लखनऊः सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन द्वारा विवि स्तर पर निर्धारित शुल्क कटौती की मांग को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासन के पाले में गेंद डाल दी है. विवि का कहना है कि शासन स्तर पर निर्धारित शुल्क को वह लागू करने के लिए तैयार है बशर्ते शासन की तरफ से सैलरी के नाम पर दी जा रही ग्रांट बढ़ा दी जाय. फिलहाल, कॉलेजों की मांग पर विवि प्रशासन ने सेवानिवृत वित्त अधिकारी संजय श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है, जो विवि की तरफ से निर्धारित शुल्क का परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट विवि को देगी.
इसी मामले को लेकर मंगलवार को सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के प्रतिनिधि कुलपति व कुलसचिव से मिलने के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे थे, लेकिन एसोसिएशन के सदस्यों से दोनों अधिकारियों की मुलाकात नहीं हो पाई थी. परीक्षा शुल्क में कटौती की मांग को लेकर कॉलेज रोजाना विवि के चक्कर काट रहे हैं.
एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रमेश सिंह का कहना है कि शासन स्तर पर स्नातक की परीक्षा शुल्क 800 रुपये और टेक्रिकल कोर्स के लिए 1500 रुपये निर्धारित हैं, जबकि विवि स्नातक विषयों के लिए 1250 रुपये परीक्षा शुल्क ले रहा है. कॉलेजों का कहना है कि पूर्व में कानपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध होने के कारण वहां पर शुल्क कम लिया जाता था. छात्रों ने भी कम शुल्क जमा की है. ऐसे में वह बकाया शुल्क जमा कर पाने में असमर्थ हैं. कॉलेजों की मांग पर विवि प्रशासन ने एक कमेटी का गठन कर दिया है. गठित कमेटी की रिपोर्ट को फाइनेंस कमेटी की बैठक में रखा जायेगा. उस आधार पर निर्णय लिया जाएगा.
कॉलेजों की मांग पर दो बार विवि कर चुका है कटौती
विवि के सीमा विस्तार के बाद जुड़े कॉलेज द्वारा शुल्क कटौती की मांग पर विवि प्रशासन इससे पूर्व दो बार शुल्क में कटौती कर चुका है. विवि स्तर पर पहली बार परीक्षा शुल्क 2000 के स्थान पर 1500 रुपये पिछले सत्र में तय किये गये थे. इसके बाद कॉलेजों की मांग पर विवि प्रशासन ने 230 रुपये की कटौती की थी.
कॉलेज जुड़ने से फायदा नही
विवि का तर्क है कि विवि के घाटे को पूरा करने के लिए शासन स्तर पर चार जिले लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई और रायबरेली दिए गए थे, जिससे विवि अपने आय स्रोत को बना सके. इन कॉलेजों के जुड़ने के बाद भी विवि का घाटा जस का तस है. इसके पीछे विवि के अधिकारियों का तर्क है कि पहले विवि से केवल लखनऊ के कॉलेज जुड़े थे. उस समय 2000 रुपये परीक्षा शुल्क ली जाती थी. अब चार जिलों के जुड़ने के बाद शुल्क 1250 कर दी गई है. मतलब घाटा बराबर बना हुआ है.
शासन ने कहा, प्रस्ताव दें
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ संजय मेधावी ने बताया कि इस मसले को लेकर विवि की तरफ से जब शासन के समक्ष प्रश्न उठाया गया, तो शासन के अधिकारियों ने विवि प्रशासन से सैलरी का बजट बढ़ाने का प्रस्ताव मांगा है, जिससे ग्रांट में बढ़ोत्तरी हो सके.
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