लखनऊ: समूचा विश्व ही इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है. इस महामारी को खत्म करने के लिए मोदी सरकार जी जान से जुटी है. देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग सरकार का साथ दे रहे हैं. वहीं राजधानी लखनऊ में भी समाजवादी चिंतक, प्रवक्ता और सचिव दीपक मिश्र ने राष्ट्रसेवा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है. उन्होंने पीएम मोदी एक ब्लैंक चेक भेजा है और कहा है कि अब तक की मेरी सारी निजी कमाई मैं अपने देश को समर्पित कर रहा हूं.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान समाजवादी चिंतक दीपक मिश्रा ने कहा कि इसमें से सरकार को जितनी भी धनराशि की आवश्यकता है, देशहित में वह ले सकते हैं. हालांकि उन्होंने अपनी संपत्ति और बैंक एकाउंट की धनराशि को बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मैंने अपना सर्वस्व दान कर दिया है. वह एक करोड़ भी हो सकता है, एक रुपये भी हो सकता है.
कठिन समय में लोग आगे आकर करें मदद
समाजवादी चिंतक दीपक मिश्रा ने कहा कि कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था पर जो दुष्प्रभाव पड़ रहा है वह और भी भयावह है. इस समय हमारा देश 558 अरब डालर के कर्ज में है. अगर प्रति व्यक्ति खर्च का आकलन किया जाए तो यह 73,637 रुपये के करीब है. इस समय हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम देश और राष्ट्र के लिए जितना संभव त्याग हो सके वह करें. दीपक मिश्रा ने कहा कि इसकी पहल करते हुए मैंने अपने निजी अकाउंट का ब्लैंक चेक प्रधानमंत्री को भेजा है.
देश में वित्तीय अनुशासन लागू करें पीएम मोदी
समाजवादी चिंतक दीपक मिश्रा ने बताया कि मैंने भूखे लोगों के लिए 'अन्न सेना' का भी गठन किया है, जिससे जो भूखे हैं उन तक खाना पहुंचाया जा सके. यह संकट देश पर ही नहीं पूरी दुनिया पर है. इससे अकेले सरकार नहीं लड़ सकती. हम लोगों को अपने सामाजिक और अपने राजनीतिक कर्तव्यों का पालन करना होगा. दीपक मिश्रा ने कहा कि मेरा प्रधानमंत्री से एक आग्रह है कि देश में वित्तीय अनुशासन लागू करें. न सिर्फ सांसदों और विधायकों की, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों की तनख्वाह और सुविधाओं में भी अनिवार्य कटौती करें.
राष्ट्र को बचाने के लिए करें सहयोग
बातचीत के दौरान उन्होंने एक शेर सुनाते हुए कहा कि 'ये हवाओं के झकोरों कहां आग लेके निकले, मेरा राष्ट्र बच सके तो मेरी झोपड़ी जला दो'. दीपक मिश्रा ने कहा कि हम लोगों को अपने देश को बचाने के लिए जितना हो सके सहयोग करना चाहिए. हम यह पहली बार नहीं कर रहे हैं, हमारे पूर्वजों राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण आदि लोगों ने जब भी देश पर संकट छाया अपनी जमीनें भी दे दीं. गांधी जी के परम शिष्य विनोबा भावे के नेतृत्व में भूदान आंदोलन चला.
दान की राशि बताने से किया इनकार
दान की राशि पूछने के सवाल पर दीपक मिश्रा ने निजी अकाउंट में कितनी धनराशि है, यह बताने से तो इनकार किया, लेकिन यह जरूर कहा कि मैं राजनीति में बड़े पदों पर रहा हूं और पिछले 25 सालों से मेरा यही एक अकाउंट है. मैंने अपना सर्वस्व दान कर दिया है. मेरे अकाउंट में एक करोड़ भी हो सकता है और एक रुपये भी हो सकता है.