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चौधरी चरण सिंह जयंती: राकेश टिकैत ने किसान घाट पहुंचकर समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

भारत देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जन्म जयंती पर किसान नेता राकेश टिकैत ने किसान घाट पहुंचकर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. आइये पढ़ें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से जींदगी से जुड़े कुछ किस्से और उनके विचार...

चौधरी चरण सिंह जयंती
चौधरी चरण सिंह जयंती
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Published : Dec 23, 2021, 12:58 PM IST

नई दिल्ली/लखनऊ: गुरुवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने नई दिल्ली स्तिथ किसान घाट पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 119 वी जन्म जयंती पर समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ के नूरपुर गांव में हुआ था. छह माह की उम्र में पिता चौधरी मीर सिंह और माता नेत्र कौर के साथ वह मेरठ के भूपगढ़ी गांव आ गए थे. जानीखुर्द की पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा और 1926 में मेरठ कॉलेज से कानून की पढ़ाई कर उन्होंने गाजियाबाद में वकालत (rakesh tikait paid floral tribute to chaudhary charan singh ) शुरू की. 1937 में छपरौली से प्रांतीय धारा सभा में चुने गए आजादी के आंदोलन में उन्होंने भाग लिया. तीन अप्रैल 1967 को मुख्यमंत्री, 1977 में सांसद बनने के बाद गृहमंत्री, 24 जनवरी 1979 को उप प्रधानमंत्री और 28 जुलाई 1979 को वह प्रधानमंत्री बने. इस महान शख्सियत का 29 मई 1987 को निधन हो गया.

राकेश टिकैत ने पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धांजलि


किसानों को दिलाई आजादी
चौधरी साहब ने सहकारी खेती (chaudhary charan singh birth anniversary) का विरोध, कृषि कर्ज माफी, जमींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार अधिनियम, चकबंदी अधिनियम लागू करने, मृदा परीक्षण, कृषि को आयकर से बाहर रखने, नहर पटरी पर चलने पर जुर्माना लगाने का ब्रिटिश कानून खत्म करने, वर्ष 1961 में वायरलेस युक्त पुलिस गश्त, किसान को (chaudhary charan singh floral tribute ) जोतबही दिलाने, कृषि उपज की अंतरराज्यीय आवाजाही पर रोक हटाने और कपड़ा मिलों को 20 प्रतिशत कपड़ा गरीबों के लिए बनवाने जैसे काम किए.

ऐसे निपटाया था पटवारियों का आंदोलन
चौधरी चरण सिंह और उनकी विरासत' पुस्तक में उल्लेख है कि 1952 में जमींदारी उन्मूलन जैसे क्रांतिकारी (farmer leader rakesh tikait tribute to chaudhary charan singh ) कदम उठाने के बाद जमींदारों और सरकार में उनके पक्षधरों के इशारे पर पटवारियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया. पटवारियों ने दबाव बनाने के लिए त्याग पत्र तक भेजे. राजस्व मंत्री की हैसियत से चौधरी साहब ने पटवारियों को इस्तीफों पर विचार करने को समय दिया, लेकिन बाद में 27 हजार पटवारियों के इस्तीफे मंजूर कर 13 हजार लेखपाल भर्ती किए. इनमें 18 फीसदी हिस्सेदारी अनुसूचित जाति को दी. शिक्षण संस्थाओं से जातियों के नाम हटवा दिए.

हिदी के थे प्रबल समर्थक
09 दिसबंर 1948 को मेरठ में हिदी साहित्य सम्मेलन के 36वें अधिवेशन में चौधरी साहब ने कहा कि हिदी व अन्य प्रांतीय भाषाओं की जननी संस्कृत है. जो लोग हिदी के राष्ट्र भाषा बनाने में सांप्रदायिकता देखते हैं, वह स्वयं सांप्रदायिकता का चश्मा पहने हैं.

इसे भी पढ़ें-प्रधानमंत्री की घोषणा का किसान आंदोलन स्थलों पर असर नहीं, एमएसपी पर जारी रहेगी लड़ाई


आज वे इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन चौधरी चरण सिंह के विचार (Chaudhary Charan Singh Quotes) हमेशा जीवित हैं.
आइए एक नजर डालते हैं, चौधरी चरण सिंह के विचारों पर...

  • असली भारत गांवों में रहता है.
  • देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है.
  • राष्ट्र तभी संपन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो.
  • जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे. वो देश कभी, चाहे कोई भी लीडर आ जाये, चाहे कितना ही अच्छा प्रोग्राम चलाओ … वो देश तरक्की नहीं कर सकता.
  • किसान इस देश का मालिक है, परन्तु वह अपनी ताकत को भूल बैठा है.
  • चौधरी का मतलब, जो हल की चऊं को धरा पर चलाता है.
  • किसानों की दशा सुधरेगी तो देश सुधरेगा.

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नई दिल्ली/लखनऊ: गुरुवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने नई दिल्ली स्तिथ किसान घाट पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 119 वी जन्म जयंती पर समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ के नूरपुर गांव में हुआ था. छह माह की उम्र में पिता चौधरी मीर सिंह और माता नेत्र कौर के साथ वह मेरठ के भूपगढ़ी गांव आ गए थे. जानीखुर्द की पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा और 1926 में मेरठ कॉलेज से कानून की पढ़ाई कर उन्होंने गाजियाबाद में वकालत (rakesh tikait paid floral tribute to chaudhary charan singh ) शुरू की. 1937 में छपरौली से प्रांतीय धारा सभा में चुने गए आजादी के आंदोलन में उन्होंने भाग लिया. तीन अप्रैल 1967 को मुख्यमंत्री, 1977 में सांसद बनने के बाद गृहमंत्री, 24 जनवरी 1979 को उप प्रधानमंत्री और 28 जुलाई 1979 को वह प्रधानमंत्री बने. इस महान शख्सियत का 29 मई 1987 को निधन हो गया.

राकेश टिकैत ने पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धांजलि


किसानों को दिलाई आजादी
चौधरी साहब ने सहकारी खेती (chaudhary charan singh birth anniversary) का विरोध, कृषि कर्ज माफी, जमींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार अधिनियम, चकबंदी अधिनियम लागू करने, मृदा परीक्षण, कृषि को आयकर से बाहर रखने, नहर पटरी पर चलने पर जुर्माना लगाने का ब्रिटिश कानून खत्म करने, वर्ष 1961 में वायरलेस युक्त पुलिस गश्त, किसान को (chaudhary charan singh floral tribute ) जोतबही दिलाने, कृषि उपज की अंतरराज्यीय आवाजाही पर रोक हटाने और कपड़ा मिलों को 20 प्रतिशत कपड़ा गरीबों के लिए बनवाने जैसे काम किए.

ऐसे निपटाया था पटवारियों का आंदोलन
चौधरी चरण सिंह और उनकी विरासत' पुस्तक में उल्लेख है कि 1952 में जमींदारी उन्मूलन जैसे क्रांतिकारी (farmer leader rakesh tikait tribute to chaudhary charan singh ) कदम उठाने के बाद जमींदारों और सरकार में उनके पक्षधरों के इशारे पर पटवारियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया. पटवारियों ने दबाव बनाने के लिए त्याग पत्र तक भेजे. राजस्व मंत्री की हैसियत से चौधरी साहब ने पटवारियों को इस्तीफों पर विचार करने को समय दिया, लेकिन बाद में 27 हजार पटवारियों के इस्तीफे मंजूर कर 13 हजार लेखपाल भर्ती किए. इनमें 18 फीसदी हिस्सेदारी अनुसूचित जाति को दी. शिक्षण संस्थाओं से जातियों के नाम हटवा दिए.

हिदी के थे प्रबल समर्थक
09 दिसबंर 1948 को मेरठ में हिदी साहित्य सम्मेलन के 36वें अधिवेशन में चौधरी साहब ने कहा कि हिदी व अन्य प्रांतीय भाषाओं की जननी संस्कृत है. जो लोग हिदी के राष्ट्र भाषा बनाने में सांप्रदायिकता देखते हैं, वह स्वयं सांप्रदायिकता का चश्मा पहने हैं.

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आज वे इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन चौधरी चरण सिंह के विचार (Chaudhary Charan Singh Quotes) हमेशा जीवित हैं.
आइए एक नजर डालते हैं, चौधरी चरण सिंह के विचारों पर...

  • असली भारत गांवों में रहता है.
  • देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है.
  • राष्ट्र तभी संपन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो.
  • जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे. वो देश कभी, चाहे कोई भी लीडर आ जाये, चाहे कितना ही अच्छा प्रोग्राम चलाओ … वो देश तरक्की नहीं कर सकता.
  • किसान इस देश का मालिक है, परन्तु वह अपनी ताकत को भूल बैठा है.
  • चौधरी का मतलब, जो हल की चऊं को धरा पर चलाता है.
  • किसानों की दशा सुधरेगी तो देश सुधरेगा.

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