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निलंबित बाबू ने 6 भूखंडों में की घपलेबाजी, LDA ने दर्ज कराई एफआईआर - scam in lda

एलडीए में पांच करोड़ के घोटाला का मामला सामने आया है. संयुक्त सचिव ऋतु सुहास और तहसीलदार राजेश शुक्ला ने पूरे मामले की जांच की है. जांच रिपोर्ट आने के बाद एलडीए ने निलंबित बाबू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
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Published : Nov 10, 2020, 10:30 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गोमती नगर योजना के रिक्त भूखंडों के आबंटन में घपलेबाजी करने वाले जिस निलंबित बाबू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. उस बाबू ने वास्तु खंड योजना के छह रिक्त भवनों/भूखंडों को दूसरे व्यक्तियों के नाम से समायोजन कर दिए थे. चार भूखंडों की पत्रावलियां भी प्राधिकरण से गायब हैं. इनमें से एक भूखंड संख्या का अधिकारिक समायोजन होने के बाद जनवरी में रजिस्ट्री भी हो चुकी है. जांच रिपोर्ट के अनुसार मृत कर्मचारियों की कम्यूटर आईडी से हेराफेरी कर दी. आरोपी बाबू इससे पहले भी कई खेल कर चुका है. खुलासा होने पर उसे कलेक्ट्रेट भेज दिया गया था. नया मामला उजागर होने के बाद से कर्मचारी गायब है. इन भूखंडों की क़ीमत करीब पांच करोड़ रुपये बतायी जा रही है.

जांच रिपोर्ट के अनुसार आरोपी बाबू अजय प्रताप वर्मा ने भूखंड संख्या 3/516, 3/649, 38/656, 3/719, 3/561 तथा 3/629 के मूल आबंटियों का नाम कंप्यूटर से गायब कर दिए. इनके स्थान पर अन्य व्यक्तियों का नाम कंप्यूटर पर अंकित कर दिया गया. संयुक्त सचिव ऋतु सुहास और तहसीलदार राजेश शुक्ला ने पूरे मामले की जांच की है. जांच में पाया गया कि बाबू का यह कारनामा सरकारी कार्य की गम्भीर अनियमितता है. रिपोर्ट के मुताबिक वास्तुखंड के तत्कालीन योजना सहायक अजय प्रताप वर्मा ने उपरोक्त भूखण्डों को लेकर डिस्पोजल रजिस्टर पर अंकित विवरण से दूसरे व्यक्ति का नाम कंप्यूटर में दर्ज कराया गया है. ऐसे योजना सहायकों का नाम अंकित किया गया, जो उस समय योजना का कार्य नहीं देख रहे थे. इतना ही नहीं, कई की मृत्यु हो चुकी है.

कंप्यूटर में दिखा दिया रिफंड

पूर्व योजना सहायक नंद किशोर यादव ने बताया कि भवन संख्या 3/561 और 3/629 कंप्यूटर पर रिफंड हुआ है, लेकिन कारण स्पष्ट नहीं किया गया. इसमें से भूखंड संख्या 3/629 पर हबीउल्लाह का नाम अंकित कर दिया गया. इनकी पत्रावलियां उपलब्ध न होने पर वित्त नियंत्रक राजीव कुमार सिंह ने बताया गया कि भूखण्ड संख्या 3/516, 3/719 तथा 3/629 में कोई धनराशि जमा नहीं है. दूसरे भूखंडों में भी काफी कम पैसा जमा हुआ है.

इन रिक्त संपत्तियों का हुआ फर्जी आबंटन

भवन संख्या 3/516 डिस्पोजल रजिस्टर पर दर्ज नहीं है. मौके पर जी प्लस 2 मकान बना हुआ है. यह भवन राधिका कुमारी पत्नी अमित कुमार ने आवंटी सर्फराजुद्दीन से खरीद लिया है. कंप्यूटर पर भी राधिका का नाम दर्ज है और कर्मचारी सुभाष श्रीवास्तव आईडी नंबर 892 से यह दर्ज किया गया. वर्तमान में इसकी मृत्यु हो चुकी है. इसी तरह भवन संख्या 3/431 डिस्पोजल रजिस्टर पर श्रीमती फरहाना का नाम दर्ज है. मौके पर जी प्लस 2 मकान बना हुआ है. किराएदार रह रहे हैं. कंप्यूटर पर गुलाम रब्बानी द्वारा आईडी नंबर 1630 से फरहाना के नाम दर्ज किया गया है. वर्तमान में गुलाम की मृत्यु हो चुकी है. भवन संख्या 3/360 ओम प्रकाश कटाना के नाम से दर्ज है. मौके पर एलडीए की अवस्था में भवन है. इसे सोनी अग्रवाल पत्नी शंकर अग्रवाल ने आवंटी से खरीदा है. इस प्रापर्टी को भी कंप्यूटर पर गुलाम रब्बानी की आईडी से दर्ज किया गया है. भवन संख्या 3/234 सुरैया बानो के नाम से रजिस्टर और कंप्यूटर पर दर्ज है. इसकी इंट्री आलोक श्रीवास्तव की आईडी से की गई है.

लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गोमती नगर योजना के रिक्त भूखंडों के आबंटन में घपलेबाजी करने वाले जिस निलंबित बाबू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. उस बाबू ने वास्तु खंड योजना के छह रिक्त भवनों/भूखंडों को दूसरे व्यक्तियों के नाम से समायोजन कर दिए थे. चार भूखंडों की पत्रावलियां भी प्राधिकरण से गायब हैं. इनमें से एक भूखंड संख्या का अधिकारिक समायोजन होने के बाद जनवरी में रजिस्ट्री भी हो चुकी है. जांच रिपोर्ट के अनुसार मृत कर्मचारियों की कम्यूटर आईडी से हेराफेरी कर दी. आरोपी बाबू इससे पहले भी कई खेल कर चुका है. खुलासा होने पर उसे कलेक्ट्रेट भेज दिया गया था. नया मामला उजागर होने के बाद से कर्मचारी गायब है. इन भूखंडों की क़ीमत करीब पांच करोड़ रुपये बतायी जा रही है.

जांच रिपोर्ट के अनुसार आरोपी बाबू अजय प्रताप वर्मा ने भूखंड संख्या 3/516, 3/649, 38/656, 3/719, 3/561 तथा 3/629 के मूल आबंटियों का नाम कंप्यूटर से गायब कर दिए. इनके स्थान पर अन्य व्यक्तियों का नाम कंप्यूटर पर अंकित कर दिया गया. संयुक्त सचिव ऋतु सुहास और तहसीलदार राजेश शुक्ला ने पूरे मामले की जांच की है. जांच में पाया गया कि बाबू का यह कारनामा सरकारी कार्य की गम्भीर अनियमितता है. रिपोर्ट के मुताबिक वास्तुखंड के तत्कालीन योजना सहायक अजय प्रताप वर्मा ने उपरोक्त भूखण्डों को लेकर डिस्पोजल रजिस्टर पर अंकित विवरण से दूसरे व्यक्ति का नाम कंप्यूटर में दर्ज कराया गया है. ऐसे योजना सहायकों का नाम अंकित किया गया, जो उस समय योजना का कार्य नहीं देख रहे थे. इतना ही नहीं, कई की मृत्यु हो चुकी है.

कंप्यूटर में दिखा दिया रिफंड

पूर्व योजना सहायक नंद किशोर यादव ने बताया कि भवन संख्या 3/561 और 3/629 कंप्यूटर पर रिफंड हुआ है, लेकिन कारण स्पष्ट नहीं किया गया. इसमें से भूखंड संख्या 3/629 पर हबीउल्लाह का नाम अंकित कर दिया गया. इनकी पत्रावलियां उपलब्ध न होने पर वित्त नियंत्रक राजीव कुमार सिंह ने बताया गया कि भूखण्ड संख्या 3/516, 3/719 तथा 3/629 में कोई धनराशि जमा नहीं है. दूसरे भूखंडों में भी काफी कम पैसा जमा हुआ है.

इन रिक्त संपत्तियों का हुआ फर्जी आबंटन

भवन संख्या 3/516 डिस्पोजल रजिस्टर पर दर्ज नहीं है. मौके पर जी प्लस 2 मकान बना हुआ है. यह भवन राधिका कुमारी पत्नी अमित कुमार ने आवंटी सर्फराजुद्दीन से खरीद लिया है. कंप्यूटर पर भी राधिका का नाम दर्ज है और कर्मचारी सुभाष श्रीवास्तव आईडी नंबर 892 से यह दर्ज किया गया. वर्तमान में इसकी मृत्यु हो चुकी है. इसी तरह भवन संख्या 3/431 डिस्पोजल रजिस्टर पर श्रीमती फरहाना का नाम दर्ज है. मौके पर जी प्लस 2 मकान बना हुआ है. किराएदार रह रहे हैं. कंप्यूटर पर गुलाम रब्बानी द्वारा आईडी नंबर 1630 से फरहाना के नाम दर्ज किया गया है. वर्तमान में गुलाम की मृत्यु हो चुकी है. भवन संख्या 3/360 ओम प्रकाश कटाना के नाम से दर्ज है. मौके पर एलडीए की अवस्था में भवन है. इसे सोनी अग्रवाल पत्नी शंकर अग्रवाल ने आवंटी से खरीदा है. इस प्रापर्टी को भी कंप्यूटर पर गुलाम रब्बानी की आईडी से दर्ज किया गया है. भवन संख्या 3/234 सुरैया बानो के नाम से रजिस्टर और कंप्यूटर पर दर्ज है. इसकी इंट्री आलोक श्रीवास्तव की आईडी से की गई है.

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