लखनऊः सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय लखनऊ में किसान एवं सिख समाज के प्रतिनिधिमंडल से भेंट के उपरांत उन्हें संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा कुप्रचार करती रहती है. समाजवादी पार्टी के बारे में बेबुनियाद ऊलूल-जुलूल बातें फैलाई जा रही हैं. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को बयान जारी करते हुए कबा कि भाजपा षडयंत्रकारी और भ्रष्टाचारी है.
भाजपा सरकार में अंधेरगर्दी का बोलबाला है. जनता भाजपा से खुश नहीं है. समाज का हर वर्ग असंतुष्ट और दुखी है और समाज में नफरत फैलाई जा रही है. भाजपा सरकार के कारनामों के कारण जनता ने भी तय कर लिया है कि वह सन् 2024 में भाजपा सरकार की विदाई अवश्य करेगी.
अखिलेश यादव ने कहा कि सन विधानसभा चुनाव 2022 में धांधली की गई. हजारों समाजवादी पार्टी समर्थकों के वोट नहीं पड़ने पाए. समाजवादी सरकार में निवेश भी आया था और विकास कार्य भी हुए थे, लेकिन भाजपा सरकार ने बदले की भावना से समाजवादी सरकार में हुए तमाम विकासकार्यों और योजनाओं पर रोक लगा दी, कुछ कार्यों के नाम बदल दिए गए, तो कुछ विकास कार्यों को बर्बाद कर दिया गया है. आज उत्तर प्रदेश विकासकार्यों में पूरी तरह से पिछड़ गया है.
बिजनौर जनपद के कपिल कुमार ने बताया कि बढ़ापुर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत 17 गांवो की संपूर्ण भूमि किसानों के नाम से खारिज कर द्वेषवश सरकारी घोषित कर दी गई है, जबकि किसान 70 वर्षों से काबिज हैं. भाजपा सरकार लघु किसानों को भूमाफिया जैसे संगीन मुकदमों में फंसाने का डर दिखाकर उनकी खड़ी फसलें जुतवा रही है. इससे क्षेत्र की जनता में डर का माहौल बना हुआ है.
पढ़ेंः आजादी की लड़ाई से लेकर राम मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक व्यक्त किया
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने द्वारिकापीठ और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने पर गहरा शोक जताते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है. अखिलेश यादव ने कहा कि स्वामी जी के निधन से भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत के एक विशिष्ट विद्वान को हमने खो दिया है. स्वामी जी धर्म के मर्म को समझते हुए भारतीय जनजीवन को नए मूल्यों से अनुप्राणित करने वालों में थे.
पढ़ेंः शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का था काशी से गहरा नाता, बड़े आंदोलनों की रूपरेखा यही खींची थी