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मलिहाबाद की बेटियों के पंच का दम अब दुनिया देखेगी, बागों में प्रैक्टिस करके जीते हैं कई मेडल

मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियों का सपना अब देश के लिए खेलने का है. संसाधनों के अभाव में बागों में प्रैक्टिस करके कई मेडल हासिल कर चुकी बेटियों के हौसले बॉक्सिंग रिंग मिलने के बाद बुलंद हैं. अब इनका सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है.

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Published : May 26, 2023, 6:22 PM IST

मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां. देखें पूरी खबर

लखनऊ : मलिहाबाद की बेटियों के पंच का दम अब दुनिया देखेगी. इनके लिए बाॅक्सिंग रिंग तैयार है. जिसे पिछले माह समारोह के दौरान बॉक्सर बेटियों को समर्पित किया गया था. बाॅक्सर बेटियों को बॉक्सिंग रिंग का सपना पूरा करने में मददगार रहीं "हम" संस्था की संस्थापक डॉ. संगीता शर्मा. डाॅ, संगीता शर्मा ने यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) के अफसरों की मदद से बॉक्सिंग रिंग तैयार कराया. बाॅक्सिंग कोच मोहम्मद सैफ ने बताया कि अब बाॅक्सर बेटियों को नेशनल और ओलंपिक खेलने में कोई बाधा नहीं आएगी.

मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.


कोच मो. सैफ ने बताया कि डॉ. संगीता शर्मा ने आउटरीच प्रोग्राम के तहत मलिहाबाद पहुंचे थे. यहां देखा कि कुछ लड़कियां बागों में बॉक्सिंग की प्रैक्टिस कर रही हैं. इनमें से कई डिस्ट्रिक्ट खेल चुकी थीं तो कुछ स्टेट और एक नेशनल कैंप से होकर आई थीं. उन्हें आश्चर्य हुआ कि बिना संसाधन के ये बच्चियां इतना बेहतर कर रही हैं. इस दौरान लड़कियों ने बॉक्सिंग रिंग के लिए आग्रह किया. इसके बाद यूटीआई के अफसरों से बात की गई और उन्हें इलाके का निरीक्षण भी करवाया गया. इसके बाद अब बॉक्सिंग रिंग बनकर तैयार है.

मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
आत्मरक्षा के लिए शुरू की थी बॉक्सिंग : कोच मो. सैफ बताते हैं कि इलाके में छेड़खानी जैसी घटनाएं होती रहती थीं. ऐसे में लगा कि यदि बच्चियों को आत्मरक्षा के लिहाज से तैयार कर दिया जाए तो अच्छा होगा. कोशिश शुरू कर दी और देखते-देखते कई लड़कियां काफी बेहतर करने लगीं. इनकी लगन और मेहनत देख मैंने प्रतियोगिता में भेजने का फैसला लिया. अनामिका नेशनल खेलकर लौटी है. नूर इस वक्त नेशनल कैंप में है. कामना, परविंदर कौर, अस्मिता ने खेलो इंडिया ओपन में हिस्सा लिया था. इसके अलावा शिवानी, अनामिका कुमारी और बीनू रावत ने स्टेट खेला. ऐसे ही करीब 20 लड़कियां डिस्ट्रिक्ट में मौजूदगी दर्ज करा चुकी हैं. हमारे यहां निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. अब काफी सुविधाएं भी हैं.

यह भी पढ़ें : शेयर बाजार में निवेश के नाम पर उन्नाव के युवक ने 86 लाख रुपए ठगे, पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज

मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां. देखें पूरी खबर

लखनऊ : मलिहाबाद की बेटियों के पंच का दम अब दुनिया देखेगी. इनके लिए बाॅक्सिंग रिंग तैयार है. जिसे पिछले माह समारोह के दौरान बॉक्सर बेटियों को समर्पित किया गया था. बाॅक्सर बेटियों को बॉक्सिंग रिंग का सपना पूरा करने में मददगार रहीं "हम" संस्था की संस्थापक डॉ. संगीता शर्मा. डाॅ, संगीता शर्मा ने यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) के अफसरों की मदद से बॉक्सिंग रिंग तैयार कराया. बाॅक्सिंग कोच मोहम्मद सैफ ने बताया कि अब बाॅक्सर बेटियों को नेशनल और ओलंपिक खेलने में कोई बाधा नहीं आएगी.

मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.


कोच मो. सैफ ने बताया कि डॉ. संगीता शर्मा ने आउटरीच प्रोग्राम के तहत मलिहाबाद पहुंचे थे. यहां देखा कि कुछ लड़कियां बागों में बॉक्सिंग की प्रैक्टिस कर रही हैं. इनमें से कई डिस्ट्रिक्ट खेल चुकी थीं तो कुछ स्टेट और एक नेशनल कैंप से होकर आई थीं. उन्हें आश्चर्य हुआ कि बिना संसाधन के ये बच्चियां इतना बेहतर कर रही हैं. इस दौरान लड़कियों ने बॉक्सिंग रिंग के लिए आग्रह किया. इसके बाद यूटीआई के अफसरों से बात की गई और उन्हें इलाके का निरीक्षण भी करवाया गया. इसके बाद अब बॉक्सिंग रिंग बनकर तैयार है.

मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
मलिहाबाद की बाॅक्सर बेटियां.
आत्मरक्षा के लिए शुरू की थी बॉक्सिंग : कोच मो. सैफ बताते हैं कि इलाके में छेड़खानी जैसी घटनाएं होती रहती थीं. ऐसे में लगा कि यदि बच्चियों को आत्मरक्षा के लिहाज से तैयार कर दिया जाए तो अच्छा होगा. कोशिश शुरू कर दी और देखते-देखते कई लड़कियां काफी बेहतर करने लगीं. इनकी लगन और मेहनत देख मैंने प्रतियोगिता में भेजने का फैसला लिया. अनामिका नेशनल खेलकर लौटी है. नूर इस वक्त नेशनल कैंप में है. कामना, परविंदर कौर, अस्मिता ने खेलो इंडिया ओपन में हिस्सा लिया था. इसके अलावा शिवानी, अनामिका कुमारी और बीनू रावत ने स्टेट खेला. ऐसे ही करीब 20 लड़कियां डिस्ट्रिक्ट में मौजूदगी दर्ज करा चुकी हैं. हमारे यहां निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. अब काफी सुविधाएं भी हैं.

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