लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने साल 2007 में सत्ता में आने के बाद लखनऊ और नोएडा में कई स्मारकों का निर्माण कराया था. इस निर्माण में उन्होंने अपनी मूर्तियां भी लगवाई थीं. इसके बाद जब मायावती के पास से सत्ता गई तो समाजवादी पार्टी ने इस पर जांच शुरू कराई. अब मायावती को इस मामले सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है.
साल 2007 में जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं, उसके बाद उन्होंने नोएडा के साथ लखनऊ में स्मारकों और पार्क का निर्माण कराया था. इसके बाद जब 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार आई तो उसने इस मामले में जांच बिठा दी. इस पूरे मामले को हम बिन्दुवार समझने की कोशिश करते हैं-
- 2007 में सत्ता में आने के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ और नोएडा में कई स्मारकों का निर्माण कराया था.
- 2012 में समाजवादी पार्टी सत्ता में आई और 2013 में लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने स्मारक निर्माण में जांच रिपोर्ट दी.
- लोकायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट में 14 अरब से ज्यादा का घोटाला बताया
- इस मामले में 2014 में विजिलेंस ने गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी.
- इसी मामले में विजिलेंस ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
- इस मामले में ईडी मनीलॉड्रिंग के पहलुओं की जांच कर रहा है.
- हाल ही में ईडी ने निर्माण से जुड़े कई इंजीनियरों के यहां छापेमारी की थी.
- स्मारकों के निर्माण में प्रमुख रूप से लोक निर्माण विभाग और नोएडा विकास प्राधिकरण शामिल थे.
- लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि घोटाले में तत्कालीन दो पूर्व मंत्री, दो विधायक, दो पूर्व विधायक, पांच माइनिंग अफसर, 62 इंजीनियर, 60 मार्बल सप्लायर, 73 अकाउंटेंट समेत 199 लोगों की भूमिका है.
- लोकायुक्त ने यह भी कहा था कि मायावती की सरकार में उस वक्त मंत्री रहे नसीमुद्दीन और बाबू कुशवाहा से 30-30 फीसदी और सीपी सिंह से 15 फीसदी धनराशि वसूल की जाए.