लखनऊ : पवित्र गंगा नदी में शवों के प्रवाह ने जितना सरकारी तंत्र पर सवाल खड़े किए हैं, उससे कहीं अधिक सनातनियों पर. ये वही सनातनी हैं जिन्होंने गंगा को जीवनदायिनी ही नहीं बल्कि मां का भी दर्जा दिया है. नदी के प्रति उनकी अटूट आस्था हिल गई. वैसे उनकी आस्था यूं ही नहीं हारी है, उनके सामने कोरोना जैसा दानव मुंह बाएं खड़ा है. उनके अपनों को निगल रहा है. इसी भय से नदी के प्रति उनकी आस्था तार-तार हो गई. विशेषज्ञों का कहना है कि शवों के प्रवाह से नदी के प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
भूगर्भशास्त्री प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह इसे अपने आप में एक आपदा मान रहे हैं. वह कहते हैं कि पिछले काफी समय से नदियों को शुद्ध करने की बात की जा रही है. इस सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं. मैं तो यह कहता हूं कि किसी भी नदी को स्वच्छ करने की जरूरत नहीं है. केवल नदियों में हमें गंदगी डालना बंद कर देना है. कोरोना काल में गंगा नदी में शव प्रवाहित करना यह अपने आप में एक अलग तरह की आपदा है. यह वह नदी है जो हमारे देश की जीवन रेखा है. गंगा हमारे लिए नदी ही नहीं, बल्कि हमारी जीवन पद्धति है. हमारी आस्था का भी विषय है. हम गंगा को मां का दर्जा देते हैं.
फ़ूड चेन बिगड़ना नुकसानदायक
प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने कहा कि निश्चित तौर पर ये शव कोरोना संक्रमित मरीजों के हैं. किसी भी नदी में अगर शव डाले जाएंगे तो उससे नुकसान ही है. कोरोना संक्रमितों के शव डालने से खतरा बढ़ जाता है. नदी की मछलियां शव को खाएंगी. इंसान मछलियां खाएंगे. उन्हें भी कोविड का खतरा बढ़ जाएगा. इससे फूड चेन बिगड़ेगा और इसका असर लोगों के जीवन पर भी पड़ेगा. नदी का भौतिक, रासायनिक और बायोलॉजिकल गुण में बदलाव आएगा. यह प्रकृति के लिए ठीक नहीं है.
मोदी सरकार ने 2014 में शुरू किया नमामि गंगे परियोजना
केंद्र सरकार ने 2014 में गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत की. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने पांच वर्षों के लिए करीब 20 हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया. सरकार ने 2018 तक नदी को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य रखा था. नदी प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकी, इसलिए सरकार ने लक्ष्य पूर्ति का समय बढ़ाया. हालांकि सरकार अभी भी इस दिशा में प्रयास कर रही है.
योगी सरकार ने गंगा किनारे गांवों के विकास की योजना की थी शुरू
केंद्र की नमामि गंगे परियोजना के समानांतर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चलाया. योगी सरकार ने वर्ष 2019 में ही गंगा यात्रा निकाली. यात्रा का उद्देश्य लोगों में जागरूकता लाना था. इसके साथ ही भागीरथी सर्किट बनाकर गंगा किनारे के गांवों को विकसित करने की योजना है. चिन्हित गांवों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योगी सरकार ने योजना बनाई है. हालांकि अभी तक सरकार की यह योजना पूरी तरह से क्रियान्वित नहीं हो सकी है.
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यूपी में करीब 1200 किलोमीटर में बहती है गंगा
सरकार की यह योजना सफल हुई तो गंगा किनारे बसे 27 जिलों, 21 नगर निकायों और 1038 ग्राम पंचायतों का भी विकास होगा. देश मे करीब दो हजार किलोमीटर की दूरी तय करने वाली गंगा नदी उत्तर प्रदेश में करीब 1200 किलोमीटर पर विद्यमान है. गंगा के किनारे बसे गांवों के विकास के तहत गंगा मैदान बनेंगे. वहीं नगरपालिका, नगर निगम क्षेत्रों में गंगा पार्क का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है.