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लखनऊ के SGPGI में अब होगा ब्रेन डेड रोगियों के अंगों को ट्रांसप्लांट, बचेंगी जिंदगियां - lucknow news

जिन रोगियों के अंग काम करना बंद कर देते हैं उन अंगों को ट्रांसप्लांट कर रोगियों को नया जीवन दिया जाता है. इसको लेकर राजधानी लखनऊ के SGPGI संस्थान को सोटो के अंतर्गत चयनित किया गया है. यह प्रदेश का पहला ऐसा संस्थान है जहां पर ब्रेन डेड रोगियों के अंगों का प्रत्यारोपण बीमार व्यक्तियों की जान बचाने में किया जाएगा.

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आरके धीमान, डायरेक्टर प्रोफेसर, SGPGI
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Published : Oct 31, 2020, 5:38 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कई ऐसे संस्थान है जहां पर अंगों का प्रत्यारोपण किया जाता है. इसी क्रम में राजधानी लखनऊ में स्थित एसजीपीजीआई स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन के तहत पहला ऐसा संस्थान घोषित किया गया है जहां पर ब्रेन डेड रोगियों के अंगों को प्रत्यारोपित कर लोगों की जिंदगियां बचाई जाएंगी.

SGPGI में होगा ब्रेन डेड रोगियों के अंगों को ट्रांसप्लांट.
अंग प्रत्यारोपण एक बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस माना जाता है जिसमें सर्जन के अलावा एक बड़ी टीम काम करती है. अंग प्रत्यारोपण को पूरे देश में जो संस्था मॉनिटर करती है उसे नोटों अर्थात नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन कहा जाता है. जिसके अंतर्गत रीजनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन की अगर बात की जाए तो पूरे देश में 5 भागों में बांटा गया है. वहीं नॉर्थ रीजन में उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ आदि आते हैं तथा उसके अंतर्गत स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन(सोटो) आता है.ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसजीपीजीआई के डायरेक्टर प्रोफेसर आरके धीमान ने बताया कि सोटो के तहत पीजीआई को चयनित किया गया है और इस प्रोग्राम की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. वहीं हृदय प्रत्यारोपण के लिए टीम भी गठित कर दी गई है. इस प्रोग्राम के तहत जो लोग रोड एक्सीडेंट की वजह से ब्रेन डेड हो जाते हैं उनके अंगों को रिट्रीव करने के बाद प्रेशर किया जाएगा तथा जो लोग बीमार हैं उनमें इन अंगों का ट्रांसप्लांटेशन होगा.डायरेक्टर ने बताया कि यदि आंकड़ों को देखा जाए तो जिन व्यक्तियों को अंग प्रत्यारोपण करवाना है उनकी संख्या ज्यादा है और सप्लाई कम. इसी वजह से ब्रांडेड व्यक्तियों के परिजनों से परमिशन लेकर उन व्यक्तियों के अंगों को रिट्रीव कर प्रत्यर्पण की प्रक्रिया की जाएगी, जिससे लोगों की जिंदगियों को बचाया जा सके. पीजीआई में पहले किडनी व लीवर का ट्रांसप्लांटेशन ही किया जाता था लेकिन अब ह्रदय, किडनी, लीवर, फेफड़े, पैंक्रियाज आदि का भी ट्रांसप्लांटेशन किया जाएगा.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कई ऐसे संस्थान है जहां पर अंगों का प्रत्यारोपण किया जाता है. इसी क्रम में राजधानी लखनऊ में स्थित एसजीपीजीआई स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन के तहत पहला ऐसा संस्थान घोषित किया गया है जहां पर ब्रेन डेड रोगियों के अंगों को प्रत्यारोपित कर लोगों की जिंदगियां बचाई जाएंगी.

SGPGI में होगा ब्रेन डेड रोगियों के अंगों को ट्रांसप्लांट.
अंग प्रत्यारोपण एक बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस माना जाता है जिसमें सर्जन के अलावा एक बड़ी टीम काम करती है. अंग प्रत्यारोपण को पूरे देश में जो संस्था मॉनिटर करती है उसे नोटों अर्थात नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन कहा जाता है. जिसके अंतर्गत रीजनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन की अगर बात की जाए तो पूरे देश में 5 भागों में बांटा गया है. वहीं नॉर्थ रीजन में उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ आदि आते हैं तथा उसके अंतर्गत स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन(सोटो) आता है.ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसजीपीजीआई के डायरेक्टर प्रोफेसर आरके धीमान ने बताया कि सोटो के तहत पीजीआई को चयनित किया गया है और इस प्रोग्राम की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. वहीं हृदय प्रत्यारोपण के लिए टीम भी गठित कर दी गई है. इस प्रोग्राम के तहत जो लोग रोड एक्सीडेंट की वजह से ब्रेन डेड हो जाते हैं उनके अंगों को रिट्रीव करने के बाद प्रेशर किया जाएगा तथा जो लोग बीमार हैं उनमें इन अंगों का ट्रांसप्लांटेशन होगा.डायरेक्टर ने बताया कि यदि आंकड़ों को देखा जाए तो जिन व्यक्तियों को अंग प्रत्यारोपण करवाना है उनकी संख्या ज्यादा है और सप्लाई कम. इसी वजह से ब्रांडेड व्यक्तियों के परिजनों से परमिशन लेकर उन व्यक्तियों के अंगों को रिट्रीव कर प्रत्यर्पण की प्रक्रिया की जाएगी, जिससे लोगों की जिंदगियों को बचाया जा सके. पीजीआई में पहले किडनी व लीवर का ट्रांसप्लांटेशन ही किया जाता था लेकिन अब ह्रदय, किडनी, लीवर, फेफड़े, पैंक्रियाज आदि का भी ट्रांसप्लांटेशन किया जाएगा.
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