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बाहरी व्यक्तियों के सहारे चल रहे कामकाज पर जिला जज ने अपनाया सख्त रुख, कहा एफआईआर होगी दर्ज

अदालत व कार्यालयों में बाहरी व्यक्तियों के काम करने को लेकर जिला जज ने सख्त रुख अपनाया है. अब अदालती पत्रावलियों के साथ दिखने वाले बाहरी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई (FIR) की जाएगी.

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Published : Jan 2, 2023, 9:09 PM IST

लखनऊ : अदालत व इसके कार्यालयों में नियमित कर्मचारियों की जगह काम करने बाहरी व्यक्ति जिन्हें यहां एडिशनल हैंड भी कहा जाता है, वे इस कदर हावी हैं कि उनके बिना अदालती काम ही सम्भव नहीं हो पाता. इस व्यवस्था से नाराज जिला जज संजय शंकर पाण्डेय ने अब सख्त रुख अपनाते हुए, मौखिक तौर पर आदेशित किया है कि बाहरी व्यक्ति यदि अदालती पत्रावलियों के साथ दिखा तो उसके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई जाएगी.

साल के आखिरी दिनों में ही जनपद न्यायाधीश को स्पष्ट रूप से यह मौखिक आदेश करना पड़ा कि अदालतों में बाहरी व्यक्ति न तो पत्रावली या छुएंगे और न ही काम करेंगे. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि अगर निरीक्षण के दौरान कोई बाहरी व्यक्ति अदालतों में न्यायिक कार्य करता पाया गया तो सम्बंधित लिपिक के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी तथा ऐसे बाहरी व्यक्ति के विरुद्ध एफआईआर तक लिखाई जा सकती है. इस सख्ती के चलते सोमवार को अदालत में तथाकथित एडिशनल हैंड नदारद रहे, हालांकि इस वजह से कई नियत पत्रावलियां भी नहीं निकाली जा सकीं. वर्षों से एडिशनल हैंड के सहारे चल रही कचहरी के बाबुओं को इतना भी नहीं पता है कि कौन सी पत्रावली कहां रखी है तथा उसमें अदालत के क्या आदेश हैं. वर्षों से अदालतों में काम करने वाले बाहरी व्यक्ति अब इतने निडर हो चुके हैं कि वह तमाम पीठासीन अधिकारियों के बगल में ही खड़े होकर अदालती कार्य करते व करवाते हैं. नियमित कार्य करने वाले कर्मचारियों के अपने तर्क हैं, उनकी कहना है कि अदालतों में स्टाफ की भर्ती ना होने एवं अदालतों में बढ़ते मुकदमों के बोझ के कारण सुचारू रूप से न्यायिक कार्य करना सम्भव नहीं है, लिहाजा मजबूरन उन्हें बाहरी लोगों से काम लेना पड़ता है. सूत्रों के अनुसार, जनपद न्यायाधीश ने सभी अदालतों से रिपोर्ट तलब की है कि उनके यहां पत्रावलियों की संख्या एवं रख-रखाव की क्या व्यवस्था है तथा उन्हें इस कार्य के लिए कितना स्टाफ चाहिए.

लखनऊ : अदालत व इसके कार्यालयों में नियमित कर्मचारियों की जगह काम करने बाहरी व्यक्ति जिन्हें यहां एडिशनल हैंड भी कहा जाता है, वे इस कदर हावी हैं कि उनके बिना अदालती काम ही सम्भव नहीं हो पाता. इस व्यवस्था से नाराज जिला जज संजय शंकर पाण्डेय ने अब सख्त रुख अपनाते हुए, मौखिक तौर पर आदेशित किया है कि बाहरी व्यक्ति यदि अदालती पत्रावलियों के साथ दिखा तो उसके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई जाएगी.

साल के आखिरी दिनों में ही जनपद न्यायाधीश को स्पष्ट रूप से यह मौखिक आदेश करना पड़ा कि अदालतों में बाहरी व्यक्ति न तो पत्रावली या छुएंगे और न ही काम करेंगे. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि अगर निरीक्षण के दौरान कोई बाहरी व्यक्ति अदालतों में न्यायिक कार्य करता पाया गया तो सम्बंधित लिपिक के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी तथा ऐसे बाहरी व्यक्ति के विरुद्ध एफआईआर तक लिखाई जा सकती है. इस सख्ती के चलते सोमवार को अदालत में तथाकथित एडिशनल हैंड नदारद रहे, हालांकि इस वजह से कई नियत पत्रावलियां भी नहीं निकाली जा सकीं. वर्षों से एडिशनल हैंड के सहारे चल रही कचहरी के बाबुओं को इतना भी नहीं पता है कि कौन सी पत्रावली कहां रखी है तथा उसमें अदालत के क्या आदेश हैं. वर्षों से अदालतों में काम करने वाले बाहरी व्यक्ति अब इतने निडर हो चुके हैं कि वह तमाम पीठासीन अधिकारियों के बगल में ही खड़े होकर अदालती कार्य करते व करवाते हैं. नियमित कार्य करने वाले कर्मचारियों के अपने तर्क हैं, उनकी कहना है कि अदालतों में स्टाफ की भर्ती ना होने एवं अदालतों में बढ़ते मुकदमों के बोझ के कारण सुचारू रूप से न्यायिक कार्य करना सम्भव नहीं है, लिहाजा मजबूरन उन्हें बाहरी लोगों से काम लेना पड़ता है. सूत्रों के अनुसार, जनपद न्यायाधीश ने सभी अदालतों से रिपोर्ट तलब की है कि उनके यहां पत्रावलियों की संख्या एवं रख-रखाव की क्या व्यवस्था है तथा उन्हें इस कार्य के लिए कितना स्टाफ चाहिए.

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