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मायावती के स्मारक घोटाले की जांच करने की पूरी कहानी, सुनिए पूर्व लोकायुक्त की जुबानी...

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए बसपा प्रमुख मायावती को मूर्तियां बनाने में लगे रुपये वापस करने को कहा है...वहीं स्मारक घोटाले की जांच शुरू करने वाले पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने ईटीवी से खास बात चीत की. उन्होंने सरकार के 11 मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने सहित इस पूरे घटनाक्रम की कहानी विस्तार से बताई...

पूर्व लोकायुक्त
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Published : Feb 9, 2019, 1:17 AM IST

लखनऊ : मायावती सरकार में हुए स्मारक घोटाले की जांच शुरू करने वाले पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने कहा कि स्मारक बनाने में पैसा खर्च हुआ. इसमें कोई शक नहीं है. सारे निर्मय कैबिनेट से अप्रूव हुए थे, लेकिन जो खर्च करने का तरीका था उसमें लूटमार हुई थी. साथ ही उन्होंने कहा कि इन सभी में स्वंय मुख्यमंत्री शामिल थीं.

ईटीवी संवाददाता से बात करते पूर्व लोकायुक्त.

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ईटीवी से खास बातचीत एनके मेहरोत्रा ने जांच शुरू करने से लेकर मायावती सरकार के 11 मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने सहित पूरे घटनाक्रम की कहानी विस्तार से बताई. उन्होंने कहा कि मेरा तो कहना यह था कि जो पत्थरों की खरीद हुई. उसमें खूब लूटमार हुई थी पत्थर खरीदे गए यूपी में और बताया गया राजस्थान से लाने के लिए और जितने लगाए गए उससे ज्यादा पेमेंट हुई और कमीशनखोरी हुई.

इस पूरे खेल में 199 लोगों के खिलाफ उन्होंने रिपोर्ट दी थी, लेकिन आज तक किसी भी गवर्नमेंट ने एक्शन नहीं लिया. तब सुप्रीम कोर्ट ने मजबूर होकर जांच करने का काम किया है. पत्थरों की खरीद फरोख्त या निर्माण में हुए घोटालों की जांच करने के बाद जो कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने और कार्रवाई न होने और डंप होने के सवाल पर जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि रिपोर्ट तो मेरे ख्याल से सभी डंप हो गई थी और अब लगभग-लगभग सभी धीरे-धीरे खुल रही हैं. उनका कहना था कि किसी भी सीएम ने इस केस में सक्रियता नहीं दिखाई थी,

कार्रवाई के लिए अखिलेश यादव ने छह लोगों के खिलाफ एफआइआर कराई थी, लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं हुआ. बहुत धीरे जांच सतर्कता के अंतर्गत हो रही थी किसी भी मंत्री या दोषी लोगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ. सारी जांचें सिर्फ और सिर्फ डंप हुई. राज्यपाल कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिख देते रहे हैं और एक्शन कुछ भी नहीं हुआ.

11 मंत्रियों के खिलाफ की थी कार्रवाई की सिफारिश
जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि मंत्री रंगनाथ मिश्रा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय, राम अचल राजभर, बादशाह सिंह और चंद्रशेखर सहित कई अन्य लोग भी इसमें शामिल थे. बाबू सिंह कुशवाहा पर जिन पर एनएचआरएम के तहत कार्रवाई हो रही है, वह भी शामिल थे. इस तरह से 11 मंत्री इसमें शामिल थे. ज्यादातर मंत्रियों के मामले हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन इन्हें किसी को राहत नहीं मिली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में भी डंप कर दिया, सुनवाई नहीं नहीं हुई.

कार्रवाई से सन्तुष्ट नहीं
जस्टिस मेहरोत्रा ने आगे कार्रवाई न होने को लेकर सन्तुष्ट होने के सवाल पर कहा कि संतुष्ट होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता लोकायुक्त का अधिकार ही नहीं कार्रवाई का. सिर्फ लोकायुक्त रिपोर्ट बना कर कार्रवाई की सिफारिश के लिए भेज देता है एक्शन लेने का अधिकार चीफ मिनिस्टर का होता है. बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. जिनकी विधायकी खत्म हुई थी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच में आ गए थे.

कई बार पत्र लिखे पर कुछ नहीं हुआ
जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि मैंने कई बार मुख्यमंत्री को लिखा मायावती जी को अखिलेश यादव को भी लिखा कि लोकायुक्त के अधिकार बढ़ा दिया जाए. जिससे अगर सरकार कार्रवाई ना करें तो लोकायुक्त आगे की कार्रवाई कर सके. उत्तर प्रदेश ये कभी नहीं दी गई जोकि मध्यप्रदेश कर्नाटक को पावर है. उनकी अपनी कोर्ट है, पुलिस है, अपनी जांच एजेंसी है, इस तरह से यूपी का जो लोकायुक्त है एक तरह से कार्रवाई करने में अक्षम रहता है.

लखनऊ : मायावती सरकार में हुए स्मारक घोटाले की जांच शुरू करने वाले पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने कहा कि स्मारक बनाने में पैसा खर्च हुआ. इसमें कोई शक नहीं है. सारे निर्मय कैबिनेट से अप्रूव हुए थे, लेकिन जो खर्च करने का तरीका था उसमें लूटमार हुई थी. साथ ही उन्होंने कहा कि इन सभी में स्वंय मुख्यमंत्री शामिल थीं.

ईटीवी संवाददाता से बात करते पूर्व लोकायुक्त.

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ईटीवी से खास बातचीत एनके मेहरोत्रा ने जांच शुरू करने से लेकर मायावती सरकार के 11 मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने सहित पूरे घटनाक्रम की कहानी विस्तार से बताई. उन्होंने कहा कि मेरा तो कहना यह था कि जो पत्थरों की खरीद हुई. उसमें खूब लूटमार हुई थी पत्थर खरीदे गए यूपी में और बताया गया राजस्थान से लाने के लिए और जितने लगाए गए उससे ज्यादा पेमेंट हुई और कमीशनखोरी हुई.

इस पूरे खेल में 199 लोगों के खिलाफ उन्होंने रिपोर्ट दी थी, लेकिन आज तक किसी भी गवर्नमेंट ने एक्शन नहीं लिया. तब सुप्रीम कोर्ट ने मजबूर होकर जांच करने का काम किया है. पत्थरों की खरीद फरोख्त या निर्माण में हुए घोटालों की जांच करने के बाद जो कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने और कार्रवाई न होने और डंप होने के सवाल पर जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि रिपोर्ट तो मेरे ख्याल से सभी डंप हो गई थी और अब लगभग-लगभग सभी धीरे-धीरे खुल रही हैं. उनका कहना था कि किसी भी सीएम ने इस केस में सक्रियता नहीं दिखाई थी,

कार्रवाई के लिए अखिलेश यादव ने छह लोगों के खिलाफ एफआइआर कराई थी, लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं हुआ. बहुत धीरे जांच सतर्कता के अंतर्गत हो रही थी किसी भी मंत्री या दोषी लोगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ. सारी जांचें सिर्फ और सिर्फ डंप हुई. राज्यपाल कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिख देते रहे हैं और एक्शन कुछ भी नहीं हुआ.

11 मंत्रियों के खिलाफ की थी कार्रवाई की सिफारिश
जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि मंत्री रंगनाथ मिश्रा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय, राम अचल राजभर, बादशाह सिंह और चंद्रशेखर सहित कई अन्य लोग भी इसमें शामिल थे. बाबू सिंह कुशवाहा पर जिन पर एनएचआरएम के तहत कार्रवाई हो रही है, वह भी शामिल थे. इस तरह से 11 मंत्री इसमें शामिल थे. ज्यादातर मंत्रियों के मामले हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन इन्हें किसी को राहत नहीं मिली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में भी डंप कर दिया, सुनवाई नहीं नहीं हुई.

कार्रवाई से सन्तुष्ट नहीं
जस्टिस मेहरोत्रा ने आगे कार्रवाई न होने को लेकर सन्तुष्ट होने के सवाल पर कहा कि संतुष्ट होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता लोकायुक्त का अधिकार ही नहीं कार्रवाई का. सिर्फ लोकायुक्त रिपोर्ट बना कर कार्रवाई की सिफारिश के लिए भेज देता है एक्शन लेने का अधिकार चीफ मिनिस्टर का होता है. बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. जिनकी विधायकी खत्म हुई थी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच में आ गए थे.

कई बार पत्र लिखे पर कुछ नहीं हुआ
जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि मैंने कई बार मुख्यमंत्री को लिखा मायावती जी को अखिलेश यादव को भी लिखा कि लोकायुक्त के अधिकार बढ़ा दिया जाए. जिससे अगर सरकार कार्रवाई ना करें तो लोकायुक्त आगे की कार्रवाई कर सके. उत्तर प्रदेश ये कभी नहीं दी गई जोकि मध्यप्रदेश कर्नाटक को पावर है. उनकी अपनी कोर्ट है, पुलिस है, अपनी जांच एजेंसी है, इस तरह से यूपी का जो लोकायुक्त है एक तरह से कार्रवाई करने में अक्षम रहता है.
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लखनऊ : मायावती सरकार में हुए स्मारक घोटाले की जांच शुरू करने वाले पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने कहा कि स्मारक बनाने में पैसा खर्च हुआ. इसमें कोई शक नहीं है. सारे निर्मय कैबिनेट से अप्रूव हुए थे, लेकिन जो खर्चा करने का तरीका था लूटमार हुई थी. उसमें मुख्यमंत्री शामिल थे.

ईटीवी से खास बातचीत एनके मेहरोत्रा ने जांच शुरू करने से लेकर मायावती सरकार के 11 मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने सहित पूरे घटनाक्रम की कहानी विस्तार से बताई. उन्होंने कहा कि मेरा तो कहना यह था कि जो पत्थरों की खरीद हुई. उसमें खूब लूटमार हुई थी पत्थर खरीदे गए यूपी में और बताया गया राजस्थान से लाने के लिए और जितने लगाए गए उससे ज्यादा पेमेंट हुई और कमीशनखोरी हुई.

इस पूरे खेल में 199 लोगों के खिलाफ उन्होंने रिपोर्ट दी थी, लेकिन आज तक किसी भी गवर्नमेंट ने एक्शन नहीं लिया. तब सुप्रीम कोर्ट ने मजबूर होकर इंक्वायरी करने का काम किया है. पत्थरों की खरीद फरोख्त या निर्माण में हुए घोटालों की जांच करने के बाद जो कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने और कार्रवाई न होने और डंप होने के सवाल पर जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि रिपोर्ट तो मेरे ख्याल से सभी डंप हो गई थी और अब लगभग-लगभग सभी धीरे-धीरे  खुल रही हैं. उनका कहना था कि किसी भी सीएम ने इस केस में सक्रियता नहीं दिखाई थी,

कार्रवाई के लिए अखिलेश यादव ने छह लोगों के खिलाफ एफआइआर कराई थी, लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं हुआ. बहुत धीरे जांच सतर्कता के अंतर्गत हो रही थी किसी भी मंत्री या दोषी लोगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ. सारी जांचें सिर्फ और सिर्फ डंप हुई. राज्यपाल कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिख देते रहे हैं और एक्शन कुछ भी नहीं हुआ.

11 मंत्रियों के खिलाफ की थी कार्रवाई की सिफारिश

जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि मंत्री रंगनाथ मिश्रा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय, राम अचल राजभर, बादशाह सिंह और चंद्रशेखर सहित कई अन्य लोग भी  इसमें शामिल थे. बाबू सिंह कुशवाहा पर जिन पर एनएचआरएम के तहत कार्रवाई हो रही है, वह भी शामिल थे.  इस तरह से 11 मंत्री इसमें शामिल थे. ज्यादातर मंत्रियों के मामले हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन इन्हें किसी को राहत नहीं मिली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में भी डंप कर दिया, सुनवाई नहीं नहीं हुई.

कार्रवाई से सन्तुष्ट नहीं

जस्टिस मेहरोत्रा ने आगे कार्रवाई न होने को लेकर सन्तुष्ट होने के सवाल पर कहा कि संतुष्ट होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता लोकायुक्त का अधिकार ही नहीं कार्रवाई का. सिर्फ लोकायुक्त रिपोर्ट बना कर कार्रवाई की सिफारिश के लिए भेज देता है एक्शन लेने का अधिकार चीफ मिनिस्टर का होता है. बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. जिनकी विधायकी खत्म हुई थी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच में आ गए थे.

कई बार पत्र लिखे पर कुछ नहीं हुआ

जस्टिस मेहरोत्रा ने कहा कि मैंने कई बार मुख्यमंत्री को लिखा मायावती जी को अखिलेश यादव को भी लिखा कि लोकायुक्त के अधिकार बढ़ा दिया जाए. जिससे अगर सरकार कार्रवाई ना करें तो लोकायुक्त आगे की कार्रवाई कर सके. उत्तर प्रदेश ये कभी नहीं दी गई जोकि मध्यप्रदेश कर्नाटक को पावर है. उनकी अपनी कोर्ट है, पुलिस है, अपनी जांच एजेंसी है, इस तरह से यूपी का जो लोकायुक्त है एक तरह से कार्रवाई करने में अक्षम रहता है.


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