लखनऊ : लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र में स्थित पारिवारिक न्यायालय में रोजाना 50 से अधिक नए के तलाक मामले दर्ज होते हैं. तलाक की इन अर्जियों में बहुत सी अर्जियां पत्नी की तरफ से होती हैं. एसडीएम ज्योति मौर्या और उनके पति आलोक मौर्या का मामला पारिवारिक न्यायालय में न होकर पहले समाज के कठघरे में पहुंच गया है. इस मामले ने इतनी सुर्खियां बटोर ली हैं, कि बहुत से लोगों ने किसी परीक्षा की तैयारी कर रहीं अपनी पत्नियों को घर वापस बुला लिया. अब यह नारा सोशल मीडिया में चर्चित हो गया है कि 'बेटी पढ़ाओ, पत्नी नहीं'.
लखनऊ पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि परिवारिक न्यायालय में हमेशा से इस तरह के मामले आते रहे हैं. यह पहला ऐसा मामला है जो सोशल मीडिया पर इतना ज्यादा वायरल हुआ. इस तरह से नहीं होना चाहिए. महिला की प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए कानूनी तौर पर प्रक्रिया होनी चाहिए. बहुत सारे ऐसे किए जाते हैं जिसमें पति-पत्नी को या पत्नी-पति को योग्य व्यक्ति बनाते हैं. बाद में वही साथी उन्हें धोखा दे देता है. रोजाना परिवारिक न्यायालय में 50 से 100 नई केस दर्ज होते हैं. जिनमें से 25 से 30 केस इसी तरह से होते हैं. जिसमें पति ने एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी कर ली या पति ने पत्नी को पढ़ाया लिखाया. पत्नी का कहीं किसी और के साथ अफेयर रहा.
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि अभी एक केस बलिया जिला का आया है. जिसे मैं देख रहा हूं. ऐसा नहीं है कि स्तर के केस पहले नहीं आते थे. बस जगजाहिर नहीं हुए. बलिया जिले के इस मामले में पत्नी ने पति को पढ़ाया. पत्नी ने पति का पूरा सहयोग किया. मानसिक और आर्थिक तौर पर भी पत्नी ने पति को सहारा दिया, लेकिन वही पति जब उस लायक बन गया उस समय पति ने पत्नी को छोड़ने का मन बनाया. पति का कहीं अफेयर हो गया. इसके बाद साथ छोड़ने का कारण यह बताया कि पत्नी उसके योग्य नहीं है.
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बात यहां सोचने लायक है कि जिस पत्नी ने पति को एक योग्य व्यक्ति बनाया वही पति बोल रहा है कि वह पत्नी उसके योग्य नहीं है. इस तरह के बहुत से केस पारिवारिक न्यायालय में आते रहे हैं और भविष्य में भी आते रहेंगे. इस केस में मैं पत्नी की तरफ से लड़ रहा हूं. यह केस बिल्कुल एसडीएम ज्योति मौर्य और आलोक मौर्य से मिलता जुलता है. बस इस केस में पति ने नहीं बल्कि पत्नी ने पति को पढ़ाया था. फिलहाल यह केस अभी परिवारिक न्यायालय में चल रहा है. अभी तलाक नहीं हुआ.
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