लखनऊ: पावर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों के पीएफ का पैसा डीएचएफएल में इन्वेस्ट करने के मामले में घोटाला सामने आया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के लिए संस्तुति की है. सोमवार को आर्थिक अपराध शाखा उत्तर प्रदेश पुलिस (ईओडब्ल्यू) शक्ति भवन स्थित पावर भविष्य निधि फंड ट्रस्ट के कार्यालय पहुंची है. यहां पर 11 सदस्यीय टीम पड़ताल कर रही है.
ईओडब्ल्यू पहुंची पावर कॉरपोरेशन कार्यालय
कर्मचारियों की मांग के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की संस्तुति की है. जब तक मामले में सीबीआई जांच शुरू नहीं करती, तब तक मामले की जांच EOW करेगी. कर्मचारियों के प्रदर्शन के बाद मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री के निर्देशों पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
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दो आरोपियों को किया गया गिरफ्तार
कर्मचारियों की 2631 करोड़ की कमाई डीएचएफएल में डुबाने के मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सुधांशु द्विवेदी पूर्व डायरेक्टर फाइनेंस को लखनऊ से गिरफ्तार किया था. वहीं विभाग एंप्लाइज ट्रस्ट के अधिकारी वीके गुप्ता को आगरा से गिरफ्तार किया गया था.
उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर एम्पलाइज ट्रस्ट और उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन अंशदान भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ की धनराशि को निजी संस्था में नियम के खिलाफ जमा की गई थी. इसके बाद अब यह धनराशि लगभग डूब गई है, जिससे बड़ी संख्या में कर्मचारियों का नुकसान हुआ है. इसकी शिकायत कर्मचारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से की थी. इसके बाद निजी संस्था में कर्मचारियों की धनराशि जमा करने में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है.
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कर्मचारियों की 2631 करोड़ की धनराशि डूबी
पावर सेक्टर एम्पलाइज ट्रस्ट की 2631 करोड़ की धनराशि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में लगाई गई थी. इसके बाद कंपनी घाटे में चली गई और कर्मचारियों की कमाई डूब गई. इसके बाद पावर सेक्टर के एंप्लाइज लगातार उनकी डूबी हुई रकम वापस दिलाने और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे. कर्मचारियों ने मांग की है कि पावर सेक्टर एम्पलाइज ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जाए. उसमें पूर्व की तरह कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए.