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budget 2023: जानिए केंद्रीय बजट को कैसे देखते हैं विशेषज्ञ, इसमें क्या है आम आदमी के लिए

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आखिरकार संसद में बजट पेश कर दिया है. इसी को लेकर ईटीवी भारत के यूपी ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी ने वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों प्रोफेसर एपी तिवारी और डॉ मनीष हिंदवी से खास परिचर्चा की.

Experts opinion on Union Budget 2023
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Published : Feb 1, 2023, 7:08 PM IST

Updated : Feb 1, 2023, 11:18 PM IST

जानिए केंद्रीय बजट को कैसे देखते हैं विशेषज्ञ

लखनऊ : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में बजट पेश किया. इस बजट को लेकर लोगों में बड़ी उत्सुकता है. करदाताओं, नौकरीपेशा लोगों, व्यवसाइयों, महिलाओं, किसानों और आम आदमी के लिए यह बजट कैसा है? लोगों को इससे क्या लाभ है? यह जानने के लिए हमने बात की दो वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों प्रोफेसर एपी तिवारी और डॉ मनीष हिंदवी से. देखिए यह पूरी परिचर्चा.

परिचर्चा का आरंभ करते हुए हमने प्रोफेसर एपी तिवारी से पूछा कि यदि एक आम आदमी इस बजट के विषय में जानना चाहिए कि उसके लिए क्या है, तो आप क्या कहेंगे? इस पर प्रोफेसर तिवारी कहते हैं 'जहां तक आम बजट पर आम आदमी पर पड़ने वाले असर की बात है, तो हम यह मान सकते हैं कि यदि बजट प्रावधानों से विकास की दर बढ़ती है, तो उसका असर आम आदमी पर भी जाएगा. यदि उत्पादन बढ़ेगा तो कीमतें रुकेंगी और महंगाई थमेगी. यदि महंगाई कम होती है, तो इसका लाभ सीधे आम आदमी को जाएगा.' मुफ्त अनाज दिए जाने की योजना को आगे बढ़ाए जाने पर वह कहते हैं 'कोई भूखा न रहे, यह एक लक्ष्य है सरकार का. इसका भी लाभ आम आदमी और किसानों को ही मिलेगा. किसानों के लिए भंडारण क्षमता बढ़ाने और मछुआरों को लाभ दिए जाने की योजनाएं भी इस बजट में शामिल हैं.' उन्होंने कहा कि 'इन योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए एक स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिए काम करना होगा. इस विषय में कितना काम हो पाता है, यह देखने वाली बात होगी.'

हमने डॉ मनीष हिंदवी से पूछा कि किसान सम्मान निधि बढ़ाए जाने की उम्मीद कर रहे थे कुछ लोग, यह नहीं हुआ. इस पर वह कहते हैं 'गरीबों और किसानों को मुफ्त की योजनाएं नहीं चाहिए, बस उन्हें उपज का सही मूल्य दिला दीजिए. यदि उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, तब तो उन्हें मुफ्त की योजनाएं चाहिए ही.यदि भंडारण की सुविधा नहीं है, ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा अच्छी नहीं है, तो मुफ्त की योजनाएं चाहिए. कृषि को लेकर हम पिछले सत्तर साल में कोई बहुत बेहतर पॉलिसी बना ही नहीं पाए' करदाता और नौकरी-पेशा लोग इस बजट को किस तरह देखें? इस डॉ हिंदवी कहते हैं 'तीन साल पहले एक नया टैक्स रिजीम लाया गया, कि पुराना अपनी जगह रहेगा, लेकिन नए में कोई छूट नहीं मिलेगी क्योंकि पुराना टैक्स स्ट्रक्चर छूट आधारित है. नए रिजीम में छूट कोई नहीं थी, लेकिन उसे कुछ बेहतर बनाया गया है. बावजूद इसके नए में बहुत कम लोग गए. अब सरकार ने पुराने को पहले की तरह ही रहने दिया है और नए को और बेहतर किया है कि लोग अब इसकी तरफ जाएं. जो बदलाव हुआ है, वह नए में हुआ है, पुराने टैक्स रिजीम में कोई फेरबदल नहीं किया गया है.'

जानिए केंद्रीय बजट को कैसे देखते हैं विशेषज्ञ

लखनऊ : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में बजट पेश किया. इस बजट को लेकर लोगों में बड़ी उत्सुकता है. करदाताओं, नौकरीपेशा लोगों, व्यवसाइयों, महिलाओं, किसानों और आम आदमी के लिए यह बजट कैसा है? लोगों को इससे क्या लाभ है? यह जानने के लिए हमने बात की दो वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों प्रोफेसर एपी तिवारी और डॉ मनीष हिंदवी से. देखिए यह पूरी परिचर्चा.

परिचर्चा का आरंभ करते हुए हमने प्रोफेसर एपी तिवारी से पूछा कि यदि एक आम आदमी इस बजट के विषय में जानना चाहिए कि उसके लिए क्या है, तो आप क्या कहेंगे? इस पर प्रोफेसर तिवारी कहते हैं 'जहां तक आम बजट पर आम आदमी पर पड़ने वाले असर की बात है, तो हम यह मान सकते हैं कि यदि बजट प्रावधानों से विकास की दर बढ़ती है, तो उसका असर आम आदमी पर भी जाएगा. यदि उत्पादन बढ़ेगा तो कीमतें रुकेंगी और महंगाई थमेगी. यदि महंगाई कम होती है, तो इसका लाभ सीधे आम आदमी को जाएगा.' मुफ्त अनाज दिए जाने की योजना को आगे बढ़ाए जाने पर वह कहते हैं 'कोई भूखा न रहे, यह एक लक्ष्य है सरकार का. इसका भी लाभ आम आदमी और किसानों को ही मिलेगा. किसानों के लिए भंडारण क्षमता बढ़ाने और मछुआरों को लाभ दिए जाने की योजनाएं भी इस बजट में शामिल हैं.' उन्होंने कहा कि 'इन योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए एक स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिए काम करना होगा. इस विषय में कितना काम हो पाता है, यह देखने वाली बात होगी.'

हमने डॉ मनीष हिंदवी से पूछा कि किसान सम्मान निधि बढ़ाए जाने की उम्मीद कर रहे थे कुछ लोग, यह नहीं हुआ. इस पर वह कहते हैं 'गरीबों और किसानों को मुफ्त की योजनाएं नहीं चाहिए, बस उन्हें उपज का सही मूल्य दिला दीजिए. यदि उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, तब तो उन्हें मुफ्त की योजनाएं चाहिए ही.यदि भंडारण की सुविधा नहीं है, ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा अच्छी नहीं है, तो मुफ्त की योजनाएं चाहिए. कृषि को लेकर हम पिछले सत्तर साल में कोई बहुत बेहतर पॉलिसी बना ही नहीं पाए' करदाता और नौकरी-पेशा लोग इस बजट को किस तरह देखें? इस डॉ हिंदवी कहते हैं 'तीन साल पहले एक नया टैक्स रिजीम लाया गया, कि पुराना अपनी जगह रहेगा, लेकिन नए में कोई छूट नहीं मिलेगी क्योंकि पुराना टैक्स स्ट्रक्चर छूट आधारित है. नए रिजीम में छूट कोई नहीं थी, लेकिन उसे कुछ बेहतर बनाया गया है. बावजूद इसके नए में बहुत कम लोग गए. अब सरकार ने पुराने को पहले की तरह ही रहने दिया है और नए को और बेहतर किया है कि लोग अब इसकी तरफ जाएं. जो बदलाव हुआ है, वह नए में हुआ है, पुराने टैक्स रिजीम में कोई फेरबदल नहीं किया गया है.'

Last Updated : Feb 1, 2023, 11:18 PM IST
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