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लखनऊ PGI में पहली बार रोबोट से हुआ महिला का सफल किडनी ट्रांसप्लांट

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Published : Aug 7, 2021, 7:29 PM IST

लखनऊ पीजीआई के डॉक्टरों ने रोबोट से पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल की है. नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने बाराबंकी निवासी महिला का किडनी ट्रांसप्लांट किया है. महिला को किडनी उसकी मां ने दिया है.

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान

लखनऊ: SGPGI (संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान) के डॉक्टरों ने नई उपलब्धि हासिल की है. यहां प्रदेश में पहली बार रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला का किडनी ट्रांसप्लांट किया है. महिला को किडनी उसकी मां ने दिया है. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद महिला व उसकी मां दोनों स्वस्थ हैं. महिला को अभी तीन से चार दिन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

दरअसल, बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला की दोनों किडनी खराब हो गई थी. महिला ने वर्ष 2019 में लखनऊ PGI के नेफ्रोलॉजी विभाग में दिखाया था. ओपीडी में नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. नारायण प्रसाद ने महिला को देखा था. जांच के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी, लेकिन डोनर की समस्या के चलते किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो सका. ऐसे में महिला को हीमोडायलिसिस पर रखा गया.

महिला के ससुराल में डोनर की व्यवस्था नहीं हो सकी. ऐसे में महिला की 61 वर्षीय मां ने बेटी की जिंदगी बचाने का फैसला किया. मां की किडनी की इम्यूनोलॉजिकल जांच की गई. बेटी के भी टेस्ट किए गए. रिपोर्ट सही आने पर परिजनों से रोबोटिक असिस्टेड किडनी ट्रांसप्लांट की सहमति ली गई. 6 अगस्त को यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अनिल श्रीवास्तव ने टीम संग रोबोटिक सर्जरी की. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद महिला व उसकी मां दोनों स्वस्थ हैं. महिला को अभी तीन से चार दिन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

इसे भी पढ़ें:- शाबाश नीरज ! सीएम योगी आदित्यनाथ ने जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को दी बधाई

वहीं PGI के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने डॉक्टरों की टीम की हौसलाफजाई की. डॉक्टरों की टीम में डॉ. अनीश श्रीवास्तव, डॉ. नारायण प्रसाद, डॉ. अनिल अग्रवाल और डॉ. संदीप साहू शामिल रहे. वहीं यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर रहे प्रो. राजेश अहलावत भी मौजूद रहे. बता दें कि रोबोटिक सर्जरी में छोटा चीरा लगता है. इसमें मरीज में की -होल कर रोबोटिक आर्म डाले जाते हैं. उसी में कैमरा होता है. मशीन में लगे मॉनिटर पर शरीर के अंदर का हिस्सा दिखता रहता है. डॉक्टर मशीन को कमांड देते हैं. मशीन में लगे आर्म कमांड के अनुसार सर्जरी करते हैं. इसमें गलती की गुंजाइश नगण्य होती है. रक्तस्राव कम होता है. ऐसे में मरीज की रिकवरी फास्ट हो जाती है. उसे कम दिन अस्पताल में रुकना होता है.

लखनऊ: SGPGI (संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान) के डॉक्टरों ने नई उपलब्धि हासिल की है. यहां प्रदेश में पहली बार रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी व एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला का किडनी ट्रांसप्लांट किया है. महिला को किडनी उसकी मां ने दिया है. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद महिला व उसकी मां दोनों स्वस्थ हैं. महिला को अभी तीन से चार दिन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

दरअसल, बाराबंकी निवासी 42 वर्षीय महिला की दोनों किडनी खराब हो गई थी. महिला ने वर्ष 2019 में लखनऊ PGI के नेफ्रोलॉजी विभाग में दिखाया था. ओपीडी में नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. नारायण प्रसाद ने महिला को देखा था. जांच के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी, लेकिन डोनर की समस्या के चलते किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो सका. ऐसे में महिला को हीमोडायलिसिस पर रखा गया.

महिला के ससुराल में डोनर की व्यवस्था नहीं हो सकी. ऐसे में महिला की 61 वर्षीय मां ने बेटी की जिंदगी बचाने का फैसला किया. मां की किडनी की इम्यूनोलॉजिकल जांच की गई. बेटी के भी टेस्ट किए गए. रिपोर्ट सही आने पर परिजनों से रोबोटिक असिस्टेड किडनी ट्रांसप्लांट की सहमति ली गई. 6 अगस्त को यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अनिल श्रीवास्तव ने टीम संग रोबोटिक सर्जरी की. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद महिला व उसकी मां दोनों स्वस्थ हैं. महिला को अभी तीन से चार दिन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

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