लखनऊ : सड़कों पर वाहन न खड़ी करने को सरकार ने निर्देश दिए तो ठग खाकी वर्दी पहनकर लोगों को ठगने का नया तरीका अपना लिया. बीते दिनों राजधानी और उसके आसपास के कई जिलों में पुलिस बन कर अपराधियों ने हाईवे पर खड़े वाहनों को उड़ा ले गए. इसके लिए वे यूपी के मुख्यमंत्री की सख्ती का हवाला देते हैं और नियम का डर दिखाकर महंगे वाहनों पर हाथ साफ कर दे रहे हैं. हालांकि पुलिस ऐसे गैंग के कई सदस्यों को गिरफ्त में ले चुकी है. इसके बावजूद ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लग नहीं पा रहा है.
केस एक : राजधानी के निरालानगर के रहने वाले आशीष तिवारी के मुताबिक 14 जनवरी को वो पिकअप डाला में चावल लाद कर गोंडा में सप्लाई करने के लिए निकले थे. रात 12 बजे वह आराम करने के लिए फैजाबाद रोड पर गाड़ी सड़क किनारे खड़ी कर दी. इस दौरान पुलिस की वर्दी में एक युवक आया और हाईवे के किनारे गाड़ी खड़ी करने की वजह पूछी. पुलिस की वर्दी वाले व्यक्ति ने कहा कि तुमने सरकार के नियम का उल्लंघन किया है. मेरे साथ थाने चलना होगा. इसके बाद मैं उसकी बाइक में बैठ गया. गोमतीनगर पहुंचने पर पुलिसवाले ने दस्ताना गिर जाने और उसे उठाने के लिए मुझे बाइक से उतार दिया. मेरे उतरते ही बाइक सवार पुलिसकर्मी भाग गया. इसके बाद आशीष भागते हुए अपनी गाड़ी के पास पहुंचा तो देखा वहां से उसका पिकप डाला गायब था. | केस दो : कमोबेश ऐेसी यही घटना लखनऊ-बाराबंकी सीमा पर बीबीडी थाना अंतर्गत हुई. डाला में फर्नीचर लेकर बस्ती जा रहे युवक के साथ जालसाजों ने ठगी कर ली. सीतापुर के रहने वाले मुख्तार ने जानकीपुरम से एक घर से फर्नीचर अपनी गाड़ी में रखा और बस्ती के लिए निकला था. लखनऊ बाराबंकी बॉर्डर पर आराम करने के इरादे से गाड़ी की सड़क किनारे लगाकर सो गया. इसी बीच बाइक से दो युवक आए. उनमें एक ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी, बोला कि क्या तुम्हें नहीं मालूम गाड़ी को हाईवे के किनारे खड़ी करना अपराध है. यह सुन कर मुख्तार ने माफी मांगी, लेकिन बाइक सवार युवक ने बात नहीं सुनी और थाने चलने की बात कह कर उसे अपनी बाइक में बैठा लिया. साथ में आए युवक को डाले के पास ही छोड़ दिया. करीब एक किलोमीटर दूर ले जाकर पेशाब करने के बहाने उसे उतार भाग गया. मुख्तार वापस गया तो गाड़ी गायब थी. |
ये दो घटनाएं महज बानगी भर हैं. अलग-अलग जिलों में ऐसे अपराधी पुलिस की वर्दी पहने लोगों को रोजाना ठग रहे हैं. कभी महिलाओं को सरकारी योजना का लाभ बता कर तो कभी बुजर्गों को किसी अपराधी का डर दिखा उनके गहने उतरवाकर रफूचक्कर हो जा रहे हैं. अक्सर लोग पूछताछ करने वाले से उनके पुलिस होने का सबूत मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं. लिहाज इसी डर का फायदा अपराधी उठा रहे हैं. |
नकली पुलिसवालों के हैं राजसी ठाठ : पुलिस बन कर लोगों के जेवर, पैसे व गाड़ी उड़ा ले जाने वाले ईरानी गैंग घटना करने से पहले अच्छे तरीके से रेकी करते हैं. वह उन्हीं वारदातों को अंजाम देते हैं, जहां सीसीटीवी कैमरे लगे नहीं होते हैं. इसके साथ ही पुलिस के सक्रिय होने से पहले ही तीन से चार घटनाओं को अंजाम देकर दूसरे जिले चले जाते हैं. ईरानी गैंग मुख्य रूप से मुंबई, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली और एमपी में सक्रिय है. मुंबई में इनके 250 से ज्यादा परिवार रहते हैं. उत्तराखंड व यूपी में भी 100 से अधिक परिवार रह रहे हैं. इस गैंग के लोग एक दूसरे राज्य जाते हैं, वहां महंगे होटलों में रुकते हैं फिर 3-4 घटनाओं को अंजाम देने के बाद दूसरे जिले चले जाते हैं. गैग के सदस्य एक से दूसरे शहर जाने के लिए चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. गैंग का सरगना हवाई यात्रा करता है.