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लखनऊ: पहली बार कोविड-19 की टीम को लीड कर रही हैं एक महिला डॉक्टर

लखनऊ के केजीएमयू में लगातार कोरोना वायरस मरीजों का इलाज किया जा रहा. इस दौरान 14 दिन के लिए एक नई टीम कोविड 19 के आइसोलेशन वॉर्ड में ड्यूटी पर आई हैं. इस टीम की खासियत यह है कि इसमें ज्यादातर वर्कर महिलाएं हैं और इस टीम को लीड भी एक महिला ही कर रही है.

new team for duty in isolation ward
आइसोलेशन वॉर्ड में ड्यूटी करने के लिए तैनात
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Published : May 27, 2020, 8:18 PM IST

लखनऊ: केजीएमयू में लगातार कोरोना वायरस मरीजों का इलाज किया जा रहा है और उसके हेल्थ केयर वर्कर्स पिछले कई महीनों से एक्टिव पैसिव क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर वापस ड्यूटी जॉइन कर रहे हैं. इस बार की कोविड-19 के आइसोलेशन टीम की खासियत यह है कि इसे एक महिला डॉक्टर की ओर से लीड किया जा रहा है. इस टीम में ज्यादातर हेल्थ केयर वर्कर्स महिलाएं हैं.

आइसोलेशन वॉर्ड में ड्यूटी करने के लिए तैनात

केजीएमयू में कोविड-19 के लिए आइसोलेशन वॉर्ड में अब तक 9 टीमें एक्टिव और पैसिव क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर चुकी हैं. आइसोलेशन वॉर्ड में इस वक्त काम कर रहीं दसवीं टीम की खासियत यह है कि इसे एक महिला डॉक्टर लीड कर रही हैं. केजीएमयू के फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर शिउली इस टीम के इंचार्ज बनी हैं और इनके अंडर में काम कर रहे हैं. इस वर्कर्स की टीम में आधे से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर्स महिलाएं हैं.

डॉक्टर शिउली कहती हैं कि कोविड वॉर्ड की 10 वीं टीम कई मायनों में खास है. यह सबसे पहली टीम है, जिसे कोई महिला डॉक्टर लीड कर रही है और इसका मैनेजमेंट देख रही है. दूसरी खास बात यह है कि यह पहली ऐसी टीम है जो 14 दिनों की एक्टिव क्वारंटाइन की ड्यूटी निभाएगी यानी 14 दिनों तक कोविड-19 वॉर्ड के आइसोलेशन टीम में सभी ड्यूटी करेंगे. उन्होंने बताया कि साथ काम करने वाले हेल्थ केयर वर्कर में 50% महिलाएं हैं.

डॉक्टर शिउली कहती हैं कि जब उन्हें कहा गया कि उन्हें आइसोलेशन टीम को लीड करना है तो उनका आत्मविश्वास बढ़ गया है, क्योंकि इसी बहाने वे अपने देश के लिए काम आ सकती हैं. वे कोविड में ड्यूटी के लिए पहले से ही तैयार थीं. वे बताती हैं कि इस बात की प्रेरणा उनके पिता देते हैं, जो खुद एक डॉक्टर हैं. वे अपने 6 वर्ष के बेटे को पहले ही अपनी माता-पिता के पास छोड़ दी थीं ताकि वे खुद को मानसिक तौर पर तैयार कर सकें कि जब भी उन्हें कोविड-19 टीम में काम करना हो तो वे कर सकें.

डॉ. शिउली कहती हैं कि उनके पिता की उम्र 65 वर्ष है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सरकार से खुद को कोविड-19 में काम करने या किसी भी तरह की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध रहने की बात कही है.

इस वक्त वे एक्टिव क्वारंटाइन में हैं और आइसोलेशन वॉर्ड में ड्यूटी कर रही हैं. इस दौरान वे इस बात का खास ख्याल रखती हैं कि उनके साथ काम कर रहे हैं अन्य सभी हेल्थ केयर वर्कर्स की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाए रख सकें, क्योंकि कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी कर रहे लोगों ने भी एक तरह का स्ट्रेस रहता है. ऐसे में उनके आसपास एक सकारात्मक माहौल बनाए रखना बेहद जरूरी है. वे अपनी टीम के साथ लगातार संपर्क में रहती हैं, उनसे बातचीत करती रहती हैं. उनकी परेशानियों को जानने की कोशिश किया करती हैं और किसी भी तरह के फैसले में सभी का मत लेती हैं, ताकि सभी का आत्मबल भी बना रहे.

महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और दुनिया को बता रही हैं कि वह खुद में सक्षम हैं. कोविड-19 में ड्यूटी लीड कर रहीं महिला डॉक्टर भी इस बात की साक्षी हैं कि एक टीम को बेहतर तरीके से लीड करने के लिए मानसिक आत्मबल बेहद जरूरी है. शायद यही वजह है कि महिला डॉक्टर की ओर से लीड की जा रही. पहली टीम 7 दिनों के बजाय 14 दिनों की ड्यूटी निभा रही है.

लखनऊ: केजीएमयू में लगातार कोरोना वायरस मरीजों का इलाज किया जा रहा है और उसके हेल्थ केयर वर्कर्स पिछले कई महीनों से एक्टिव पैसिव क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर वापस ड्यूटी जॉइन कर रहे हैं. इस बार की कोविड-19 के आइसोलेशन टीम की खासियत यह है कि इसे एक महिला डॉक्टर की ओर से लीड किया जा रहा है. इस टीम में ज्यादातर हेल्थ केयर वर्कर्स महिलाएं हैं.

आइसोलेशन वॉर्ड में ड्यूटी करने के लिए तैनात

केजीएमयू में कोविड-19 के लिए आइसोलेशन वॉर्ड में अब तक 9 टीमें एक्टिव और पैसिव क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर चुकी हैं. आइसोलेशन वॉर्ड में इस वक्त काम कर रहीं दसवीं टीम की खासियत यह है कि इसे एक महिला डॉक्टर लीड कर रही हैं. केजीएमयू के फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर शिउली इस टीम के इंचार्ज बनी हैं और इनके अंडर में काम कर रहे हैं. इस वर्कर्स की टीम में आधे से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर्स महिलाएं हैं.

डॉक्टर शिउली कहती हैं कि कोविड वॉर्ड की 10 वीं टीम कई मायनों में खास है. यह सबसे पहली टीम है, जिसे कोई महिला डॉक्टर लीड कर रही है और इसका मैनेजमेंट देख रही है. दूसरी खास बात यह है कि यह पहली ऐसी टीम है जो 14 दिनों की एक्टिव क्वारंटाइन की ड्यूटी निभाएगी यानी 14 दिनों तक कोविड-19 वॉर्ड के आइसोलेशन टीम में सभी ड्यूटी करेंगे. उन्होंने बताया कि साथ काम करने वाले हेल्थ केयर वर्कर में 50% महिलाएं हैं.

डॉक्टर शिउली कहती हैं कि जब उन्हें कहा गया कि उन्हें आइसोलेशन टीम को लीड करना है तो उनका आत्मविश्वास बढ़ गया है, क्योंकि इसी बहाने वे अपने देश के लिए काम आ सकती हैं. वे कोविड में ड्यूटी के लिए पहले से ही तैयार थीं. वे बताती हैं कि इस बात की प्रेरणा उनके पिता देते हैं, जो खुद एक डॉक्टर हैं. वे अपने 6 वर्ष के बेटे को पहले ही अपनी माता-पिता के पास छोड़ दी थीं ताकि वे खुद को मानसिक तौर पर तैयार कर सकें कि जब भी उन्हें कोविड-19 टीम में काम करना हो तो वे कर सकें.

डॉ. शिउली कहती हैं कि उनके पिता की उम्र 65 वर्ष है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सरकार से खुद को कोविड-19 में काम करने या किसी भी तरह की आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध रहने की बात कही है.

इस वक्त वे एक्टिव क्वारंटाइन में हैं और आइसोलेशन वॉर्ड में ड्यूटी कर रही हैं. इस दौरान वे इस बात का खास ख्याल रखती हैं कि उनके साथ काम कर रहे हैं अन्य सभी हेल्थ केयर वर्कर्स की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाए रख सकें, क्योंकि कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी कर रहे लोगों ने भी एक तरह का स्ट्रेस रहता है. ऐसे में उनके आसपास एक सकारात्मक माहौल बनाए रखना बेहद जरूरी है. वे अपनी टीम के साथ लगातार संपर्क में रहती हैं, उनसे बातचीत करती रहती हैं. उनकी परेशानियों को जानने की कोशिश किया करती हैं और किसी भी तरह के फैसले में सभी का मत लेती हैं, ताकि सभी का आत्मबल भी बना रहे.

महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और दुनिया को बता रही हैं कि वह खुद में सक्षम हैं. कोविड-19 में ड्यूटी लीड कर रहीं महिला डॉक्टर भी इस बात की साक्षी हैं कि एक टीम को बेहतर तरीके से लीड करने के लिए मानसिक आत्मबल बेहद जरूरी है. शायद यही वजह है कि महिला डॉक्टर की ओर से लीड की जा रही. पहली टीम 7 दिनों के बजाय 14 दिनों की ड्यूटी निभा रही है.

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