लखनऊ : लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था लेकिन राजधानी लखनऊ में सरकार जवानों से उनका हक छीनने का काम कर रही है. आवास-विकास ने कुछ सैनिकों के सिर से छत छीन ली है, जिससे 72 सैनिकों के परिवार खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं.
सीमा पर लड़कर देश की रक्षा करने वाले पूर्व सैनिकों ने देश की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, लेकिन आज उनको डर रहता है कि न जाने कब आवास-विकास का बुलडोजर उनके घरों पर चल जाये.
दरअसल मामला राजधानी लखनऊ के सैनिक कॉलोनी का है, जहां पूर्व सैनिकों ने किसानों से जमीन का एग्रीमेंट कराकर अपने मकान बनाए थे और वर्ष 2007 में मकानों की रजिस्ट्री भी कराई थी, लेकिन वर्ष 2010 के बाद आवास-विकास ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया, जिसके बाद आवास-विकास और पूर्व सैनिकों में विवाद शुरू हो गया. आवास-विकास ने नोटिस जारी कर सैनिकों और पूर्व सैनिकों द्वारा बनाए गए मकान को अवैध बताया और मकान खाली करने को कहा.
इस विषय में जब ईटीवीने आवास विकास के आयुक्त से बात की तो उन्होंने कहा कि यह जमीन किसानों से एग्रीमेंट करके खरीदी गई है. आवास विकास पूर्व सैनिकों से बातचीत के माध्यम से यह मामला सुलझाना चाहता है.
बिना नोटिस दिए आवास-विकास ने गिरा दिया मकान
वर्ष 2014 सेना के रिटायर्ड कैप्टन डीके सिंह लेह लद्दाख में पोस्टेड थे. इसी वर्ष अचानक आवास-विकास ने उनके मकान को अवैध बताकर गिरा दिया. छुट्टी न मिल पाने के कारण कैप्टन डीके सिंह अपने घर नहीं आ सके और उनका पूरा परिवार उनके मित्र के घर पर रहने लगा.
किसी देश के लिए ये बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि देश की रक्षा करने वाले जवान सड़क पर उतरकर अपने हक के लिए लड़ रहे हैं. सैनिक हमेशा आखिर दम तक लड़ाई लड़ता है उसमें चाहे मांगें हो या दुश्मन का खेमा.