लखनऊ: जम्मू-कश्मीर में 1954 में अनुच्छेद 370 की शुरुआत हुई थी. करीब 65 वर्ष बीतने के बाद केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया. इसमें जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख 2 केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया. इस पर जब ईटीवी भारत ने लोगों से बात-चीत कर उनकी राय जाननी चाही तो किसी ने पिछली सरकारों को कोसा तो किसी ने इस फैसले का स्वागत किया.
टड़ियन मंदिर के महंत कहते हैं कि पहले आई सरकारों ने देश को अपना देश नहीं समझा. यह मुद्दा जवाहरलाल नेहरू के समय से चला आ रहा है. इस सरकार ने पहले ही कहा था कि अनुच्छेद 370 हटाया जाएगा और सरकार ने वह कर दिखाया. इस कार्य के लिए मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं. यह पार्टी इस देश को शांति और अमन की ओर ले जा रही है. वहीं तालकटोरा कर्बला के सैयद फैजी का कहना है कि यह बहुत अच्छा फैसला है. पहले जब अनुच्छेद 370 नहीं था तो किसी तरीके की कोई दिक्कत नहीं होती थी. इस फैसले से लोगों को काफी फायदा होगा. अनुच्छेद 370 पहले ही हट जाना चाहिए था.
यह सरकार का ऐतिहासिक फैसला है, इससे काफी सुधार होगा. इससे हिंदुस्तान को लाभ होगा, साथ ही कश्मीर में बेरोजगार युवकों को रोजगार भी मिलेगा. धारा 370 हटने से टूरिज्म भी काफी बढ़ेगा. पिछली सरकारों ने कुछ भी नहीं किया, अगर चाहती तो यह फैसला ले सकती थी.
-धर्मेंद्र सिंह, बुड्ढा साहिब गुरुद्वारा के धार्मिक सचिव
अनुच्छेद 370 हटाना केंद्र सरकार का बहुत ही ऐतिहासिक फैसला है. इसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं. धारा 370 हटने से जो कश्मीरी पंडित कश्मीर में मारे गए थे, उनकी आत्मा को शांति मिली होगी. सैनिकों और उनके परिवार वालों का आत्मविश्वास लौटा है.
-शैलेंद्र तिवारी, अध्यक्ष, बालाजी महासभा