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ऑटो में नहीं है फेयर मीटर का नामोनिशां, तय किराया वसूल रहे चालक

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Published : Feb 6, 2021, 11:10 PM IST

यूपी की राजधानी में संचालित हो रहे ऑटो चालक बिना फेयर मीटर के ही किराया वसूल रहे हैं. राजधानी में चल रहे ऑटो में से अधिकांश में फेयर मीटर लगा ही नहीं है. फेयर मीटर को लेकर ईटीवी भारत ने राजधानी में पड़ताल की. देखिए ये रिपोर्ट...

फेयर मीटर को लेकर ईटीवी भारत ने की पड़ताल.
फेयर मीटर को लेकर ईटीवी भारत ने की पड़ताल.

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हजारों ऑटो संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर ऑटो में फेयर मीटर का नामों निशां नहीं है, फेयर मीटर से किराया वसूली तो दूर की बात है. 'ईटीवी भारत' ने शहर में संचालित हो रहे ऑटो में 'फेयर मीटर' की पड़ताल की तो सामने आया कि राजधानी में ऑटो बिना फेयर मीटर के ही दौड़ रहे हैं. जब मेट्रोलॉजी विभाग से इस बारे में जानकारी हासिल की गई तो पता चला कि पिछले दो वित्तीय वर्षों में ऑटो का अंदर फेयर मीटर की संख्या 500 से कुछ ही ज्यादा पहुंच पाई है. ऐसे में मेट्रोलॉजी विभाग की तरफ से ऑटो मीटर को सील का सवाल पैदा ही नहीं होता है.

फेयर मीटर को लेकर ईटीवी भारत ने की पड़ताल.
फेयर मीटर से फेयर मंजूर नहीं
राजधानी के ऑटो में अगर फेयर मीटर लगा हो तो किराए के लिए रोजाना यात्रियों और चालक के बीच झगड़े होते हैं, उससे मुक्ति मिल जाए. इसकी वजह है कि मीटर जितना चलेगा यात्री को उतना ही किराया देना होगा. इससे यात्री और चालक दोनों में अनबन की स्थिति ही पैदा नहीं होगी. हालांकि लखनऊ में जितने भी ऑटो चल रहे हैं वह बिना फेयर मीटर के ही हैं. इनके चालकों का कहना है कि जब फेयर मीटर लग जाएगा तो किराया काफी ज्यादा बढ़ जाएगा. ऐसे में यात्रियों से किराए को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ जाएगा. यात्री अभी भी एक-एक रुपये को लेकर झगड़ा करते हैं.जब मीटर के हिसाब से किराया वसूला जाएगा तो ज्यादा किराए की वजह से यात्री ऑटो से चलना ही छोड़ देंगे. ऑटो चालकों के मुताबिक, इस कारण भी बिना फेयर मीटर के ही ऑटो संचालित किए जा रहे हैं.
शहर में दौड़ रहे 4000 अधिकृत ऑटो
लखनऊ शहर की बात की जाए तो यहां पर अधिकृत ऑटो की संख्या तकरीबन 4000 है. वहीं अनाधिकृत तौर पर भी 1500 से ज्यादा ऑटो रिक्शा संचालित हो रहे हैं. इनमें से ज्यादातर ऑटो में फेयर मीटर लगा ही नहीं है. जिनमें लगा भी है तो फेयर मीटर के हिसाब से फेयर नहीं वसूला जा रहा है. ऐसे में बिना फेयर मीटर से चल रहे ऑटो में फेयर की जांच करने या फिर मीटर चेक करने का सवाल ही पैदा नहीं हो रहा है.
फेयर मीटर सील और चेक करने की जिम्मेदारी विधिक माप विज्ञान विभाग की
ऑटो में वैसे तो परिवहन विभाग की गाइडलाइन के मुताबिक फेयर मीटर लगा होना अनिवार्य है. इन फेयर मीटर की सीलिंग जांचने की जिम्मेदारी विधिक माप विज्ञान विभाग की है. ऑटो रिक्शा में लगे मीटर खराब पाए जाने की दशा में सील करना विधिक माप विज्ञान विभागके महत्वपूर्ण कार्य में से एक है. परिवहन विभाग की तरफ से तय किए गए किराए के अनुसार हीविधिक माप विज्ञान विभाग ऑटो मीटर को सील और कैलीब्रेट करता है, लेकिन जब शहर में बिना फेयर मीटर ही ऑटो संचालित हो रहे हैं तो फिर मेट्रोलॉजी विभाग का काम भी काफी कम ही है.
क्या कहते हैं शहर के ऑटो चालक
'ईटीवी भारत' ने ऑटो में फेयर मीटर न लगाने और फेयर मीटर के हिसाब से किराया नहीं वसूलने के कारणों की पड़ताल की. इसे लेकर चालक सलीम, इरफान, रुस्तम और इमरान का कहना है कि शहर में चल रहे ऑटो में फेयर मीटर लगे ही नहीं हैं तो मीटर से किराया कैसे वसूला जाए? परिवहन विभाग की तरफ से भी कोई ऐसा आदेश नहीं है कि फेयर मीटर से किराया लेना है. दूसरी बात यात्री यहां पर थोड़े से ही किराए के लिए झगड़ा करते हैं. अगर फेयर मीटर से किराया लिया जाने लगा तो झगड़े और बढ़ जाएंगे. उनका यह भी कहना है कि नया ऑटो खरीदने पर फेयर मीटर तो लगा होता है लेकिन हटा कर रख लेते हैं. जब फिटनेस कराने जाते हैं तो मीटर लगा लेते हैं और फिटनेस हो जाती है. उनका यह भी कहना है कि जबसे बैटरी रिक्शा चलने लगे हैं ऑटो को सवारियां वैसे ही नहीं मिल रही है. फेयर मीटर लगने से समस्याएं और भी बढ़ जाएंगी.
जब तक किराया संशोधित नहीं तब तक मीटर से वसूली नहीं
इस बारे में जबलखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहर में संचालित ऑटो में फेयर मीटर तो लगे हैं, लेकिन विधिक माप विज्ञान विभाग इनकी सीलिंग और जांच नहीं करता है. हर साल जब आरटीओ में ऑटो की फिटनेस होती है तो मीटर चेक किया जाता है. फेयर मीटर से किराया इसलिए भी नहीं वसूला जा रहा है क्योंकि 2014 से ऑटो का किराया संशोधित ही नहीं हुआ है. परिवहन विभाग को इसके लिए दर्जनों बार पत्र लिखा जा चुका है. जब तक संशोधित किराया लागू नहीं होता है तब तक फेयर मीटर से ऑटो में किराया वसूल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सात साल से किराया संशोधित किया ही नहीं गया है.
विधिक माप विज्ञान विभाग का क्या है तर्क
विधिक माप विज्ञान विभाग विधिक माप विज्ञान विभाग के सहायक नियंत्रक कुमार नीरज सिंह का कहना है कि ऑटो में फेयर मीटर लग रहे हैं. हमारे पास मीटर सील करने की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि आंकड़ों की बात करें तो 2019-20 में 317 फेयर मीटर का सत्यापन किया गया. वहीं वर्ष 2020-21 में 259 फेयर मीटर सत्यापित हुए. कुल 576 ऑटो में फेयर मीटर सत्यापित हुए हैं. उनका कहना है कि यह आंकड़ा और भी बढ़ता, लेकिन कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सका. उन्होंने बताया वह इसके लिए अब प्रयास तेज करेंगे. उन्होंने बताया कि विभाग के पास बेंच टेस्टिंग और रोड टेस्टिंग की व्यवस्था है.

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हजारों ऑटो संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर ऑटो में फेयर मीटर का नामों निशां नहीं है, फेयर मीटर से किराया वसूली तो दूर की बात है. 'ईटीवी भारत' ने शहर में संचालित हो रहे ऑटो में 'फेयर मीटर' की पड़ताल की तो सामने आया कि राजधानी में ऑटो बिना फेयर मीटर के ही दौड़ रहे हैं. जब मेट्रोलॉजी विभाग से इस बारे में जानकारी हासिल की गई तो पता चला कि पिछले दो वित्तीय वर्षों में ऑटो का अंदर फेयर मीटर की संख्या 500 से कुछ ही ज्यादा पहुंच पाई है. ऐसे में मेट्रोलॉजी विभाग की तरफ से ऑटो मीटर को सील का सवाल पैदा ही नहीं होता है.

फेयर मीटर को लेकर ईटीवी भारत ने की पड़ताल.
फेयर मीटर से फेयर मंजूर नहीं
राजधानी के ऑटो में अगर फेयर मीटर लगा हो तो किराए के लिए रोजाना यात्रियों और चालक के बीच झगड़े होते हैं, उससे मुक्ति मिल जाए. इसकी वजह है कि मीटर जितना चलेगा यात्री को उतना ही किराया देना होगा. इससे यात्री और चालक दोनों में अनबन की स्थिति ही पैदा नहीं होगी. हालांकि लखनऊ में जितने भी ऑटो चल रहे हैं वह बिना फेयर मीटर के ही हैं. इनके चालकों का कहना है कि जब फेयर मीटर लग जाएगा तो किराया काफी ज्यादा बढ़ जाएगा. ऐसे में यात्रियों से किराए को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ जाएगा. यात्री अभी भी एक-एक रुपये को लेकर झगड़ा करते हैं.जब मीटर के हिसाब से किराया वसूला जाएगा तो ज्यादा किराए की वजह से यात्री ऑटो से चलना ही छोड़ देंगे. ऑटो चालकों के मुताबिक, इस कारण भी बिना फेयर मीटर के ही ऑटो संचालित किए जा रहे हैं.
शहर में दौड़ रहे 4000 अधिकृत ऑटो
लखनऊ शहर की बात की जाए तो यहां पर अधिकृत ऑटो की संख्या तकरीबन 4000 है. वहीं अनाधिकृत तौर पर भी 1500 से ज्यादा ऑटो रिक्शा संचालित हो रहे हैं. इनमें से ज्यादातर ऑटो में फेयर मीटर लगा ही नहीं है. जिनमें लगा भी है तो फेयर मीटर के हिसाब से फेयर नहीं वसूला जा रहा है. ऐसे में बिना फेयर मीटर से चल रहे ऑटो में फेयर की जांच करने या फिर मीटर चेक करने का सवाल ही पैदा नहीं हो रहा है.
फेयर मीटर सील और चेक करने की जिम्मेदारी विधिक माप विज्ञान विभाग की
ऑटो में वैसे तो परिवहन विभाग की गाइडलाइन के मुताबिक फेयर मीटर लगा होना अनिवार्य है. इन फेयर मीटर की सीलिंग जांचने की जिम्मेदारी विधिक माप विज्ञान विभाग की है. ऑटो रिक्शा में लगे मीटर खराब पाए जाने की दशा में सील करना विधिक माप विज्ञान विभागके महत्वपूर्ण कार्य में से एक है. परिवहन विभाग की तरफ से तय किए गए किराए के अनुसार हीविधिक माप विज्ञान विभाग ऑटो मीटर को सील और कैलीब्रेट करता है, लेकिन जब शहर में बिना फेयर मीटर ही ऑटो संचालित हो रहे हैं तो फिर मेट्रोलॉजी विभाग का काम भी काफी कम ही है.
क्या कहते हैं शहर के ऑटो चालक
'ईटीवी भारत' ने ऑटो में फेयर मीटर न लगाने और फेयर मीटर के हिसाब से किराया नहीं वसूलने के कारणों की पड़ताल की. इसे लेकर चालक सलीम, इरफान, रुस्तम और इमरान का कहना है कि शहर में चल रहे ऑटो में फेयर मीटर लगे ही नहीं हैं तो मीटर से किराया कैसे वसूला जाए? परिवहन विभाग की तरफ से भी कोई ऐसा आदेश नहीं है कि फेयर मीटर से किराया लेना है. दूसरी बात यात्री यहां पर थोड़े से ही किराए के लिए झगड़ा करते हैं. अगर फेयर मीटर से किराया लिया जाने लगा तो झगड़े और बढ़ जाएंगे. उनका यह भी कहना है कि नया ऑटो खरीदने पर फेयर मीटर तो लगा होता है लेकिन हटा कर रख लेते हैं. जब फिटनेस कराने जाते हैं तो मीटर लगा लेते हैं और फिटनेस हो जाती है. उनका यह भी कहना है कि जबसे बैटरी रिक्शा चलने लगे हैं ऑटो को सवारियां वैसे ही नहीं मिल रही है. फेयर मीटर लगने से समस्याएं और भी बढ़ जाएंगी.
जब तक किराया संशोधित नहीं तब तक मीटर से वसूली नहीं
इस बारे में जबलखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहर में संचालित ऑटो में फेयर मीटर तो लगे हैं, लेकिन विधिक माप विज्ञान विभाग इनकी सीलिंग और जांच नहीं करता है. हर साल जब आरटीओ में ऑटो की फिटनेस होती है तो मीटर चेक किया जाता है. फेयर मीटर से किराया इसलिए भी नहीं वसूला जा रहा है क्योंकि 2014 से ऑटो का किराया संशोधित ही नहीं हुआ है. परिवहन विभाग को इसके लिए दर्जनों बार पत्र लिखा जा चुका है. जब तक संशोधित किराया लागू नहीं होता है तब तक फेयर मीटर से ऑटो में किराया वसूल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सात साल से किराया संशोधित किया ही नहीं गया है.
विधिक माप विज्ञान विभाग का क्या है तर्क
विधिक माप विज्ञान विभाग विधिक माप विज्ञान विभाग के सहायक नियंत्रक कुमार नीरज सिंह का कहना है कि ऑटो में फेयर मीटर लग रहे हैं. हमारे पास मीटर सील करने की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि आंकड़ों की बात करें तो 2019-20 में 317 फेयर मीटर का सत्यापन किया गया. वहीं वर्ष 2020-21 में 259 फेयर मीटर सत्यापित हुए. कुल 576 ऑटो में फेयर मीटर सत्यापित हुए हैं. उनका कहना है कि यह आंकड़ा और भी बढ़ता, लेकिन कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सका. उन्होंने बताया वह इसके लिए अब प्रयास तेज करेंगे. उन्होंने बताया कि विभाग के पास बेंच टेस्टिंग और रोड टेस्टिंग की व्यवस्था है.
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