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लखनऊ: अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन चार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज

यूपी के लखनऊ में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन 4 अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई है. चारों पर UPSSSC 2016 में हुए फर्जीवाड़े को लेकर एफआईआर दर्ज हुई.

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यूपीएसएसएससी.
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Published : Feb 21, 2020, 10:21 PM IST

लखनऊ: UPSSSC 2016 में हुए फर्जीवाड़े को लेकर विजिलेंस की ओर से विभूति खंड थाने में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन चार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में रामबाबू यादव तत्कालिन अनुभाग अधिकारी उत्तर प्रदेश सेवा चयन आयोग, अनिल कुमार तत्कालीन प्रवर वर्ग सहायक, सताई प्रजापति प्रवर वर्ग सहायक, राजेंद्र प्रसाद प्रवर सहायक, महेश प्रसाद तत्कालीन सचिव के खिलाफ धारा 166, 34 और 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

सभी तत्कालीन अधिकारियों के ऊपर आरोप है कि वर्ष 2006 में की गई भर्ती में अनियमितताएं बरती गई थीं. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अवर अभियंता सामान्य चयन के 478 पदों पर की गई भर्ती में अनियमितता की शिकायत मिली थी, जिसकी जांच विजिलेंस की टीम कर रही थी. विजिलेंस की जांच में पाया गया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ के कर्मचारी सताई प्रजापति, राजेंद्र प्रसाद द्वारा अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए अभिलेख, अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों पर विधि रूप से निर्मित निर्देश नियमों के अनुसार परीक्षण और सत्यापन नहीं किया. अभ्यर्थियों के चयन की गलत सूची उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की गई थी.

इसे भी पढ़ें:- 78 साल के बुजुर्ग ने पेश की मिसाल, इंटर की परीक्षा पास करने का लिया संकल्प

आरोपी तत्कालीन अधिकारियों ने बिहार की पांच महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण दिया था, जबकि वह महिला आरक्षण की पात्र नहीं थीं. बहाली में धांधली की वजह से चार पुरुष और दो योग्य महिला अभ्यर्थी चयनित होने से वंचित रह गये. विजिलेंस की ओर से की गई जांच में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारियों को दोषी पाया गया है. जांच के आधार पर राजधानी लखनऊ के विभूति खंड थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.

लखनऊ: UPSSSC 2016 में हुए फर्जीवाड़े को लेकर विजिलेंस की ओर से विभूति खंड थाने में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन चार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में रामबाबू यादव तत्कालिन अनुभाग अधिकारी उत्तर प्रदेश सेवा चयन आयोग, अनिल कुमार तत्कालीन प्रवर वर्ग सहायक, सताई प्रजापति प्रवर वर्ग सहायक, राजेंद्र प्रसाद प्रवर सहायक, महेश प्रसाद तत्कालीन सचिव के खिलाफ धारा 166, 34 और 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

सभी तत्कालीन अधिकारियों के ऊपर आरोप है कि वर्ष 2006 में की गई भर्ती में अनियमितताएं बरती गई थीं. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अवर अभियंता सामान्य चयन के 478 पदों पर की गई भर्ती में अनियमितता की शिकायत मिली थी, जिसकी जांच विजिलेंस की टीम कर रही थी. विजिलेंस की जांच में पाया गया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ के कर्मचारी सताई प्रजापति, राजेंद्र प्रसाद द्वारा अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए अभिलेख, अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों पर विधि रूप से निर्मित निर्देश नियमों के अनुसार परीक्षण और सत्यापन नहीं किया. अभ्यर्थियों के चयन की गलत सूची उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की गई थी.

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आरोपी तत्कालीन अधिकारियों ने बिहार की पांच महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण दिया था, जबकि वह महिला आरक्षण की पात्र नहीं थीं. बहाली में धांधली की वजह से चार पुरुष और दो योग्य महिला अभ्यर्थी चयनित होने से वंचित रह गये. विजिलेंस की ओर से की गई जांच में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारियों को दोषी पाया गया है. जांच के आधार पर राजधानी लखनऊ के विभूति खंड थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.

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