहीं उसके सापेक्ष उत्तर प्रदेश में कोयले की वर्तमान उपलब्धता मानक के तहत 83 प्रतिशत 17 जनवरी को है. यानी बहुत अच्छी स्थिति है. हरियाणा की बात करें तो वहां लगभग 48 प्रतिशत, पंजाब में 11 प्रतिशत, राजस्थान में नौ प्रतिशत, गुजरात में 43 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 32 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 53 प्रतिशत. कुल मिलाकर यह बात साफ हो गई कि उत्तर प्रदेश में इंतजाम काफी अच्छे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में अगर छह प्रतिशत कोयला प्रत्येक माह न भी खरीदा जाए तो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की सभी मशीनें सुचारू रूप से चलती रहेंगी."

यह भी पढ़ें : UP Board Exam 2023 : जानिए केमिस्ट्री में प्रैक्टिकल व लिखित परीक्षा में कैसे पा सकते हैं बेहतर नंबर

लखनऊ : भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के सभी राज्यों के उत्पादन निगमों के लिए अपनी आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला हर महीने खरीदने के जो निर्देश जारी हुए हैं उस संदर्भ में उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश के मामले में एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है. जल्द ही विद्युत नियामक आयोग में ये रिपोर्ट सौंपे जाने की तैयारी है. उपभोक्ता परिषद ने पाया है कि उत्तर प्रदेश में बिना विदेशी कोयला खरीद किए भी बहुत ही आसानी से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की सभी मशीनें चलती रहेंगी.


उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन ने बिजली की उत्पादकता के लिए काफी अच्छे इंतजाम किए हैं. बात करें तो 17 जनवरी 2023 को जब प्रदेश के पास लगभग 14 लाख 30 हजार टन कोयले की उपलब्धता उत्पादन इकाइयों में है तो आज ही के दिन जनवरी 2022 में यह उपलब्धता मात्र 10 लाख 90 हजार टन थी. यानी जब वर्ष 2022 में हम बिना विदेशी कोयला खरीदे अपने प्रदेश की सभी उत्पादन इकाइयों को सुचारु रूप से चला लिए तो इस बार तो हमारे प्रदेश में डोमेस्टिक कोयले की उपलब्धता अधिक है, इसलिए विदेशी कोयला खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कि यदि प्रदेश की बिजली कंपनियां जनवरी से सितंबर 2023 के बीच छह प्रतिशत विदेशी कोयला की खरीद करेंगी तो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के ऊपर अतिरिक्त लगभग 7500 करोड़ का भार आएगा, जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पडे़गा.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि "प्रदेश में अगर 85 प्रतिशत पीएलएफ पर सभी 5820 मेगावाट की उत्पादन इकाइयों को चलाया जाए तो रोज लगभग 85 हजार टन कोयले की जरूरत होगी, वहीं आज बात करें अनपरा की तो लगभग 28 दिन से ज्यादा का कोयला है. हरदुआगंज में 18 दिन से ज्यादा का कोयला है. ओबरा में पांच दिन का कोयला है. परीछा में छह दिन का कोयला है. उत्तर प्रदेश को रोज 11 रैक कोयला अनुबंध के तहत मिलना है. अब कोहरा भी कम हो रहा है तो उपलब्धता बढे़गी."


उन्होंने बताया कि "आरसीआर मोड से ट्रक से भी ढुलाई प्रदेश में सुचारु रूप से हो रही है और इसी का नतीजा है कि पूरे भारत में नार्मेटिव मानक के आधार पर जो कुल कोयले की उपलब्धता उत्पादन इकाइयों के पास 51 प्रतिशत है, वहीं उसके सापेक्ष उत्तर प्रदेश में कोयले की वर्तमान उपलब्धता मानक के तहत 83 प्रतिशत 17 जनवरी को है. यानी बहुत अच्छी स्थिति है. हरियाणा की बात करें तो वहां लगभग 48 प्रतिशत, पंजाब में 11 प्रतिशत, राजस्थान में नौ प्रतिशत, गुजरात में 43 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 32 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 53 प्रतिशत. कुल मिलाकर यह बात साफ हो गई कि उत्तर प्रदेश में इंतजाम काफी अच्छे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में अगर छह प्रतिशत कोयला प्रत्येक माह न भी खरीदा जाए तो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की सभी मशीनें सुचारू रूप से चलती रहेंगी."

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