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लॉकडाउन: भूख से तड़प रहे रेलवे मजदूर, प्रशासन है बेखबर

यूपी के मुजफ्फरनगर में लॉकडाउन के दौरान रेलवे के दोहरीकरण के काम में लगे कुछ मजदूरों के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया है. यहां झांसी और मध्य प्रदेश के लगभग 22 मजदूर फंसे हुए हैं. जिस ठेकेदार के पास यह लोग काम कर रहे थे उसने आज तक इनकी सुध ली है और न ही मजदूरी का भुगतान किया है.

रेलवे मजदूरों के सामने खाने का संकट
रेलवे मजदूरों के सामने खाने का संकट
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Published : Apr 9, 2020, 9:40 AM IST

मुजफ्फरनगर: जनपद में मुजफ्फरनगर-सहारनपुर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का कार्य चल रहा था. लॉकडाउन घोषित होने के बाद रेलवे के दोहरीकरण में लगे हुए कुछ मजदूर फंस गए हैं. इन मजदूरों के सामने लॉकडाउन एक बड़ी समस्या बन गया है. इस लॉकडाउन में इन लोगों के पास न तो राशन ही बचा है और न ही पैसे. ये मजदूर मुजफ्फरनगर-सहारनपुर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण के कार्य में लगे थे. लॉकडाउन होने के बाद ये अपने घर भी नहीं जा सके और यहीं पर फंस गए हैं.

रेलवे मजदूरों के सामने खाने का संकट

रेलवे मजदूरों के सामने खाने का संकट

दरअसल, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण के काम में कई मजदूर लगे हुए हैं जो अलग-अलग राज्यों से आए हुए हैं. यह सभी मुजफ्फरनगर स्टेशन से लगभग 12 किलोमीटर दूर संकटा स्टेशन के पास जंगल में झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं. इनके साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं.

जब लॉकडाउन की घोषणा की गई उस वक्त यहां लगभग 22 की संख्या में मजदूर थे जो अब यहीं फंस गए हैं. जिस ठेकेदार के यहां काम करते हैं न हीं आज तक उसने इनकी सुध ली है और ना ही मजदूरी का भुगतान किया ऐसे में यह मजदूर करें तो क्या करें. लॉकडाउन में इन मजदूरों के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया है.

ये सारे मजदूर पिछले 6 महीने से यहां काम कर रहे हैं. लॉकडाउन में फंसे इन मजदूरों का कहना है कि पिछले कई दिनों से इन्हें राशन नहीं मिला है. ठेकेदार ने भी न इनकी सुध ली और न ही पैसे दिए. 7 दिन पहले कुछ ग्रामीणों ने इन्हें राशन के नाम पर कुछ सामग्री दी थी, लेकिन अब इनकी सुध लेने वाला कई नहीं है. इनमें से कईयों का कहना है कि उन्हें घर जाना है. इन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई है कि प्रशासन इनकी सुध ले और इन्हें राहत सामग्री उपलब्ध कराए.

मुजफ्फरनगर: जनपद में मुजफ्फरनगर-सहारनपुर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का कार्य चल रहा था. लॉकडाउन घोषित होने के बाद रेलवे के दोहरीकरण में लगे हुए कुछ मजदूर फंस गए हैं. इन मजदूरों के सामने लॉकडाउन एक बड़ी समस्या बन गया है. इस लॉकडाउन में इन लोगों के पास न तो राशन ही बचा है और न ही पैसे. ये मजदूर मुजफ्फरनगर-सहारनपुर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण के कार्य में लगे थे. लॉकडाउन होने के बाद ये अपने घर भी नहीं जा सके और यहीं पर फंस गए हैं.

रेलवे मजदूरों के सामने खाने का संकट

रेलवे मजदूरों के सामने खाने का संकट

दरअसल, मुजफ्फरनगर-सहारनपुर रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण के काम में कई मजदूर लगे हुए हैं जो अलग-अलग राज्यों से आए हुए हैं. यह सभी मुजफ्फरनगर स्टेशन से लगभग 12 किलोमीटर दूर संकटा स्टेशन के पास जंगल में झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं. इनके साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं.

जब लॉकडाउन की घोषणा की गई उस वक्त यहां लगभग 22 की संख्या में मजदूर थे जो अब यहीं फंस गए हैं. जिस ठेकेदार के यहां काम करते हैं न हीं आज तक उसने इनकी सुध ली है और ना ही मजदूरी का भुगतान किया ऐसे में यह मजदूर करें तो क्या करें. लॉकडाउन में इन मजदूरों के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया है.

ये सारे मजदूर पिछले 6 महीने से यहां काम कर रहे हैं. लॉकडाउन में फंसे इन मजदूरों का कहना है कि पिछले कई दिनों से इन्हें राशन नहीं मिला है. ठेकेदार ने भी न इनकी सुध ली और न ही पैसे दिए. 7 दिन पहले कुछ ग्रामीणों ने इन्हें राशन के नाम पर कुछ सामग्री दी थी, लेकिन अब इनकी सुध लेने वाला कई नहीं है. इनमें से कईयों का कहना है कि उन्हें घर जाना है. इन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई है कि प्रशासन इनकी सुध ले और इन्हें राहत सामग्री उपलब्ध कराए.

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