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...जब इंसान घरों में कैद को मजबूर, पशु-पक्षियों को मिला आजादी का नूर

पूरे देश में लॉकडाउन के चलते जहां एक ओर इंसान अपने घरों में कैद रहने को मजबूर है तो वहीं पशु-पक्षी बिना किसी रुकावट के आजाद जिंदगी का मजा लेने में मशगूल हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह प्रदूषण और बेवजह का शोर में कमी का होना है.

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लॉकडाउन के चलते प्रदूषण मुक्त हुआ पर्यावरण.
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Published : Apr 19, 2020, 12:40 PM IST

लखनऊः कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जहां एक ओर देशव्यापी लॉकडाउन में इंसान घरों में कैद होकर रह गए हैं तो वहीं दूसरी ओर वन्य जीव-जंतु खुद को आजाद महसूस कर रहे हैं. दरअसल प्रदूषणम में आई कमी के बाद ये परिंदे अपनी प्रकृति को दोबारा अपनाने के लिए बाहर आ रहे हैं. पर्यावरण में प्रदूषण कम होने से चिड़ियों का चहचहाना भी तेज हो गया है.

प्रदूषण मुक्त हो रहा पर्यावरण.

अब हर सुबह और शाम के वक्त घरों के आसपास पक्षियों के चहचहाने और प्रकृति के अनूठे रंग को बड़ी आसानी से सुन और देख सकते हैं और खुद को रोमांचित महसूस कर सकते हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पिछले कई दिनों से इंसान अपने घरों में हैं, जिसकी वजह से पर्यावरण में प्रदूषण की कमी आई है.

लखनऊ यूनिवर्सिटी के जंतु विज्ञान विभाग की प्रोफेसर और विशेषज्ञ डॉ. अमिता कनौजिया बताती हैं कि इस लॉकडाउन में प्रकृति के कई दरवाजे खुल गए हैं. लोग अब घरों से बाहर नहीं निकल रहे है, जिसकी वजह से कहीं न कहीं प्रदूषण कम हो रहा है और पर्यावरण के साफ होने से पक्षी भी दोबारा चहचहाने लगे हैं.

डॉ. अमिता बताती हैं कि यदि इसी तरह से पर्यावरण साफ सुथरा रहे तो प्रकृति के कुछ ऐसी रूप भी देखने को मिल सकते हैं, जो बरसों से हमें दिखाई नहीं पड़े. मसलन इस वक्त गिद्ध का ब्रीडिंग सीजन चल रहा है, यह एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ एक ही अंडा देता है और ये अंडे वहीं विकसित होंगे, जहां पर मानवी क्रियाकलाप नहीं होंगे.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: अंतरराष्ट्रीय धरोहर दिवस पर पहली बार खाली दिखीं ऐतिहासिक इमारतें

उनका कहना है कि अब तक हम कहते थे कि हम जानवर और पशु-पक्षियों की जगह पर रहने आ गए हैं, लेकिन अब जब इंसान नजर नहीं आ रहे हैं तो पशु-पक्षियों को लग रहा है कि इंसान सिकुड़ गए हैं. इसी वजह से सुबह शाम अपने घरों के बाहर और सड़कों पर तमाम ऐसे जीव-जंतु टहलते या चहचाहते हुए मिल जाएंगे, जो प्रकृति में अहम योगदान रखते हैं.

लखनऊः कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जहां एक ओर देशव्यापी लॉकडाउन में इंसान घरों में कैद होकर रह गए हैं तो वहीं दूसरी ओर वन्य जीव-जंतु खुद को आजाद महसूस कर रहे हैं. दरअसल प्रदूषणम में आई कमी के बाद ये परिंदे अपनी प्रकृति को दोबारा अपनाने के लिए बाहर आ रहे हैं. पर्यावरण में प्रदूषण कम होने से चिड़ियों का चहचहाना भी तेज हो गया है.

प्रदूषण मुक्त हो रहा पर्यावरण.

अब हर सुबह और शाम के वक्त घरों के आसपास पक्षियों के चहचहाने और प्रकृति के अनूठे रंग को बड़ी आसानी से सुन और देख सकते हैं और खुद को रोमांचित महसूस कर सकते हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पिछले कई दिनों से इंसान अपने घरों में हैं, जिसकी वजह से पर्यावरण में प्रदूषण की कमी आई है.

लखनऊ यूनिवर्सिटी के जंतु विज्ञान विभाग की प्रोफेसर और विशेषज्ञ डॉ. अमिता कनौजिया बताती हैं कि इस लॉकडाउन में प्रकृति के कई दरवाजे खुल गए हैं. लोग अब घरों से बाहर नहीं निकल रहे है, जिसकी वजह से कहीं न कहीं प्रदूषण कम हो रहा है और पर्यावरण के साफ होने से पक्षी भी दोबारा चहचहाने लगे हैं.

डॉ. अमिता बताती हैं कि यदि इसी तरह से पर्यावरण साफ सुथरा रहे तो प्रकृति के कुछ ऐसी रूप भी देखने को मिल सकते हैं, जो बरसों से हमें दिखाई नहीं पड़े. मसलन इस वक्त गिद्ध का ब्रीडिंग सीजन चल रहा है, यह एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ एक ही अंडा देता है और ये अंडे वहीं विकसित होंगे, जहां पर मानवी क्रियाकलाप नहीं होंगे.

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उनका कहना है कि अब तक हम कहते थे कि हम जानवर और पशु-पक्षियों की जगह पर रहने आ गए हैं, लेकिन अब जब इंसान नजर नहीं आ रहे हैं तो पशु-पक्षियों को लग रहा है कि इंसान सिकुड़ गए हैं. इसी वजह से सुबह शाम अपने घरों के बाहर और सड़कों पर तमाम ऐसे जीव-जंतु टहलते या चहचाहते हुए मिल जाएंगे, जो प्रकृति में अहम योगदान रखते हैं.

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