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कीमोथैरेपी का अधिक प्रयोग शारीरिक के लिए नुकसानदेह : डॉ. मंजिरी - डॉ मंजिरी बाकरे

लखनऊ के सीएसआईआर सीडीआरआई में रविवार को 25वां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया. इस दौरान देश भर से जुटे वक्ताओं ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण पर विचार रखे. डॉ. मंजिरी बाकरे ने कीमोथैरेपी के प्रयोग की प्रासंगिता पर विचार रखे.

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Published : May 15, 2023, 7:00 PM IST

लखनऊ : देश के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शोधकर्ताओं की उपलब्धियों और सम्मान को याद करने के लिए रविवार को सीएसआईआर-सीडीआरआई में 25वां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया. जिसकी थीम 'एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण' रही. इस मौके पर सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने डॉ. मंजिरी बाकरे और डॉ. धनंजय देंदुकुरी का स्वागत किया.

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी दुनिया के भविष्य को दर्शाती है, क्योंकि प्रौद्योगिकी जीवन के प्रत्येक पहलू में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. चाहे वह ड्रग्स डिस्कवरी या मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में हो. उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 में प्रथम राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर माननीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने संस्थान के लोकप्रिय मलेरिया-रोधी दवा उत्पाद अल्फा-बीटा आर्टीथर का शुभारंभ किया था. इस मौके पर मंच पर उपस्थित व्यक्तियों ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन भी किया. डॉ. अतुल गोयल और डॉ. आशीष अरोड़ा ने वक्ताओं का परिचय दिया.

ओंकोस्टीम डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक सीईओ डॉ. मंजिरी बाकरे ने ने कीमोथैरेपी की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया. उन्होंने बताया कि 95% रोगी कीमोथेरेपी से गुजरे हैं, हालांकि केवल 15% रोगियों को ही इसकी आवश्यकता होती है और इससे लाभान्वित होते हैं. कीमोथेरेपी के अत्यधिक उपयोग से शारीरिक विषाक्ता में बढ़ोतरी के साथ काफी खर्चीला होता है. इसलिए इस (कीमोथेरेपी) से पहले व्यक्ति को उचित रोगनिदान परीक्षण और वैकल्पिक तरीकों से गुजरना जरूरी है. इस जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने व्यक्तिगत कैंसर उपचार योजना के लिए अभिनव, लागत प्रभावी और विश्वसनीय परीक्षणों को विकसित करने और वितरित करने की दृष्टि से अपनी स्टार्टअप कंपनी ओन्कोस्टेम की स्थापना की है.

अचिरा लैब्स प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक और सीईओ डॉ. धनंजय ने एक व्याख्यान दिया. उन्होंने कोविड के बाद की दुनिया में माइक्रोफ्लूडिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से देखभाल परीक्षण के बिंदु में तेजी से प्रगति पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने उल्लेख किया कि सरल और सस्ता परीक्षण समाधान आज की आवश्यकता है. इस संबंध में माइक्रोफ्लुइडिक्स आधारित तकनीक बहुत उपयोगी है. ये प्रौद्योगिकियां सेल अलगाव, मिश्रण और एक कार्ट्रिज पर रीडआउट जैसी कई कार्यक्षमताएं लाती हैं और उपयोग करने में बहुत आसान हैं. भारत इस नई तकनीक के लिए एक बड़ा उभरता हुआ बाजार है. कार्यक्रम का समापन डॉ. संजीव यादव द्वारा अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए किया गया.

यह भी पढ़ें : यूपी के राजकीय विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा शुरू करने में मदद करेगा आईआईटी कानपुर

लखनऊ : देश के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शोधकर्ताओं की उपलब्धियों और सम्मान को याद करने के लिए रविवार को सीएसआईआर-सीडीआरआई में 25वां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया. जिसकी थीम 'एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण' रही. इस मौके पर सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने डॉ. मंजिरी बाकरे और डॉ. धनंजय देंदुकुरी का स्वागत किया.

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी दुनिया के भविष्य को दर्शाती है, क्योंकि प्रौद्योगिकी जीवन के प्रत्येक पहलू में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. चाहे वह ड्रग्स डिस्कवरी या मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में हो. उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 में प्रथम राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर माननीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने संस्थान के लोकप्रिय मलेरिया-रोधी दवा उत्पाद अल्फा-बीटा आर्टीथर का शुभारंभ किया था. इस मौके पर मंच पर उपस्थित व्यक्तियों ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन भी किया. डॉ. अतुल गोयल और डॉ. आशीष अरोड़ा ने वक्ताओं का परिचय दिया.

ओंकोस्टीम डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक सीईओ डॉ. मंजिरी बाकरे ने ने कीमोथैरेपी की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया. उन्होंने बताया कि 95% रोगी कीमोथेरेपी से गुजरे हैं, हालांकि केवल 15% रोगियों को ही इसकी आवश्यकता होती है और इससे लाभान्वित होते हैं. कीमोथेरेपी के अत्यधिक उपयोग से शारीरिक विषाक्ता में बढ़ोतरी के साथ काफी खर्चीला होता है. इसलिए इस (कीमोथेरेपी) से पहले व्यक्ति को उचित रोगनिदान परीक्षण और वैकल्पिक तरीकों से गुजरना जरूरी है. इस जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने व्यक्तिगत कैंसर उपचार योजना के लिए अभिनव, लागत प्रभावी और विश्वसनीय परीक्षणों को विकसित करने और वितरित करने की दृष्टि से अपनी स्टार्टअप कंपनी ओन्कोस्टेम की स्थापना की है.

अचिरा लैब्स प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक और सीईओ डॉ. धनंजय ने एक व्याख्यान दिया. उन्होंने कोविड के बाद की दुनिया में माइक्रोफ्लूडिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से देखभाल परीक्षण के बिंदु में तेजी से प्रगति पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने उल्लेख किया कि सरल और सस्ता परीक्षण समाधान आज की आवश्यकता है. इस संबंध में माइक्रोफ्लुइडिक्स आधारित तकनीक बहुत उपयोगी है. ये प्रौद्योगिकियां सेल अलगाव, मिश्रण और एक कार्ट्रिज पर रीडआउट जैसी कई कार्यक्षमताएं लाती हैं और उपयोग करने में बहुत आसान हैं. भारत इस नई तकनीक के लिए एक बड़ा उभरता हुआ बाजार है. कार्यक्रम का समापन डॉ. संजीव यादव द्वारा अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए किया गया.

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