कानपुर: चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA) के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है. करीब सात से आठ सालों तक लगातार रिसर्च करने के बाद वैज्ञानिकों ने जौ की आजाद 34 एक ऐसी वैरायटी को तैयार कर दिया, जो ऊसर भूमि को भी ऊपजाऊ भूमि में बदल देगी. सीएसए में गेहूं और जौ के अभिजनक डॉ. विजय यादव ने बताया, कि जौ आमजन के स्वास्थ्य के नजरिए से एक शानदार फसल है. सरकार चाहती है, कि देश में इसका अधिक से अधिक उत्पादन हो. इसलिए हमने जौ की आजाद 34 प्रजाति को विकसित किया है. इसमें जो ग्लाइसेमिक इंडेक्स की मात्रा है, वह भी बहुत कम है. साथ ही बीटा ग्लूकोज की मात्रा भी संतोषजनक है. जिससे यह किसानों से लेकर आमजन के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होगी.
सामान्य जमीनों पर 62 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार: अभिजनक डॉ. विजय यादव ने बताया, कि जो शोध कार्य पूरा हुआ उसमें वैज्ञानिकों को जो परिणाम मिले वह ऊसर भूमि के थे. ऊसर भूमि पर 37 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार हुई. हालांकि, सामान्य जमीनों पर इसकी पैदावार 62 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंची. इसलिए, ऐसा दावा किया जा सकता है कि, निश्चित तौर पर इस फसल से किसानों को बहुत अधिक लाभ मिलेगा.
एक से डेढ़ साल में उपलब्ध हो जाएगा बीज: किसानों को आजाद 34 के बीज कब तक मिल जाएंगे? इस सवाल के जवाब में डॉ.विजय यादव ने बताया, कि हम किसानों को अगले एक से डेढ़ साल के अंदर जौ के बीज मुहैया करा देंगे. अभी जो वैरायटी तैयार हुई है, पहले इससे बीज बनाएंगे. फिर, किसानों को हम हाइब्रिड बीज मुहैया करा देंगे.
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