लखनऊ: केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 का पूरे देश में विरोध हो रहा है. बिजली विभाग से जुड़े संगठन लगातार इसे निजी घरानों को लाभ पहुंचाने वाला संशोधन बिल करार दे रहे हैं. इतना ही नहीं बिजली के जानकारों का साफ कहना है कि इससे जनता पर महंगी बिजली का भार पड़ेगा. यह अमेंडमेंट बिल बिल्कुल भी जनता के हित में नहीं है. 'ईटीवी भारत' ने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
क्या है इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जो विद्युत अधिनियम 2003 है, उसमें कुछ संशोधन किया जा रहा है. इस संशोधन बिल में केंद्र सरकार राज्यों के बहुत सारे अधिकार अपने पास रखना चाहती है. वर्तमान में सभी राज्यों में नियामक आयोग बने हुए हैं. चाहे वह टैरिफ का मामला हो, चाहे उत्पादन से संबंधित मामला हो, सभी मामलों को नियामक आयोग ही देखता है. अब नियामक आयोग को केवल टैरिफ तक सीमित कर देने की सरकार की मंशा है. उत्पादन क्षेत्र के एग्रीमेंट का मामला हो, चाहे वो ट्रांसमिशन क्षेत्र के एग्रीमेंट का मामला हो, सबके लिए केंद्र सरकार दिल्ली में एक नई अथॉरिटी बनाने की बात कर रही है. सभी राज्यों के मामले वहां पर रेफर किए जाएंगे. निश्चित तौर पर मामले वहां पर जाएंगे तो केंद्र सरकार का उस पर कंट्रोल रहेगा. इसका सभी राज्य विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि दूसरी बात क्रॉस सब्सिडी की हो रही है. मसौदे में कहा जा रहा है कि आम जनता या किसान का जितना भी टैरिफ बढ़ाना है, उतना बढ़ा दिया जाए. इसके बाद उनके अकाउंट में डायरेक्ट सब्सिडी जाएगी. सवाल यह है कि वर्तमान में जब यहां पर लोगों के पास बिल देने के लिए पैसा ही नहीं है, लोग गरीबी रेखा के नीचे है तो बाद में सब्सिडी देकर क्या करेंगे, जब वह बिजली ही नहीं जला पाएंगे. इसीलिए इस सिस्टम का पुरजोर तरीके से विरोध हो रहा है.
निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया कदम
अवधेश वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 में बहुत ही गुपचुप तरीके से उसमें फ्रेंचाइजी के लिए सब लेट किया गया है. एक तरह से निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण को बढ़ावा देने के लिए इस संशोधन में ऐसी व्यवस्थाएं लाई जा रही हैं. इसका लंबे समय से ही विरोध हो रहा था, लेकिन जैसे ही इसका मसौदा वेबसाइट पर आया तो ज्यादा मुखर तरीके से विरोध शुरू हो गया है.
अमेंडमेंट बिल से जनता पर क्या पड़ेगा प्रभाव
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में जब अमेंडमेंट का मसौदा वेबसाइट पर लाया गया, उस समय कोविड-19 वैश्विक महामारी पूरे देश में चल रही है. मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं, उससे पूरी तरह से साबित हो जाएगा कि आम जनमानस के दिमाग में इसे लेकर भ्रम क्यों है? आने वाले समय में इसका विरोध करना बहुत जरूरी है. वर्तमान में सभी के घर में विभिन्न कंपनियों के सेट टॉप बॉक्स लगे होंगे. अगर उन्होंने अपने सेट टॉप बॉक्स को रिचार्ज नहीं किया होगा तो कोरोना वायरस में भी उनका सेट टॉप बॉक्स निजी कम्पनियों ने बंद कर दिया, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के जो भी सेट टॉप बॉक्स हैं, उन सभी को बंद नहीं किया गया.
उन्होंने बताया कि हमारा बिल जमा न होने पर बिजली का कनेक्शन आज भी चल रहा है. सेट टॉप बॉक्स फ्री चल रहा होगा. बीएसएनल का फोन का बिल जमा करने पर भी नहीं काटा गया होगा. सार्वजनिक कंपनियों को पता रहता है कि जब भी लोग हमारी खिड़की पर आएंगे तो बिल जमा कर देंगे, लेकिन निजी घराने ऐसा बिल्कुल भी नहीं करते हैं. जब संकट का दौर आता है तो सार्वजनिक क्षेत्र तो सबके साथ खड़ा हो जाता है, लेकिन निजी क्षेत्र अपने फायदे के लिए खड़े होते हैं.
सरकार ने अमेंडमेंट बिल के लिए कितना दिया है समय
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पहले तो 20 मई तक का समय दिया गया, लेकिन अब बढ़ाकर 8 जून कर दिया गया है. आगे भी यह बढ़ेगा, लेकिन सवाल वह नहीं है कि कितना समय दिया गया है, इस पर आपत्ति तो लोग 10 दिन में ही दे देंगे. हमने केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री को भी ज्ञापन दे दिया है कि यह हमारी आपत्तियां हैं. जो एक्सपर्ट लोग हैं, उनके लिए 2 या 3 दिन ही काफी हैं.
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उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि विद्युत अधिनियम 2003 के लिए सरकार को हमने चैलेंज किया. हमने कहा जो भी आपके विशेषज्ञ हैं, अपनी एक्सपर्ट बॉडी को बैठाकर डिबेट करा लीजिए. हम यह सिद्ध कर देंगे कि निजी घरानों को लाभ देने के लिए अमेंडमेंट किया जा रहा है. यह हितकर नहीं है. मैं ये भी कहूंगा कि अगर आप इस तरह से हमें समझाने में कामयाब हो जाते हैं तो आप अमेंडमेंट कर लीजिए, लेकिन सरकार इससे भी भागती है.
...तो सरकार ने बैठा दी जांच
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दो निजी घराने काम कर रहे हैं- टोरेंट पावर आगरा में और एनपीसीएल ग्रेटर नोएडा में. हमने दोनों कंपनियों के बारे में सरकार के सामने लॉकडाउन के ठीक पहले मामला रखा कि आपने इन्हें टेंडर दे दिया, लेकिन यह पब्लिक के हित में कैसे हैं. मैंने कई तथ्य पेश किए तो सरकार ने इस पर जांच भी बैठा दी. अभी रिपोर्ट आनी बाकी है. 3 सदस्यीय समिति इस पर जांच कर रही है कि निजी घराने से प्रदेश की जनता को कैसे लाभ हुआ?
प्रदेश की जनता पर पड़ेगा भार
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इसलिए बिजली दर सबसे ज्यादा महंगी हैं, क्योंकि यहां एमओयू रूट के प्रोजेक्ट बड़े पैमाने पर लगाए गए हैं. ललितपुर का हो या रिलायंस का, चाहे वह बजाज के छोटे-छोटे पावर हाउस हों. जब यह निजी घरानों के एमओयू रूट के पावर प्रोजेक्ट लाए तो कैपिटल कास्ट बढ़ाकर इन्होंने अपनी बिजली दरें बढ़ा लीं. इसी वजह से हमारे प्रदेश की बिजली दरें बहुत ज्यादा हैं. आने वाले समय में जब अमेंडमेंट हो जाएगा, तब उनके लिए पूरा रास्ता खोल दिया जाएगा. हर क्षेत्र में निजी घराने आकर अपना आधिपत्य स्थापित कर लेंगे. निश्चित तौर पर इससे प्रदेश की जनता पर बड़ा भार पड़ेगा.