ETV Bharat / state

ऐसे करें नोट, किसे मिला आपका वोट

राजधानी लखनऊ में प्रशासन के अधिकारी मतदाताओं को चुनाव में मतदान के लिए तैयार कर रहे हैं. जगह-जगह ईवीएम और वीवीपैट मशीनों के डेमो देकर उन्हें यह बता रहे हैं कि कैसे वे सफल और सुरक्षित मतदान कर सकेंगे. साथ ही उन्हें यह भी बताया गया कि कैसे वीवीपैट के जरिए वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनका वोट सही प्रत्याशी को मिला या नहीं.

अधिकारियों ने दिया डेमोंस्ट्रेशन
author img

By

Published : Apr 1, 2019, 8:15 PM IST

लखनऊ : जिला प्रशासन के अधिकारी विभिन्न क्षेत्रों के मतदाताओं को ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का डेमो दे रहे हैं. डेमो के जरिए वोटरों को इन मशीनों के प्रयोग के तरीके बताए जा रहे हैं. खास बात यह है कि इस बार सभी ईवीएम मशीनों के साथ विविपैट भी होगी. इसके जरिए मतदाता यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनके दिए वोट सही प्रत्याशी को गए हैं भी या नहीं.

अधिकारियों ने दिया डेमोंस्ट्रेशन

मतदान करने के 7 सेकंड बाद तक वीवीपैट पर वह चुनाव चिन्ह प्रदर्शित होगा, जिसे वोट दिया गया है. मतदाता इसे देखकर निश्चिंत हो सकते हैं, कि उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, वह उसी को मिला है. वीवीपैट पर प्रदर्शित होने के साथ ही एक पर्ची पर भी वोट दिए गए उम्मीदवार का चिन्ह प्रदर्शित होता है. इससे वोटिंग में हेरफेर की संभावनाएं नहीं रह जाती हैं. अभी तक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दो मशीनें हुआ करती थीं. एक मशीन को बैलेटिंग मशीन या बैलट यूनिट और दूसरी को कंट्रोल यूनिट कहा जाता है. बैलट यूनिट वह मशीन होती है जिस पर उम्मीदवारों व पार्टी के चिन्ह सहित बटन दिए होते हैं. मतदाता इसी मशीन पर बटन दबाकर अपने उम्मीदवार को वोट देता है. कंट्रोल यूनिट में यह मतदान सुरक्षित रिकॉर्ड किए जाते हैं. यह दोनों मशीनें 5 मीटर के वायर से एक दूसरे से जुड़ी होती हैं.

क्या ईवीएम को किसी भी तरीके से हैक किया जा सकता है?

इस बार के चुनाव में वीवीपैट को भी ईवीएम मशीन में जोड़ दिया गया है. कंट्रोल यूनिट दोनों मशीनों के बीच में जुड़ा होता है. ऐसे में जब मतदाता बैलट यूनिट पर बटन दबाता है, उसके बाद वह मतदान वीवीपैट पर प्रदर्शित हो कर कंट्रोल यूनिट में कलेक्ट हो जाता है. ईवीएम मशीन को सुरक्षित बनाने के लिए इसे कई चरणों की सुरक्षा जांच से होकर गुजरना पड़ता है. ईवीएम मशीन में जो चिप लगाई जाती है वह वन टाइम प्रोग्रामिंग चिप होती है, जिस के प्रोग्राम को बदला नहीं जा सकता है. वहीं ईवीएम मशीन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी वायर या वायरलेस से कनेक्ट नहीं किया जा सकता है. इंटरनेट की मदद से भी ईवीएम मशीन को प्रभावित नहीं किया जा सकता है.

मतदाताओं ने कुछ यूं सीखा मतदान करना

डेमोंस्ट्रेशन में मतदाताओं को ईवीएम मशीन के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है. पहले उन्हें ईवीएम के बारे में बताया जाता है, उसके बाद उन्हें ईवीएम पर वोट डलवा कर वोट डालने की प्रक्रिया सिखाई जाती है. अधिकारी मतदाताओं को पहले बैलट यूनिट पर वोट करने के लिए बटन दबवाते हैं. उसके बाद वीवीपैट पर चेक करने को कहते हैं कि देखिए आपने जिस को वोट दिया था उसी को मिला है कि नहीं. इस डेमोंस्ट्रेशन के दौरान अधिकारी मतदाताओं को ईवीएम के सुरक्षित होने के बारे में जानकारी भी दे रहे हैं.

लखनऊ : जिला प्रशासन के अधिकारी विभिन्न क्षेत्रों के मतदाताओं को ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का डेमो दे रहे हैं. डेमो के जरिए वोटरों को इन मशीनों के प्रयोग के तरीके बताए जा रहे हैं. खास बात यह है कि इस बार सभी ईवीएम मशीनों के साथ विविपैट भी होगी. इसके जरिए मतदाता यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनके दिए वोट सही प्रत्याशी को गए हैं भी या नहीं.

अधिकारियों ने दिया डेमोंस्ट्रेशन

मतदान करने के 7 सेकंड बाद तक वीवीपैट पर वह चुनाव चिन्ह प्रदर्शित होगा, जिसे वोट दिया गया है. मतदाता इसे देखकर निश्चिंत हो सकते हैं, कि उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, वह उसी को मिला है. वीवीपैट पर प्रदर्शित होने के साथ ही एक पर्ची पर भी वोट दिए गए उम्मीदवार का चिन्ह प्रदर्शित होता है. इससे वोटिंग में हेरफेर की संभावनाएं नहीं रह जाती हैं. अभी तक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दो मशीनें हुआ करती थीं. एक मशीन को बैलेटिंग मशीन या बैलट यूनिट और दूसरी को कंट्रोल यूनिट कहा जाता है. बैलट यूनिट वह मशीन होती है जिस पर उम्मीदवारों व पार्टी के चिन्ह सहित बटन दिए होते हैं. मतदाता इसी मशीन पर बटन दबाकर अपने उम्मीदवार को वोट देता है. कंट्रोल यूनिट में यह मतदान सुरक्षित रिकॉर्ड किए जाते हैं. यह दोनों मशीनें 5 मीटर के वायर से एक दूसरे से जुड़ी होती हैं.

क्या ईवीएम को किसी भी तरीके से हैक किया जा सकता है?

इस बार के चुनाव में वीवीपैट को भी ईवीएम मशीन में जोड़ दिया गया है. कंट्रोल यूनिट दोनों मशीनों के बीच में जुड़ा होता है. ऐसे में जब मतदाता बैलट यूनिट पर बटन दबाता है, उसके बाद वह मतदान वीवीपैट पर प्रदर्शित हो कर कंट्रोल यूनिट में कलेक्ट हो जाता है. ईवीएम मशीन को सुरक्षित बनाने के लिए इसे कई चरणों की सुरक्षा जांच से होकर गुजरना पड़ता है. ईवीएम मशीन में जो चिप लगाई जाती है वह वन टाइम प्रोग्रामिंग चिप होती है, जिस के प्रोग्राम को बदला नहीं जा सकता है. वहीं ईवीएम मशीन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी वायर या वायरलेस से कनेक्ट नहीं किया जा सकता है. इंटरनेट की मदद से भी ईवीएम मशीन को प्रभावित नहीं किया जा सकता है.

मतदाताओं ने कुछ यूं सीखा मतदान करना

डेमोंस्ट्रेशन में मतदाताओं को ईवीएम मशीन के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है. पहले उन्हें ईवीएम के बारे में बताया जाता है, उसके बाद उन्हें ईवीएम पर वोट डलवा कर वोट डालने की प्रक्रिया सिखाई जाती है. अधिकारी मतदाताओं को पहले बैलट यूनिट पर वोट करने के लिए बटन दबवाते हैं. उसके बाद वीवीपैट पर चेक करने को कहते हैं कि देखिए आपने जिस को वोट दिया था उसी को मिला है कि नहीं. इस डेमोंस्ट्रेशन के दौरान अधिकारी मतदाताओं को ईवीएम के सुरक्षित होने के बारे में जानकारी भी दे रहे हैं.

Intro:एंकर लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव ईवीएम मशीन के प्रयोग को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी राजधानी लखनऊ के मतदाताओं को विभिन्न क्षेत्रों में ईवीएम मशीन का डेमोंसट्रेशन कर मशीन के सही प्रयोग की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। इस बार खास बात यह है कि सभी ईवीएम मशीन में मुख्य रूप से विवि पैक लगा होगा। इस वीवीपैट पर मतदाता इस बात की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट किया है क्या उसी को वोट प्राप्त हुआ है। वोट करते ही वीवीपैट पर 7 सेकंड के लिए वह चुनाव चिन्ह प्रदर्शित होगा जिस पर बटन दबाया गया होगा। ऐसे में मतदाता वीवीपैड पर चुनाव चिन्ह को देख कर निश्चिंत हो सकते हैं कि उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है उसी को मिला है। वीवीपैट पर प्रदर्शित होने के साथ एक पर्ची जिस पर वोट दिए गए उम्मीदवार का चिन्ह प्रदर्शित होता है वह भी वीवीपैट में मौजूद रहता है जिससे वोटिंग में हेरफेर की संभावनाएं नहीं रह जाती हैं। अभी तक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दो मशीनें हुआ करती थी। एक मशीन को बैलेटिंग मशीन बैलट (यूनिट) व दूसरी को कंट्रोल यूनिट कहा जाता है। बैलट यूनिट वह मशीन होती है जिस पर उम्मीदवारों व पार्टी के चिन्ह सहित बटन दिए होते हैं। मतदाता इसी मशीन पर बटन दबाकर अपने उम्मीदवार को वोट देता है। कंट्रोल यूनिट में यह मतदान सुरक्षित रिकॉर्ड किए जाते हैं। यह दोनों मशीनें 5 मीटर के वायर से एक दूसरे से कनेक्ट होती हैं। अब इस बार के चुनाव में वीवीपैट को ईवीएम मशीन में जोड़ दिया गया है। कंट्रोल यूनिट दोनों मशीनों के बीच में जुड़ा होता है ऐसे में जब मतदाता बैलट यूनिट पर बटन दबाता है उसके बाद वह मतदान वीवीपैट पर प्रदर्शित हो कर कंट्रोल यूनिट में कलेक्ट हो जाता है साथी एक पर्ची जिस पर उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह होता है वीवीपैट में रहती है।


Body:विवो ईवीएम मशीन को सुरक्षित बनाने के लिए इसे कई चरणों की सुरक्षा जांच से होकर गुजरना पड़ता है। ईवीएम मशीन में जो चिप लगाई जाती है वह वन टाइम प्रोग्रामिंग चिप होती है जिस के प्रोग्राम को बदला नहीं जा सकता है वहीं ईवीएम मशीन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह किसी भी वायर से और न ही वायरलेस तरीके से कनेक्ट किया जा सकता है। इंटरनेट की मदद से भी ईवीएम मशीन को प्रभावित नहीं किया जा सकता है। डेमोंसट्रेशन में बताई जाती है यह बातें राजधानी लखनऊ में मतदाताओं के लिए ईवीएम मशीन का डेमोंसट्रेशन कराया जा रहा है इस डेमोंसट्रेशन के तहत मतदाताओं को ईवीएम मशीन के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। पहले उन्हें ईवीएम के बारे में बताया जाता है उसके बाद उन्हें ईवीएम पर वोट डलवा कर वोट डालने की प्रक्रिया सिखाई जाती है अधिकारी मतदाताओं को पहले बैलट यूनिट पर वोट करने के लिए बटन दबाते हैं उसके बाद वीवीपैट पर चेक करने को कहते हैं कि देखिए आपने जिस को वोट दिया था उसी को मिला है कि नहीं। इस डेमोंसट्रेशन के दौरान अधिकारी मतदाताओं को ईवीएम के सुरक्षित होने के बारे में जानकारी भी दे रहे हैं। संवाददाता प्रशांत मिश्रा 9026 3925 26


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.