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रामविलास को मिला 'जी विलास पसन्द' का पेटेंट, ऐसे मिली उपलब्धि - किसान रामविलास मौर्या को अमरूद के किस्म का पेटेंट मिला

राजधानी लखनऊ में किसान रामविलास मौर्य को अमरूद की उनकी किस्म 'जी विलास पसन्द' का पेटेंट प्रमाण पत्र दे दिया गया. अपनी विशेष उपलब्धि से किसान उत्साहित है.

सीआईएसएच की ओर से सौंपा गया प्रमाण पत्र.
सीआईएसएच की ओर से सौंपा गया प्रमाण पत्र.
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Published : Jan 13, 2021, 9:02 PM IST

लखनऊ: राजधानी के मलिहाबाद क्षेत्र निवासी किसान रामविलास मौर्य को अपनी वर्षों की मेहनत का नतीजा मिल गया. उन्हें अमरूद की किस्म 'जी विलास पसन्द' का पेटेंट उनके नाम होने का प्रमाण पत्र सौंप दिया गया है. अब इस किस्म पर उनका एकाधिकार हो गया है.

सीआईएसएच की ओर से सौंपा गया प्रमाण पत्र.

'जी विलास पसन्द' का राम बिलास मौर्य के नाम पेटेंट
मलिहाबाद तहसील के बुलाकिहर के रहने वाले किसान रामविलास मौर्य वर्षों से अपनी नर्सरी में अमरूद की विभिन्न किस्मों की खेती कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई किस्मों को विकसित भी किया है. इन्हीं किस्मों में से एक है 'जी विलास पसन्द'.

भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के समक्ष अमरूद की इस किस्म को पेश किया गया. किसान रामविलास ने दावा किया कि यह नई प्रजाति उन्होंने बनाई है. इसकी खोजबीन और अध्ययन करने के बाद आखिरकार विभाग ने इस किस्म को नया मानते हुए का रामविलास को इसका पेटेंट दे दिया. बुधवार को सीआईएसएच (इंडियन काउन्सिल ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च) के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने किसान को प्रमाण पत्र सौंपा और बधाई दी.

अब नहीं बिकेगा नकली जी विलास अमरूद
किसान रामविलास मौर्य और उनके काम मे हाथ बंटाने वाले उनके बड़े पुत्र सन्तोष मौर्य ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि 'जी विलास पसन्द' का पेटेंट मिलने से उनकी मेहनत सफल हुई है. कुछ लोग नकली किस्म को असली बताकर लोगों को चूना लगाते थे. इस पर अब विराम लग सकेगा.

लखनऊ: राजधानी के मलिहाबाद क्षेत्र निवासी किसान रामविलास मौर्य को अपनी वर्षों की मेहनत का नतीजा मिल गया. उन्हें अमरूद की किस्म 'जी विलास पसन्द' का पेटेंट उनके नाम होने का प्रमाण पत्र सौंप दिया गया है. अब इस किस्म पर उनका एकाधिकार हो गया है.

सीआईएसएच की ओर से सौंपा गया प्रमाण पत्र.

'जी विलास पसन्द' का राम बिलास मौर्य के नाम पेटेंट
मलिहाबाद तहसील के बुलाकिहर के रहने वाले किसान रामविलास मौर्य वर्षों से अपनी नर्सरी में अमरूद की विभिन्न किस्मों की खेती कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई किस्मों को विकसित भी किया है. इन्हीं किस्मों में से एक है 'जी विलास पसन्द'.

भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के समक्ष अमरूद की इस किस्म को पेश किया गया. किसान रामविलास ने दावा किया कि यह नई प्रजाति उन्होंने बनाई है. इसकी खोजबीन और अध्ययन करने के बाद आखिरकार विभाग ने इस किस्म को नया मानते हुए का रामविलास को इसका पेटेंट दे दिया. बुधवार को सीआईएसएच (इंडियन काउन्सिल ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च) के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने किसान को प्रमाण पत्र सौंपा और बधाई दी.

अब नहीं बिकेगा नकली जी विलास अमरूद
किसान रामविलास मौर्य और उनके काम मे हाथ बंटाने वाले उनके बड़े पुत्र सन्तोष मौर्य ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि 'जी विलास पसन्द' का पेटेंट मिलने से उनकी मेहनत सफल हुई है. कुछ लोग नकली किस्म को असली बताकर लोगों को चूना लगाते थे. इस पर अब विराम लग सकेगा.

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