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विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले योगी का मंत्रिमंडल विस्तार, क्या बढ़ाएगा भाजपा का जनाधार?

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) से करीब 6 महीने पहले योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार के सहारे जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है. मंत्रिमंडल में शामिल 7 चेहरों को शामिल कर भाजपा सभी जाति वर्ग को साधा है.

योगी मंत्रिमंडल विस्तार.
योगी मंत्रिमंडल विस्तार.
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Published : Sep 26, 2021, 7:19 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 10:04 PM IST

हैदराबाद/लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को देखते हुए जहां विपक्षी दल वर्तमान भाजपा सरकार की नाकामियां उजागर कर सत्ता हासिल करने में जुटी हुई हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार कर यूपी की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है. प्रदेश की योगी सरकार ने रविवार को जिन नए चेहरों को शामिल किया है, एक को छोड़कर बाकि सभी पिछड़े वर्ग से आते हैं.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार विधान चुनाव से जातीय समीकरण साधने के लिए भाजपा ने यह सियासी चाल चली है. योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 2 दलित, 2 अति पिछड़े, 1 पिछड़ा वर्ग, 1 अनुसचित जाति और 1 ब्राह्मण चेहरे को स्थान मिला है. जातीय आधार पर योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार करके प्रदेश में कुर्मी समाज के 4, दलित 20, पिछड़ा वर्ग 45, जनजाति 1 और ब्राह्मण समाज के 15 फीसद वोटरों को साधने की कोशिश की है.

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री, राजनीतिक विशलेषक.

जितिन प्रसाद के सहारे ब्राह्मणों को मनाने की कोशिश
माना जा रहा है कि योगी सरकार से नाराज ब्राह्मण समाज को मनाने के लिए कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद को मंत्री पद सौंपा है. क्योंकि प्रदेश में करीब 15 फीसद ब्राह्मण मतदाता हैं, जो विधानसभा में चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. ब्राह्मण समाज किसी दूसरी पार्टी के समर्थन में न आए इसिलए भाजपा ने यह सियासी दांव चला है. गोरखपुर, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, अयोध्या, संत कबीर नगर, देवरिया, जौनपुर, अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, उन्नाव, कन्नौज, भदोही, झांसी, मथुरा, चंदौली जिलों में ब्राह्मणों की संख्या अच्छी है. इन जिलों में चुनाव को ब्राह्मण प्रभावित करने की स्थिति में हैं. लिहाजा भाजपा को 2022 में सत्ता में वापस लाने के लिए जितिन प्रसाद पर यह दांव योगी सरकार ने चला है.

दिनेश कुमार और पलटू राम के सहारे दलित कार्ड खेला
यूपी में दलित वोटर किसी भी चुनाव में निर्णायक माना जाता है. क्योंकि प्रदेश में करीब 20.7 फीसदी दलित आबादी है. इसलिए भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बलरामपुर सदर से विधायक पलटू राम और मेरठ के हस्तिनापुर विधानसभा सीट से विधायक दिनेश कुमार खटीक को मंत्री पद से नवाजा गया है. बता दें कि यूपी में दलित मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 21 प्रतिशत है. वहीं, क्षेत्रीय आधार पर देखे तो ये बुंदेलखंड की कुल आबादी में 25 पर्सेंट दलित हैं. दोआब-अवध में दलितों की आबादी 26 पर्सेंट और पूर्वी यूपी में 22 पर्सेंट है. वेस्टर्न यूपी में भी जाटव विरादरी की धमक करीब 12 सीटों पर है. आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 42 ऐसे जिले हैं, जहां दलितों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है. इन्हीं जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने दलित कार्ड चलते हुए समाज के दो चेहरों को जगह दी है.

कुर्मी वोटरों को साधने के लिए छत्रपाल सिंह पर खेला दांव
प्रदेश में 30 से 35 सीटों पर कुर्मी वोटरों का खासा प्रभाव माना जाता है 4 फीसद वोटर हैं. वहीं, सात-आठ लोकसभा की सीटें भी इस वोट बैंक के प्रभाव क्षेत्र में आती हैं. यही कारण है कि योगी सरकार ने बरेली के बरहेड़ी विधानसभा से विधायक छत्रपाल सिंह गंगावार को राज्यमंत्री बनाया है. वहीं, कुछ दिन पहले ही अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को केंद्र सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण साधने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है.

इन्हें भी पढ़ें-योगी मंत्रिमंडल में इन चेहरों को मिली जगह, जानिए कौन हैं?

53 फीसद आबादी पर भाजपा की नजर
भारतीय जनता पार्टी की कोशिश है कि 53 फीसद वाले ओबीसी समाज को अधिक से अधिक पार्टी से जोड़ा जा सके और चुनाव में इनके वोट से सरकार को आसानी से बनाने में सफलता प्राप्त की जाए. यही कारण है कि मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ वर्ग से गाजीपुर सदर से विधायक डॉ. संगीता बलवंत, आगरा से एमलएसी धर्मवीर सिंह प्रजापति और छत्रपाल सिंह गंगवार को जगह दी है. माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति को राज्य मंत्री बनाकर भाजपा कुम्हार समाज को भी अपने पाले में लाने की कोशिश की है.

मंत्रिमंडल में समावेशी समाज पर ध्यान
राजनीतिक विशलेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री का कहना है कि चौकाने वाले फैसले लेने में भाजपा बेजोड़ है. उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद में विस्तार व फेरबदल की अटकलें कई महीने से लग रही थीं, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि पितृपक्ष में यह कार्य होगा. भाजपा समाज के सभी लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है. भाजपा का अति पिछड़ा व दलित वर्ग पर फोकस रहा है. केशव प्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री हैं. योगी आदित्यनाथ का दावा रहा है कि उनकी सरकार बिना भेदभाव के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक वर्ग को उपलब्ध करा रही है. मंत्रिपरिषद में भी इस विचार का समावेश रहा है. योगी सरकार ने चुनाव से पहले इसे अधिक मजबूती प्रदान की है. इस समय सभी पार्टियों में ब्राह्मणों को लुभाने की होड़ चल रही है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जतिन प्रसाद को मंत्री बनाकर भाजपा ने प्रबुद्ध सम्मेलनों के विचार को आगे बढ़ाया है. वहीं, पिछड़ों और दलितों को प्रतिनिधित्व देकर सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है.

हैदराबाद/लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को देखते हुए जहां विपक्षी दल वर्तमान भाजपा सरकार की नाकामियां उजागर कर सत्ता हासिल करने में जुटी हुई हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार कर यूपी की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है. प्रदेश की योगी सरकार ने रविवार को जिन नए चेहरों को शामिल किया है, एक को छोड़कर बाकि सभी पिछड़े वर्ग से आते हैं.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार विधान चुनाव से जातीय समीकरण साधने के लिए भाजपा ने यह सियासी चाल चली है. योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 2 दलित, 2 अति पिछड़े, 1 पिछड़ा वर्ग, 1 अनुसचित जाति और 1 ब्राह्मण चेहरे को स्थान मिला है. जातीय आधार पर योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार करके प्रदेश में कुर्मी समाज के 4, दलित 20, पिछड़ा वर्ग 45, जनजाति 1 और ब्राह्मण समाज के 15 फीसद वोटरों को साधने की कोशिश की है.

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री, राजनीतिक विशलेषक.

जितिन प्रसाद के सहारे ब्राह्मणों को मनाने की कोशिश
माना जा रहा है कि योगी सरकार से नाराज ब्राह्मण समाज को मनाने के लिए कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद को मंत्री पद सौंपा है. क्योंकि प्रदेश में करीब 15 फीसद ब्राह्मण मतदाता हैं, जो विधानसभा में चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. ब्राह्मण समाज किसी दूसरी पार्टी के समर्थन में न आए इसिलए भाजपा ने यह सियासी दांव चला है. गोरखपुर, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, अयोध्या, संत कबीर नगर, देवरिया, जौनपुर, अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, उन्नाव, कन्नौज, भदोही, झांसी, मथुरा, चंदौली जिलों में ब्राह्मणों की संख्या अच्छी है. इन जिलों में चुनाव को ब्राह्मण प्रभावित करने की स्थिति में हैं. लिहाजा भाजपा को 2022 में सत्ता में वापस लाने के लिए जितिन प्रसाद पर यह दांव योगी सरकार ने चला है.

दिनेश कुमार और पलटू राम के सहारे दलित कार्ड खेला
यूपी में दलित वोटर किसी भी चुनाव में निर्णायक माना जाता है. क्योंकि प्रदेश में करीब 20.7 फीसदी दलित आबादी है. इसलिए भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बलरामपुर सदर से विधायक पलटू राम और मेरठ के हस्तिनापुर विधानसभा सीट से विधायक दिनेश कुमार खटीक को मंत्री पद से नवाजा गया है. बता दें कि यूपी में दलित मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 21 प्रतिशत है. वहीं, क्षेत्रीय आधार पर देखे तो ये बुंदेलखंड की कुल आबादी में 25 पर्सेंट दलित हैं. दोआब-अवध में दलितों की आबादी 26 पर्सेंट और पूर्वी यूपी में 22 पर्सेंट है. वेस्टर्न यूपी में भी जाटव विरादरी की धमक करीब 12 सीटों पर है. आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 42 ऐसे जिले हैं, जहां दलितों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है. इन्हीं जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने दलित कार्ड चलते हुए समाज के दो चेहरों को जगह दी है.

कुर्मी वोटरों को साधने के लिए छत्रपाल सिंह पर खेला दांव
प्रदेश में 30 से 35 सीटों पर कुर्मी वोटरों का खासा प्रभाव माना जाता है 4 फीसद वोटर हैं. वहीं, सात-आठ लोकसभा की सीटें भी इस वोट बैंक के प्रभाव क्षेत्र में आती हैं. यही कारण है कि योगी सरकार ने बरेली के बरहेड़ी विधानसभा से विधायक छत्रपाल सिंह गंगावार को राज्यमंत्री बनाया है. वहीं, कुछ दिन पहले ही अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को केंद्र सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण साधने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है.

इन्हें भी पढ़ें-योगी मंत्रिमंडल में इन चेहरों को मिली जगह, जानिए कौन हैं?

53 फीसद आबादी पर भाजपा की नजर
भारतीय जनता पार्टी की कोशिश है कि 53 फीसद वाले ओबीसी समाज को अधिक से अधिक पार्टी से जोड़ा जा सके और चुनाव में इनके वोट से सरकार को आसानी से बनाने में सफलता प्राप्त की जाए. यही कारण है कि मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ वर्ग से गाजीपुर सदर से विधायक डॉ. संगीता बलवंत, आगरा से एमलएसी धर्मवीर सिंह प्रजापति और छत्रपाल सिंह गंगवार को जगह दी है. माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति को राज्य मंत्री बनाकर भाजपा कुम्हार समाज को भी अपने पाले में लाने की कोशिश की है.

मंत्रिमंडल में समावेशी समाज पर ध्यान
राजनीतिक विशलेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री का कहना है कि चौकाने वाले फैसले लेने में भाजपा बेजोड़ है. उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद में विस्तार व फेरबदल की अटकलें कई महीने से लग रही थीं, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि पितृपक्ष में यह कार्य होगा. भाजपा समाज के सभी लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है. भाजपा का अति पिछड़ा व दलित वर्ग पर फोकस रहा है. केशव प्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री हैं. योगी आदित्यनाथ का दावा रहा है कि उनकी सरकार बिना भेदभाव के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक वर्ग को उपलब्ध करा रही है. मंत्रिपरिषद में भी इस विचार का समावेश रहा है. योगी सरकार ने चुनाव से पहले इसे अधिक मजबूती प्रदान की है. इस समय सभी पार्टियों में ब्राह्मणों को लुभाने की होड़ चल रही है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जतिन प्रसाद को मंत्री बनाकर भाजपा ने प्रबुद्ध सम्मेलनों के विचार को आगे बढ़ाया है. वहीं, पिछड़ों और दलितों को प्रतिनिधित्व देकर सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है.

Last Updated : Sep 26, 2021, 10:04 PM IST
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