लखनऊः लखनऊ विवी शताब्दी वर्ष समारोह का आगाज गुरुवार से शुरू हुआ है. इसको लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें पद्मश्री मालिनी अवस्थी के भजन, लोकगीत, भोजपुरी गीत, छठ गीत और सोहर की प्रस्तुति से स्टूडेंट्स को झूमने पर मजबूर कर दिया. साहित्यकार डॉ. यतींद्र मिश्र ने अवध के साथ सांस्कृतिक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए विकास यात्रा का परिचय दिया. वहीं भोजपुरी गायिका मालिनी अवस्थी ने लोकगीतों की बानगी प्रस्तुत करके इस यात्रा को संगीतमय बना दिया. गायिका मालिनी अवस्थी ने जहां एक ओर अवधी लोकगीत सोहर, ब्याह, धमाल, नकटा आदि की प्रस्तुति दी. वहीं मौसिकी, दादरा, कजरी, गजल सुनाकर जमकर तालियां बटोरी. गुरुवार 19 नवंबर से लखनऊ विवि शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत सीएम योगी ने की. वहीं 25 नवंबर को पीएम मोदी चांदी और अन्य धातुओं के मिश्रण वाला स्मारक सिक्का जारी करेंगे.
अवध की धरती श्रीराम की
छात्र-छात्राओं से विश्वविद्यालय की पुरानी यादें सांझा करते हुए मालिनी अवस्थी ने कहा कि लखनऊ की संस्कृति अत्यंत समृद्ध विरासत है. यदि इस धरोहर को संभाल सके तो बहुत अच्छा होगा. उन्होंने कहा कि रौशन चौकी का मतलब होता है. जहां किसी का वध न हुआ हो और सब शुभ-मंगल हो. वैसे भी अवध की धरती तो श्रीराम की धरती है. उन्होंने कहा कि लगभग 36 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था और आज गर्व की बात है कि यहां पर कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही हूं.
पारंपरिक गीतों से बांधा समां
भोजपुरी गायिका मालिनी अवस्थी ने "केसरिया बालमा मोरी बनरारे बनी" "सैया मिले लरकईयां मैं क्या करूं राम" गया. उन्होंने बेगम अख्तर के कुछ कालजयी नगमें प्रस्तुत किए, जिसमें "हमरी अटरिया पर" "ए मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया" सुनाया. इसके बाद नौशाद साहब द्वारा रचा गया "मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे" "तेरी महफिल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे" इसके अलावा "नजर लागी राजा तोरे बंगले में" "उनको ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते" की प्रस्तुति दी. जबकि कार्यक्रम का समापन होरी खेलें रघुवीरा अवध में" गाकर की.
पदक न मिलने पर जताया अफसोस
विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा पद्मश्री मालिनी अवस्थी और साहित्यकार डॉ. यतींद्र मिश्रा ने पदक न मिलने पर अफसोस जताया. उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय से करीब 32 साल पहले बीए ऑनर्स की न सिर्फ पढ़ाई की थी, बल्कि अपने बैच की वे टॉपर भी रहीं, लेकिन इसके बावजूद अब तक पदक नहीं दिया जा सका है. बता दें कि इस मामले पर ईटीवी भारत ने पिछले दिनों समारोह समन्वयक प्रो. निशी पांडे से बात की थी. जिस पर उन्होंने कहा था कि पदक के लिए कुछ प्रक्रिया होती है. उन्हें प्रमाण पत्र का सत्यापन कराने के लिए आवेदन करना होगा. अगर मालिनी अवस्थी को पदक मिलता है तो विवि के लिए भी गर्व का विषय होगा.
शताब्दी समारोह के रंग में डूबा कैंपस
मालिनी अवस्थी को सुनने के लिए काफी संख्या में श्रोता मौजूद रहे. गीत-संगीत का सिलसिला देर रात तक चलता रहा. मालिनी अवस्थी के गीतों पर स्टूडेंट्स ने सीटी बजाकर जमकर डांस किया. इस दौरान पूरा कैंपस शताब्दी समारोह के रंग में डूबा नजर आ रहा था.
स्मृति चिन्ह देकर किया गया सम्मानित
कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यमंत्री नीलिमा कटियार, पद्मश्री मालिनी अवस्थी और कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम में कुलपति ने भोजपुरी गायिका मालिनी अवस्थी और साहित्यकार डॉ. यतींद्र मिश्रा को शाल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.