लखनऊ : डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने एमडी व एमएस पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए आपातकालीन चिकित्सा सेवा में पांच सीटें बढ़ा दी हैं. संस्थान की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद ने चिकित्सा सेवा को और चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए यह निर्णय लिया है. इसके कारण चिकित्सा सेवा को और बल प्राप्त होगा. उन्होंने आपातकालीन सेवाओं को मजबूत करने में एक नया मील का पत्थर बनाया है.
डॉ. नित्यानंद ने बताया कि 'एनएमसी द्वारा मान्यता प्राप्त एमडी व एमएस पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में एमरजेंसी मेडिसिन की विशेषता में अकादमिक रेजिडेंट डॉक्टरों को शामिल करने के साथ आपातकालीन सेवाओं को बढ़ावा देने में यह एक मील का पत्थर साबित होगा. न केवल आपके संस्थान की आपातकालीन रोगी देखभाल में काफी सुधार होगा, बल्कि भविष्य में आपातकालीन चिकित्सा में योग्य डॉक्टरों के स्नातकोत्तर डिग्री के साथ नियमित रूप से शामिल होने से संस्थान की आपातकालीन देखभाल में एक स्थायी बूस्टर प्रदान करेगा. इसके अलावा यह संस्थान के चिकित्सा शिक्षा मानकों को भी बढ़ाएगा. जिसके साथ पिछले वर्षों में विशेष रूप से वर्तमान प्रशासन के पिछले एक वर्ष के दौरान उचित स्तर की प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है.'
स्टूडेंट्स ने हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारें में जाना : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग ने स्किल शेयर सीरीज के तहत डॉ. ए अरुण कुमार एसोसिएट प्रोफेसर, सीएमसी, वेल्लोर ने रोल ऑफ मॉलिक्यूलर हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर (ROLE OF MOLECULAR DIAGNOSIS IN HEMATOLOGICAL DISORDERS) विषय पर जानकारी दी. उन्होंने हेमेटोलॉजिकल डिस्ऑर्डर से सम्बंधित टेस्ट के प्रयोग व उपयोग पर भी जानकारी दी. डॉ. ए अरुण कुमार केजीएमयू के एलुमिनाई हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हेमेटोलॉजिकल (HEMATOLOGICAL) जांच से हम कई बिमारियों की सही पहचान करके इलाज कर सकते हैं. उनके व्याख्यान में विभागाध्यक्ष प्रो. यूएस सिंह समेत विभाग के अन्य आचार्य और करीब 60 पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों ने भी ज्ञानार्जन किया.
केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सूर्यकान्त को इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ़ लंग कैंसर (आईएसएसएलसी) द्वारा सम्मानित किया गया है. आईएसएसएलसी भारत की एक मात्र संस्था है जो लंग कैसर से संबंधित शोध, जनजागरूकता एवं एडवोकेसी करती है. डॉ. सूर्यकान्त को फेफड़े के कैंसर के क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध, जनजागरूकता अभियान चलाने के लिए हाल ही जोधपुर में सम्पन्न हुई लंग कैंसर की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस-नेलकॉन’’ में डॉ. रेड्डी ओरेशन ऑन लंग कैंसर’’ से सम्मानित किया गया है. व्याख्यान में डॉ. सूर्यकान्त ने टीबी और फेफड़े के कैंसर पर कहा कि 'इन दोनों बीमारियों के लक्षण आपस में मिलते-जुलते हैं, जिससे इन दोनों बीमारियों को सही से पहचानने में गलती हो जाती है. इस वजह से लंग कैंसर के मरीजों को टीबी का मरीज समझ लिया जाता है. इसलिए इन बीमारियों का सही से इलाज करना चाहिए.' डॉ. सूर्यकान्त ने कहा कि ’जैसे हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती, वैसे ही एक्स-रे का हर धब्बा टीबी नहीं होता.'