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देसी पद्धति की कृषि खेती से किसानों की आय होगी दोगुनी: उप कृषि निदेशक

यूपी के लखनऊ में किसानों को खाद-बीज की गुणवत्ता के बारे में जागरूक किया गया. इस दौरान किसानों को खेती की देखभाल करने और आय को दोगुना करने के लिए टिप्स भी दिए गए. मेले का आयोजन आत्मा योजना के तहत किया गया.

उप कृषि निदेशक डॉक्टर सीपी श्रीवास्तव
उप कृषि निदेशक डॉक्टर सीपी श्रीवास्तव
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Published : Dec 12, 2020, 7:01 PM IST

लखनऊः किसानों की आय दोगुनी करने और किसानों को खाद बीज की गुणवत्ता के बारे में जागरूक करने के लिए राजधानी में किसान मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में आए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने खेती की देखभाल के टिप्स दिए. इस मेले का आयोजन 'आत्मा योजना' का अतंर्गत किया गया है. इस दौरान किसानों ने भी अपनी समस्याओं के बारे में कृषि अधिकारियों से जानकारी ली.

खाद-बीज की गुणवत्ता के बारे में किसानों को किया जागरूक.

'आत्मा योजना' के तहत आयोजित हुआ मेला
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उप कृषि निदेशक डॉक्टर सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि 'आत्मा योजना' के अंतर्गत किसान मेले का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम के माध्यम से एक बात निकल कर सामने आई है कि धान-गेहूं की खेती से ही किसान समृद्धशाली नहीं हो सकता है. किसानों को धान गेहूं की खेती के साथ-साथ उद्यमी बनना होगा. इसके लिए उन्हें फूलों की खेती, बागवानी, अंडे की खेती, मछली पालन, कुकुट पालन का काम करना होगा.

देसी पद्धति से आगे बढ़ेगी खेती
उप कृषि निदेशक डॉक्टर सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि देसी पद्धति से किसानों की खेती को आगे बढ़ाया जाएगा और तभी किसान लाभान्वित होंगे. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर जीरो बजट की खेती के बारे में किसानों को बताया जाए, जिसमें किसान जीवामृत का प्रयोग कर अपनी खेती से मुनाफा कमा सकते हैं.

ऐसे बनता है जीवामृत
उप कृषि निदेशक ने बताया कि जीवामृत तैयार करने के लिए गाय के गोबर और गाय के मूत्र की आवश्यकता होती है. इसमें आधा किलो गुड़ और आधा किलो बेसन का प्रयोग भी किया जाता है. ऐसा करने से एक एकड़ की खेती के लिए प्राकृतिक खाद तैयार हो सकता है. निश्चित रूप से इससे किसानों की आय दोगुनी होने में भी मदद मिलेगी.

लखनऊः किसानों की आय दोगुनी करने और किसानों को खाद बीज की गुणवत्ता के बारे में जागरूक करने के लिए राजधानी में किसान मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में आए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने खेती की देखभाल के टिप्स दिए. इस मेले का आयोजन 'आत्मा योजना' का अतंर्गत किया गया है. इस दौरान किसानों ने भी अपनी समस्याओं के बारे में कृषि अधिकारियों से जानकारी ली.

खाद-बीज की गुणवत्ता के बारे में किसानों को किया जागरूक.

'आत्मा योजना' के तहत आयोजित हुआ मेला
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उप कृषि निदेशक डॉक्टर सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि 'आत्मा योजना' के अंतर्गत किसान मेले का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम के माध्यम से एक बात निकल कर सामने आई है कि धान-गेहूं की खेती से ही किसान समृद्धशाली नहीं हो सकता है. किसानों को धान गेहूं की खेती के साथ-साथ उद्यमी बनना होगा. इसके लिए उन्हें फूलों की खेती, बागवानी, अंडे की खेती, मछली पालन, कुकुट पालन का काम करना होगा.

देसी पद्धति से आगे बढ़ेगी खेती
उप कृषि निदेशक डॉक्टर सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि देसी पद्धति से किसानों की खेती को आगे बढ़ाया जाएगा और तभी किसान लाभान्वित होंगे. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर जीरो बजट की खेती के बारे में किसानों को बताया जाए, जिसमें किसान जीवामृत का प्रयोग कर अपनी खेती से मुनाफा कमा सकते हैं.

ऐसे बनता है जीवामृत
उप कृषि निदेशक ने बताया कि जीवामृत तैयार करने के लिए गाय के गोबर और गाय के मूत्र की आवश्यकता होती है. इसमें आधा किलो गुड़ और आधा किलो बेसन का प्रयोग भी किया जाता है. ऐसा करने से एक एकड़ की खेती के लिए प्राकृतिक खाद तैयार हो सकता है. निश्चित रूप से इससे किसानों की आय दोगुनी होने में भी मदद मिलेगी.

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