लखनऊ : फर्जी दस्तावेज बनाकर अवैध रूप से भारत में रहने के आरोप में लखनऊ जेल में बंद पांच बांग्लादेशियों ने बुधवार को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए 4-4 वर्ष के कारावास और 5-5 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है.
एटीएस ने 2019 में किया था गिरफ्तार
अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी एटीएस ने मई 2019 में लखनऊ में कूटरचित दस्तावेज बनवाने और जाली पासपोर्ट रखने के आरोप में बांग्लादेशी नागरिक हबीबुर्रहमान, कमालुद्दीन, काबिल, जाकिर और ताइजुल को गिरफ्तार किया गया था. धारा 419, 420, 467, 468, 471 व 14 विदेशी अधिनियम के अंतर्गत जेल भेजा गया था.
कोर्ट में जाकर साक्ष्य प्रस्तुत किए
एडीजी (एलओ) ने बताया कि पांचों आरोपियों का दोष सिद्ध करने के लिए यूपी एटीएस ने कोर्ट में जमकर पैरवी की और सारे साक्ष्य प्रस्तुत किए. बुधवार को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पांचों आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पांचों आरोपियों को 4-4 साल की सजा और 5-5 रुपये का अर्थ दंड लगाया. पांचों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है.
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जाली दस्तावेजों से बनवाया था पासपोर्ट
एडीजी (एलओ) के मुताबिक, बांग्लादेशी नागरिकों ने जाली आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट के जाली दस्तावेजों के जरिये पासपोर्ट बनवाया था. एडीजी का कहना है कि बांग्लादेशी प्रधान व सभासद से निवास प्रमाण पत्र बनवाकर आधार कार्ड बनवाया लेते हैं. आधार कार्ड के जरिये बंग्लादेशी पासपोर्ट बनवा लेते हैं.