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Daughter Fee Waiver Scheme in UP : नियमावली बनने के बाद ही दूर होगा अभिभावकों का संशय - Fee Reimbursement Scheme in UP

उत्तर प्रदेश सरकार ने दो बेटियां में से एक बेटी की फीस (Daughter Fee Waiver Scheme in UP) की प्रतिपूर्ति करने की घोषणा की है. इस मद के लिए पांच करोड़ रुपये का भारी भरका बजट भी मंजूर किया है. इसके बावजूद अभिभावकों और शिक्षकों में इस योजना को लेकर तमाम संशय हैं. कहा जा रहा है कि नियमावली बनने के बाद भी संशय के बादल छंट सकेंगे.

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Published : Feb 27, 2023, 4:52 PM IST

आरटीई और फीस प्रतिपूर्ति योजना में असमंजस की स्थिति.

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस साल के शुरुआत में घोषणा की थी कि जिन परिवारों में दो बेटियां हैं उनमें से एक बेटी की फीस की प्रतिपूर्ति की जाएगी. मुख्यमंत्री की इस योजना को लेकर लोगों में काफी बेसब्री से इंतजार था. 22 फरवरी को आए यूपी के बजट में सरकार ने इस योजना को फलीभूत करने के लिए 5 करोड़ रुपये का बजट मंजूर कर दिया. बजट में सरकार ने स्ववित्तपोषित विद्यालयों में निर्धारित आय से कम आय वाले माता-पिता की दूसरी बच्ची की फीस प्रतिपूर्ति के लिए 5 करोड़ निर्धारित किया है. अब इस योजना में पैसा कम आने से लोगों में थोड़ी मायूसी हाथ लगी है.

योजना के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं : मुख्यमंत्री की इस योजना की घोषणा करने के साथ ही बजट का आवंटन तो कर दिया. पर इस योजना को किस तरह से लागू किया जाएगा और इसका लाभ किस कक्षा तक की बच्चियों कक दिया जाएगा. बजट में इसको लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. वहीं शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने पहले चरण में इस योजना के लिए बजट आवंटन किया है अब विभाग स्तर पर इसके लिए पूरी गाइडलाइन तैयार किया जाएगा. जिसमें यह तय किया जाएगा कि इस योजना के तहत केवल कक्षा 1 से 8 तक की बच्चियों को या फिर कक्षा 12 तक की बच्चियों को लाभ दिया जाए या बताना होगा. अभिभावकों का कहना है कि सरकार योजना को लागू करने के लिए जो भी गाइडलाइन बना रही है उसमें दिशा निर्देश स्पष्ट होने चाहिए.

आरटीई और फीस प्रतिपूर्ति योजना में असमंजस की स्थिति : माध्यमिक शिक्षक संघ के डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि सरकार पहले से ही प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निम्न आय वर्ग वाले अभिभावकों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की 25% सीटों पर प्रवेश देता है. योजना बनाते समय सरकार व विभाग को यह देखना होगा कि इस योजना के तहत जो अभिभावक लाभ लेना चाहते हैं, उनके बच्चों को आरटीई के तहत मिल रहे लाभ से हटकर मिले तो उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा. अगर इस योजना को भी पार्टी के सामान रखा जाता है तो अभिभावकों को मायूसी उठानी पड़ सकती है. क्योंकि वह पहले भी प्राइवेट स्कूलों की 25% सीटों पर आसानी से अपने बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्राप्त करा सकते हैं.

हालांकि सरकार ने इस बार शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो बजट दिया है. वह भी 40 करोड़ का ही है जबकि पहले से ही विद्यालयों का करोड़ों रुपये सरकार पर बकाया हैं. वहीं उत्तर प्रदेश विभाग कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अभिभावकों के हित में बहुत ही सराहनीय स्वागत योग्य निर्णय लिया गया है. जिन अभिभावकों की दो बेटियां निजी स्कूलों में अध्ययन करेंगी. उनकी एक बच्ची की फीस वापस होगी. उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले भी कई आदेश जारी किए थे, लेकिन अभी तक उन आदेशों का भी क्रियान्वयन सही से नहीं हुआ है और जो फीस ली जा रही थी या ली जा रही है. उसमें भी वह 50% अवैध रूप से वसूली की जा रही है. उत्तर प्रदेश सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए.

यह भी पढ़ें : UP Budget 2023 : प्रयागराज मामले में विधानसभा में सरकार और विपक्ष ने कही ये बड़ी बातें

आरटीई और फीस प्रतिपूर्ति योजना में असमंजस की स्थिति.

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस साल के शुरुआत में घोषणा की थी कि जिन परिवारों में दो बेटियां हैं उनमें से एक बेटी की फीस की प्रतिपूर्ति की जाएगी. मुख्यमंत्री की इस योजना को लेकर लोगों में काफी बेसब्री से इंतजार था. 22 फरवरी को आए यूपी के बजट में सरकार ने इस योजना को फलीभूत करने के लिए 5 करोड़ रुपये का बजट मंजूर कर दिया. बजट में सरकार ने स्ववित्तपोषित विद्यालयों में निर्धारित आय से कम आय वाले माता-पिता की दूसरी बच्ची की फीस प्रतिपूर्ति के लिए 5 करोड़ निर्धारित किया है. अब इस योजना में पैसा कम आने से लोगों में थोड़ी मायूसी हाथ लगी है.

योजना के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं : मुख्यमंत्री की इस योजना की घोषणा करने के साथ ही बजट का आवंटन तो कर दिया. पर इस योजना को किस तरह से लागू किया जाएगा और इसका लाभ किस कक्षा तक की बच्चियों कक दिया जाएगा. बजट में इसको लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. वहीं शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने पहले चरण में इस योजना के लिए बजट आवंटन किया है अब विभाग स्तर पर इसके लिए पूरी गाइडलाइन तैयार किया जाएगा. जिसमें यह तय किया जाएगा कि इस योजना के तहत केवल कक्षा 1 से 8 तक की बच्चियों को या फिर कक्षा 12 तक की बच्चियों को लाभ दिया जाए या बताना होगा. अभिभावकों का कहना है कि सरकार योजना को लागू करने के लिए जो भी गाइडलाइन बना रही है उसमें दिशा निर्देश स्पष्ट होने चाहिए.

आरटीई और फीस प्रतिपूर्ति योजना में असमंजस की स्थिति : माध्यमिक शिक्षक संघ के डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि सरकार पहले से ही प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निम्न आय वर्ग वाले अभिभावकों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की 25% सीटों पर प्रवेश देता है. योजना बनाते समय सरकार व विभाग को यह देखना होगा कि इस योजना के तहत जो अभिभावक लाभ लेना चाहते हैं, उनके बच्चों को आरटीई के तहत मिल रहे लाभ से हटकर मिले तो उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा. अगर इस योजना को भी पार्टी के सामान रखा जाता है तो अभिभावकों को मायूसी उठानी पड़ सकती है. क्योंकि वह पहले भी प्राइवेट स्कूलों की 25% सीटों पर आसानी से अपने बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्राप्त करा सकते हैं.

हालांकि सरकार ने इस बार शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो बजट दिया है. वह भी 40 करोड़ का ही है जबकि पहले से ही विद्यालयों का करोड़ों रुपये सरकार पर बकाया हैं. वहीं उत्तर प्रदेश विभाग कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अभिभावकों के हित में बहुत ही सराहनीय स्वागत योग्य निर्णय लिया गया है. जिन अभिभावकों की दो बेटियां निजी स्कूलों में अध्ययन करेंगी. उनकी एक बच्ची की फीस वापस होगी. उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले भी कई आदेश जारी किए थे, लेकिन अभी तक उन आदेशों का भी क्रियान्वयन सही से नहीं हुआ है और जो फीस ली जा रही थी या ली जा रही है. उसमें भी वह 50% अवैध रूप से वसूली की जा रही है. उत्तर प्रदेश सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए.

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