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Fellowship Award : केजीएमयू के डॉ. सूर्यकान्‍त फेलोशिप से सम्‍मानित, श्‍वास से जुड़ी बीमारियों पर किए हैं उत्‍कृष्‍ट शोध

सीओपीडी, फेफड़े का कैंसर पर शोध पुस्‍तकें लिखने और जागरूकता फैलाने के लिए केजीएमयू लखनऊ के डाॅ. सूर्यकांत को जेरिएट्रिक सोसाइटी ऑफ इंडिया ने फेलासिप देकर सम्मानित किया है. इसके पहले फेफड़े के कैंसर के क्षेत्र में शोध के लिए डॉ. सूर्यकान्‍त बहुत से पुरस्कार (Fellowship Award) प्राप्त कर चुके हैं.

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Published : Jan 31, 2023, 12:36 PM IST

लखनऊ : श्‍वास से जुड़ी बुजुर्गों की बीमारियों (सीओपीडी, फेफड़े का कैंसर) पर शोध, पुस्‍तक लिखने और जागरूकता फैलाने जैसी उपलब्धियों के चलते किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त को जेरिएट्रिक सोसाइटी ऑफ इंडिया की फेलोशिप से सम्मानित किया गया है. जेरिएट्रिक सोसाइटी ऑफ इंडिया का मुख्य उद्देश्य शोध कार्य एवं वृद्धावस्था के लोगों के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को बेहतर करना है. डॉ. सूर्यकान्त ने बुजुर्गों में सांस सम्बंधी रोगों पर उल्लेखनीय शोध कार्य, जागरूक करने एवं सामाजिक सेवा कार्य भी किया है. बुजुर्गों में सांस की प्रमुख बीमारी सीओपीडी एवं फेफड़े का कैंसर होती है. डॉ. सूर्यकान्त ने इन दोनों विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं तथा इन्हें फेफड़े के कैंसर के क्षेत्र में शोध के लिए बहुत से पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं. हाल ही में डॉ सूर्यकान्त को विश्व के टॉप 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हुआ है. डॉ. सूर्यकान्त ने हेल्पेज इंडिया जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर बुजुर्गों के स्वास्थ्य के प्रति चेतना एवं सेवा कार्य किया है.

डॉ. सूर्यकान्त केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में 18 वर्ष से प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं एवं 11 वर्ष से विभागाध्यक्ष के पद सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इसके अलावा वे चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 19 किताबें भी लिख चुके हैं और एलर्जी, अस्थमा, टीबी एवं कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 700 शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्‍स में प्रकाशित हो चुके हैं. साथ ही 2 अंतर्राष्ट्रीय पेटेन्ट का भी उनके नाम श्रेय जाता है तथा लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक परियोजनाओं का निर्देशन, 20 फैलोशिप्स, 13 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उनके नाम ही जाता है. इससे पहले भी अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन, इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन आदि संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 फेलोशिप सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें उप्र सरकार द्वारा विज्ञान गौरव अवॉर्ड (विज्ञान के क्षेत्र में उप्र का सर्वोच्च पुरस्कार) और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा एवं उप्र हिन्दी संस्थान से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें अब तक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगभग 171 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

बता दें, डॉ. सूर्यकान्त कोविड टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ब्रांड एंबेसडर भी हैं. इसके साथ ही चेस्ट रोगों के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय संस्थाओं इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, इण्डियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी एवं नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन (एनसीसीपी) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा इण्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस प्रभाग के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. वे पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओं एवं टीवी व रेडियो के माध्यम से लोगों में एलर्जी, अस्थमा, टीबी, कैंसर जैसी बीमारी से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं.

लखनऊ : श्‍वास से जुड़ी बुजुर्गों की बीमारियों (सीओपीडी, फेफड़े का कैंसर) पर शोध, पुस्‍तक लिखने और जागरूकता फैलाने जैसी उपलब्धियों के चलते किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त को जेरिएट्रिक सोसाइटी ऑफ इंडिया की फेलोशिप से सम्मानित किया गया है. जेरिएट्रिक सोसाइटी ऑफ इंडिया का मुख्य उद्देश्य शोध कार्य एवं वृद्धावस्था के लोगों के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को बेहतर करना है. डॉ. सूर्यकान्त ने बुजुर्गों में सांस सम्बंधी रोगों पर उल्लेखनीय शोध कार्य, जागरूक करने एवं सामाजिक सेवा कार्य भी किया है. बुजुर्गों में सांस की प्रमुख बीमारी सीओपीडी एवं फेफड़े का कैंसर होती है. डॉ. सूर्यकान्त ने इन दोनों विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं तथा इन्हें फेफड़े के कैंसर के क्षेत्र में शोध के लिए बहुत से पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं. हाल ही में डॉ सूर्यकान्त को विश्व के टॉप 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हुआ है. डॉ. सूर्यकान्त ने हेल्पेज इंडिया जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर बुजुर्गों के स्वास्थ्य के प्रति चेतना एवं सेवा कार्य किया है.

डॉ. सूर्यकान्त केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में 18 वर्ष से प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं एवं 11 वर्ष से विभागाध्यक्ष के पद सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इसके अलावा वे चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 19 किताबें भी लिख चुके हैं और एलर्जी, अस्थमा, टीबी एवं कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 700 शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्‍स में प्रकाशित हो चुके हैं. साथ ही 2 अंतर्राष्ट्रीय पेटेन्ट का भी उनके नाम श्रेय जाता है तथा लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक परियोजनाओं का निर्देशन, 20 फैलोशिप्स, 13 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उनके नाम ही जाता है. इससे पहले भी अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन, इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन आदि संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 फेलोशिप सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें उप्र सरकार द्वारा विज्ञान गौरव अवॉर्ड (विज्ञान के क्षेत्र में उप्र का सर्वोच्च पुरस्कार) और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा एवं उप्र हिन्दी संस्थान से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें अब तक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगभग 171 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

बता दें, डॉ. सूर्यकान्त कोविड टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ब्रांड एंबेसडर भी हैं. इसके साथ ही चेस्ट रोगों के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय संस्थाओं इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, इण्डियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी एवं नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन (एनसीसीपी) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा इण्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस प्रभाग के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. वे पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओं एवं टीवी व रेडियो के माध्यम से लोगों में एलर्जी, अस्थमा, टीबी, कैंसर जैसी बीमारी से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं.

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