लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार मोटे अनाज के उत्पादन पर विशेष जोर दे रही है. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश के किसान गेहूं और धान की खेती से इतर मोटे अनाजों की खेती करने की तरफ रुख करने लगे हैं. मार्केट में मोटे अनाजों की खेती के लिए कई हाइब्रिड बीज भी आ गए हैं जो किसान को कम दिनों में ही ज्यादा उत्पादन करके देते हैं, साथ ही किसानों के चारे की समस्या भी दूर करते हैं. बाजरे की मार्केट में कई वैरायटी मौजूद है जिन्हें किसान काफी पसंद कर रहे हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि कम दिनों में यह फसल तैयार हो जाती है जिससे खेत खाली हो जाता है और किसान दूसरी फसल भी समय पर उगा लेते हैं. आज हम बाजरे के बीज की कई किस्म की वैरायटी आपको बता रहे हैं जो उत्पादन और हरे चारे की दृष्टि से किसानों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं.
मार्केटिंग मैनेजर पद्माकर सिंह ने बताया कि 'अब किसान अगर बाजरे की फसल कम दिन में उगाना चाहते हैं तो उनके पास बाजार में कई विकल्प मौजूद हैं. खासकर बाजरे की खेती के लिए. कंपनियों ने बाजरे की खेती करने के लिए हाइब्रिड बीज तैयार किए हैं जिसमें अगैती, मध्यम और लेट फसल उगाने के बीज मौजूद हैं. किसान अपनी जरूरत के मुताबिक इन बीजों का चुनाव कर सकते हैं. 70 से लेकर 80 और 90 दिनों में बाजरे की फसल तैयार कर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा सकते हैं. खास बात यह है कि यह बीज ऐसे हैं जिन पर मौसम का भी कोई असर नहीं होगा. एक एकड़ में उत्पादन भी काफी ज्यादा होता है. और यह किसान के लिए काफी फायदेमंद फसल हो सकती है. "किसान का भाला और "ताल ठोक के" नाम का हाइब्रिड बीज किसानों के लिए काफी बेहतर साबित हो रहा है.'
एमपी 7288 : ये बाजरा का बीज है जिसे "किसान का भाला" नाम से भी जानते हैं. यह 70 से 90 दिन में तैयार हो जाता है और इसकी जो खूबी है कि इसकी बाली बहुत ही ठोस होती है. ठोस इसलिए होती है क्योंकि प्रति बाली दाने की संख्या बहुत ज्यादा होती है. इसकी लंबाई भी काफी ज्यादा होती है. लगभग 30 सेंटीमीटर से ऊपर होती है. इसके साथ-साथ किसानों की जो जरूरत है वह भी यह पूरी करता है. अच्छा हरा चारा भी किसानों को मिलता है. पौधे की लंबाई लगभग साढ़े सात से आठ फीट तक होती है जिससे किसानों को भरपूर चारा मिलता है और फसल पकने तक बिल्कुल हरी रहती है. इससे किसानों को सूखा चारा नहीं बल्कि हरा चारा मिलता है. जहां तक उत्पादन की बात की जाए तो इसमें मौसम और किसान का प्रबंधन मायने रखता है. बीज की बात की जाए तो बीज में उत्पादन की क्षमता बरसात में आराम से किसान 15 से 18 कुंतल प्रति एकड़ निकाल सकते हैं, लेकिन अगर प्रबंधन अच्छा हुआ तो इससे अधिक भी उत्पादन होता है. बीज की कीमत की बात करें तो ₹400 प्रति किलो के रेट में किसान को उपलब्ध है. प्रति एकड़ डेढ़ किलो बीज लगता है. यानी कुल साढ़े छह सौ प्रति एकड़ किस का खर्च आता है.
एमपी 7171 : इसके अलावा एक और वैरायटी होती है जो सबसे कम दिन की वैरायटी है इस बीज का नाम है एमपी 7171. यह वो वैरायटी है जो किसान आलू की खेती करते हैं, सरसों लगाते हैं या फिर मटर लगाते हैं जो चाहते हैं जल्दी से उनके खेत तैयार होकर अगली फसल दे सकें, वह किसान एमपी 7171 लगाते हैं, जो सिर्फ 70 से 75 दिन में तैयार हो जाती है. जो किसान जल्दी फसल चाहते हैं उनके लिए यह बीज है. इसके भी पौधे की लंबाई काफी ज्यादा है जिससे चारा मिलता है. उत्पादन भी काफी अच्छा होता है. सभी हाइब्रिड में किसानों को अच्छा चारा मिलता है, साथ ही उत्पादन भी अच्छा होता है, जिससे यह कमाई का जरिया भी बनता है. इन हाइब्रिड बीजों की एक खासियत यह भी है कि यह उत्पादन और चारा तो ज्यादा देते ही हैं बीमारी भी नहीं लगती है.