लखनऊ: लॉकडाउन से गरीब और बेसहारों के सामने अपना पेट पाल पाना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. वहीं राजधानी के छावनी परिषद क्षेत्र में गरीबों और बेसहारों के लिए छावनी परिषद ने 'भोजन बैंक' स्थापित किया है. इस भोजन बैंक से हर रोज हजारों भूखे और गरीब लोगों की भूख मिटाई जा रही है.
उत्तर प्रदेश में जिस दिन लॉकडाउन घोषित किया गया, उसी के दूसरे दिन से कैंट बोर्ड के सीईओ अमित मिश्रा की पहल पर छावनी परिषद की उपाध्यक्ष रूपा सिंह, पूर्व उपाध्यक्ष रतन सिंघानिया, रीना सिंघानिया समेत उनकी पूरी टीम ने भोजन बैंक की स्थापना गरीबों का पेट भरने के लिए कर डाली. आज ये भोजन बैंक लॉकडाउन में गरीबों को भूखे नहीं सोने दे रहा है.
यहां सुबह और शाम दोनों समय अलग-अलग तरह का भोजन पकता है. सुबह जब भोजन तैयार होता है तो यहां पर पैकिंग शुरू हो जाती है. शाम को भी यही प्रक्रिया जारी रहती है. 2100 पैकेट सुबह और 2100 पैकेट शाम को गरीबों के बीच वितरित किए जाते हैं.
इस भोजन बैंक की खास बात ये भी है कि यहां पर जरूरतमंदों को इकट्ठा करके भोजन नहीं दिया जाता है, बल्कि वॉलिंटियर बाकायदा घर-घर जाकर खुद भोजन वितरित करते हैं. जिससे कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके.
कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष रतन सिंघानिया का कहना है कि जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक यह भोजन बैंक चलाता रहेगा.
जिस दिन से लॉकडाउन हुआ उस दिन से ही मैंने सोचा कि लोगों को काफी परेशानी होने वाली है. सबको राशन, पानी और सब्जी की आवश्यकता पड़ेगी और सभी परेशान भी होंगे. हमने मुख्य अधिशासी अधिकारी अमित मिश्रा से मिलकर प्लान किया और हमारी उपाध्यक्ष रूपा देवी ने हमारा सहयोग किया. कैंट बोर्ड मेंबर अमित शुक्ला, संजय दयाल, रीना सिंघानिया, पूर्व सदस्य अशफाक कुरैशी के साथ हम सब लोगों ने मिलकर इस भोजन बैंक को शुरू किया. इससे लगभग 2100 लोगों को सुबह और 2100 लोगों को शाम को हम खाने के पैकेट उपलब्ध कराते हैं. लॉक डाउन के दूसरे दिन से हम यह भोजन बैंक चला रहे हैं. जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक हम यह चलाते रहेंगे.
-रतन सिंघानिया, पूर्व उपाध्यक्ष, कैंट बोर्ड