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किसानों को फूलों की खेती के गुर सिखा रहे NBRI के वैज्ञानिक, होती है मिनिमम एक लाख रुपये की आय

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 14, 2023, 11:28 AM IST

यूपी सरकार के फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI) के वैज्ञानिक किसानों को फूलों की खेती के गुर सिखा रहे हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि ऑर्गेनिक तरीके से डेढ़ एकड़ में खेती करके एक साल में मिनिमम एक लाख रुपये की कमाई की जा सकती है.

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लखनऊ : खेती तो हर किसान करते हैं, लेकिन उस खेती से कैसे अच्छा मुनाफा कमाया जाए, कौन से फूलों की खेती की जाए इसके बारे में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में बताया जा रहा हैं. अगर किसी किसान के पास एक एकड़ जमीन है तो वह फूलों की खेती करके मिनिमम एक लाख रुपये तक कमा सकता है. इससे अधिक की आय फूलों की खेती से हो सकती है.

फ्लोरीकल्चर मिशन.
फ्लोरीकल्चर मिशन.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है ड्रीम

  • राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ड्रीम है कि किसानों की आयु बढ़ाया जाए उनके हिस्से का हक तुम्हें मिले और किसी में मुनाफा कम पाए. इसी के लिए फ्लोरीकल्चर मिशन अपना योगदान दे रहा है.
  • इस मिशन के तहत हजारों की संख्या में किसान फूलों की खेती के गुर सीख रहे हैं. बहुत से किसान ऐसे हैं जो फूलों की खेती नहीं करते हैं और न कभी उन्होंने किया है. लेकिन, जब उन्हें बताया जाता है कि फूलों की खेती के कितने फायदे होते हैं. उनकी इनकम कितनी हो सकती है.
  • इसके बाद किसान एनबीआरआई से ही विभिन्न प्रकार के फूलों को लेकर जाते हैं. खेतों में लगाते हैं और फिर उन्हें फायदा होता है. किसाने के लिए एनबीआरआई में कोल्ड हाउस बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि किसान पौधे लगाने से पहले सोचने की आवश्यकता न पड़े कि वह पौधा खराब हो सकता है.
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी.
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी.

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा फ्लोरीकल्चर मिशन संचालित हो रहा है. राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत हजारों किसानों को फूलों की ऑर्गेनिक खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं. फ्लोरीकल्चर मिशन फेस 'वन' पूरा हो चुका है इस समय फ्लोरीकल्चर मिशन फेस 'टू' चल रहा है. इस योजना के तहत हजारों किसान फूलों की ऑर्गेनिक खेती के गुण सीख रहे हैं. किस फूल को किस मिट्टी में और किस मौसम में उगाया जा सकता है इसके बारे में भी विस्तृत जानकारी उन्हें दी जाती है समय-समय पर सेमिनार आयोजित होता है जहां पर किसानों को उन्हीं की भाषा में सरल शब्दों में एनबीआरआई के वैज्ञानिक सीखाते हैं. हर साल 10 नवंबर को विश्व विज्ञान दिवस मनाया जाता है इस दिवस को मनाने का उद्देश्य इतना है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण सामाजिक लोगों को भी लाभान्वित कर सके.

एक एकड़ में मिनिमम एक लाख कर सकते हैं अर्न

  • राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने बताया कि फूलों की खेती के लिए किसानों को पौधे चाहिए. जमीन चाहिए और अगर पौधे में कोई रोग लग जाए या कोई कीड़े लग गए तो उसके लिए इसका प्रावधान करना चाहिए.
  • इनके लिए सिंचाई की भी जरूरत पड़ेगी. किसानों को यहां पर बुलाकर हम उन्हें यही सीख देते हैं कि एक एकड़ में एक लाख रुपये मिनिमम मिलेगा. इससे ज्यादा भी मिल सकता है. इससे काम नहीं मिल सकता है.
  • किसान फूलों की खेती से अगर चाहे तो बहुत अच्छे से लाभान्वित हो सकते हैं. ऑर्गेनिक खेती के लिए बायोफर्टिलाइजर किसानों को दिया जाता है. ताकि वह ऑर्गेनिक खेती कर सकें. प्रदेश सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के साथ एमओयू साइन किया गया है और सारे किसानों को बायोफर्टिलाइजर दिया जाता है.


हजारों किसान हो रहे लाभान्वित : डॉ. एके शासनी ने बताया कि इस योजना के तहत हजारों किसान लाभान्वित होते हैं. फ्लोरीकल्चर मिशन के लिए एनबीआरआई को नोडल बनाया गया है. एनबीआरआई से जुड़ने के बाद वैज्ञानिक किसानों तक जाएंगे और किसानों के खेत की मिट्टी का परीक्षण करेंगे. कौन सा पौधा वहां पर हो सकता है. उसके लिए संस्थान किसानों को विस्तृत में जानकारी देंगे. इसके लिए एग्राटेक्नोलॉजी भी किसान को देंगे. इसके अलावा किसान को बाजार में लिंक करवाएंगे. यह सभी व्यवस्थाएं एनबीआरआई किसानों तक पहुंच रही है. जो भी किसान इस मिशन से जुड़ेंगे. वह जरूर लाभान्वित होंगे. उन्होंने बताया कि इससे किसान की बाजार में अच्छी पहचान होगी. किसने की इनकम भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि संस्थान नहीं चाहते हैं कि किसान जो हमेशा से पारंपरिक खेती कर रहे हैं इसको बंद करके यह काम करें. किसानों के पास कोई अन्य खेत हो या कोई खाली जमीन हो जमीन में कुछ नहीं हो रहे हैं उसे जमीन में किसान फूलों की खेती कर सकते हैं. फूलों की खेती से लाभान्वित होंगे. इसमें मेरीगोल्ड, रजनीगंधा, रोज और ज़रवरा फूल किसानों को दिया गया है. जिसकी खेती वह करते हैं. जब किसान फूलों को बेचेंगे तो वह अधिक लाभान्वित होंगे.

यह भी पढ़ें : NBRI Lucknow : एक सप्ताह एक प्रयोगशाला के माध्यम से वैज्ञानिकों के कामों से लोगों को किया जाएगा जागरूक

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में बोगनविलिया फेस्टिवल आयोजित, लोगों ने कम दामों में खरीदे प्लांट

लखनऊ : खेती तो हर किसान करते हैं, लेकिन उस खेती से कैसे अच्छा मुनाफा कमाया जाए, कौन से फूलों की खेती की जाए इसके बारे में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में बताया जा रहा हैं. अगर किसी किसान के पास एक एकड़ जमीन है तो वह फूलों की खेती करके मिनिमम एक लाख रुपये तक कमा सकता है. इससे अधिक की आय फूलों की खेती से हो सकती है.

फ्लोरीकल्चर मिशन.
फ्लोरीकल्चर मिशन.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है ड्रीम

  • राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ड्रीम है कि किसानों की आयु बढ़ाया जाए उनके हिस्से का हक तुम्हें मिले और किसी में मुनाफा कम पाए. इसी के लिए फ्लोरीकल्चर मिशन अपना योगदान दे रहा है.
  • इस मिशन के तहत हजारों की संख्या में किसान फूलों की खेती के गुर सीख रहे हैं. बहुत से किसान ऐसे हैं जो फूलों की खेती नहीं करते हैं और न कभी उन्होंने किया है. लेकिन, जब उन्हें बताया जाता है कि फूलों की खेती के कितने फायदे होते हैं. उनकी इनकम कितनी हो सकती है.
  • इसके बाद किसान एनबीआरआई से ही विभिन्न प्रकार के फूलों को लेकर जाते हैं. खेतों में लगाते हैं और फिर उन्हें फायदा होता है. किसाने के लिए एनबीआरआई में कोल्ड हाउस बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि किसान पौधे लगाने से पहले सोचने की आवश्यकता न पड़े कि वह पौधा खराब हो सकता है.
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी.
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी.

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा फ्लोरीकल्चर मिशन संचालित हो रहा है. राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत हजारों किसानों को फूलों की ऑर्गेनिक खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं. फ्लोरीकल्चर मिशन फेस 'वन' पूरा हो चुका है इस समय फ्लोरीकल्चर मिशन फेस 'टू' चल रहा है. इस योजना के तहत हजारों किसान फूलों की ऑर्गेनिक खेती के गुण सीख रहे हैं. किस फूल को किस मिट्टी में और किस मौसम में उगाया जा सकता है इसके बारे में भी विस्तृत जानकारी उन्हें दी जाती है समय-समय पर सेमिनार आयोजित होता है जहां पर किसानों को उन्हीं की भाषा में सरल शब्दों में एनबीआरआई के वैज्ञानिक सीखाते हैं. हर साल 10 नवंबर को विश्व विज्ञान दिवस मनाया जाता है इस दिवस को मनाने का उद्देश्य इतना है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण सामाजिक लोगों को भी लाभान्वित कर सके.

एक एकड़ में मिनिमम एक लाख कर सकते हैं अर्न

  • राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने बताया कि फूलों की खेती के लिए किसानों को पौधे चाहिए. जमीन चाहिए और अगर पौधे में कोई रोग लग जाए या कोई कीड़े लग गए तो उसके लिए इसका प्रावधान करना चाहिए.
  • इनके लिए सिंचाई की भी जरूरत पड़ेगी. किसानों को यहां पर बुलाकर हम उन्हें यही सीख देते हैं कि एक एकड़ में एक लाख रुपये मिनिमम मिलेगा. इससे ज्यादा भी मिल सकता है. इससे काम नहीं मिल सकता है.
  • किसान फूलों की खेती से अगर चाहे तो बहुत अच्छे से लाभान्वित हो सकते हैं. ऑर्गेनिक खेती के लिए बायोफर्टिलाइजर किसानों को दिया जाता है. ताकि वह ऑर्गेनिक खेती कर सकें. प्रदेश सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के साथ एमओयू साइन किया गया है और सारे किसानों को बायोफर्टिलाइजर दिया जाता है.


हजारों किसान हो रहे लाभान्वित : डॉ. एके शासनी ने बताया कि इस योजना के तहत हजारों किसान लाभान्वित होते हैं. फ्लोरीकल्चर मिशन के लिए एनबीआरआई को नोडल बनाया गया है. एनबीआरआई से जुड़ने के बाद वैज्ञानिक किसानों तक जाएंगे और किसानों के खेत की मिट्टी का परीक्षण करेंगे. कौन सा पौधा वहां पर हो सकता है. उसके लिए संस्थान किसानों को विस्तृत में जानकारी देंगे. इसके लिए एग्राटेक्नोलॉजी भी किसान को देंगे. इसके अलावा किसान को बाजार में लिंक करवाएंगे. यह सभी व्यवस्थाएं एनबीआरआई किसानों तक पहुंच रही है. जो भी किसान इस मिशन से जुड़ेंगे. वह जरूर लाभान्वित होंगे. उन्होंने बताया कि इससे किसान की बाजार में अच्छी पहचान होगी. किसने की इनकम भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि संस्थान नहीं चाहते हैं कि किसान जो हमेशा से पारंपरिक खेती कर रहे हैं इसको बंद करके यह काम करें. किसानों के पास कोई अन्य खेत हो या कोई खाली जमीन हो जमीन में कुछ नहीं हो रहे हैं उसे जमीन में किसान फूलों की खेती कर सकते हैं. फूलों की खेती से लाभान्वित होंगे. इसमें मेरीगोल्ड, रजनीगंधा, रोज और ज़रवरा फूल किसानों को दिया गया है. जिसकी खेती वह करते हैं. जब किसान फूलों को बेचेंगे तो वह अधिक लाभान्वित होंगे.

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