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व्यापार ठप होने पर एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों ने सरकार से लगाई गुहार - लखनऊ का समाचार

कोरोना काल में व्यापार लगभग ठप है. व्यापारियों के खर्चे अभी पहले की तरह ही हैं. बिजली का बिल, जीएसटी, कर्मचारियों का वेतन दिया जा रहा है. उद्यमियों की स्थिति भी दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है.

एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों ने सरकार से लगाई गुहार
एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों ने सरकार से लगाई गुहार
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Published : May 13, 2021, 2:29 PM IST

लखनऊः कोरोना काल में उद्यमियों की स्थिति दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है. ऐसे में एमएसएमई सेक्टर से मांग उठ रही है कि सरकार को उद्यमियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए. उद्यमी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. अगर वे कमजोर पड़ेंगे तो अन्य चीजें भी प्रभावित होंगी.

व्यापार ठप है, लेकिन खर्चे जस के तस

सरकार ने कह रखा है कि उद्योग चलते रहेंगे, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि फैक्ट्रियों से उत्पादन होने वाले माल की बिक्री कहां की जाएगी. बाजार बंद होने की वजह से डिमांड न के बराबर है. जब डिमांड नहीं होगी तो उत्पादन करके क्या होगा. ऐसे में उद्यमियों पर भारी बोझ है. कर्मचारियों को वेतन देने का, जीएसटी, बिजली बिल, किराया समेत तमाम अन्य खर्चे जो व्यापार के दौरान भरे जाने से पता नहीं चलता. बंदी के दौरान यही सब पहाड़ जैसा लगता है. सरकार को इन सब चीजों पर छूट देनी चाहिए. उद्यमी राजेश कहते हैं कि इससे भी बड़ी बात ये है कि सरकार ने जो सुविधाएं देने की घोषणा कर रखी है, सरकारी तंत्र उसे भी नहीं मुहैया करा रहा है. उसमें भी अड़चने आ रही हैं.

सरकार को आगे आना होगा

स्मॉल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चर एसोसिएशन (सीमा) के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कच्चा माल भी प्रभावित हुआ है. छोटे उद्यमी इससे काफी प्रभावित हो रहे हैं. इन सब समस्याओं के बावजूद उद्यमियों की सभी इकाईयां कोरोना की महामारी से लड़ने के प्रति प्रतिबद्ध हैं. सभी उद्यमी और उनके संगठन अपने स्तर से समाजसेवा का कार्य भी कर रहे हैं. जरूरतमंदों की मदद को आगे आए हैं. लेकिन हमारी समस्याओं का निपटारा करने वाला कोई नहीं है. सरकारी तंत्र बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहा है.

बंदी की कगार पर प्रदेश के उद्योग

बहुत सारे उद्यमी जीएसटी नहीं जमा कर पा रहे हैं. वो केवल चालान जमा कर रहे हैं. उनके ऊपर अतिरिक्त चार्ज लगाया जा रहा है. बैंकों के अपने मीटर चल रहे हैं. हमारे पास आय का कोई साधन नहीं बचा है. मुरादाबाद का इंपोर्ट बंद पड़ा है. वाराणसी का हैंडलूम सेक्टर पूरी तरह से डगमग है. लखनऊ की सारी इंडस्ट्री बंदी के कगार पर है. अगर एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों की व्यवस्था चरमराई तो प्रदेश और देश की आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी. दुखद बात तो यह है कि सरकार ने जो प्रावधान कर रखे हैं हमें वही नहीं मिल पा रहा है.

इसे भी पढ़ें- जून में प्रस्तावित UP PCS-2021 की प्रारंभिक परीक्षा स्थगित

विपक्ष के नेताओं के साथ करेंगे मंथन

सरकारी तंत्र से थक हार कर अब एसोसिएशन दलीय नेताओं के साथ चर्चा करने की तैयारी कर रहा है. शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जल्द ही सभी पार्टियों के नेताओं के साथ बैठक की जाएगी. सत्ता पक्ष के नेता रहते हैं तो ठीक है, नहीं तो हम विपक्ष के सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक करके उद्योग की समस्याओं को उठाने की गुहार लगाएंगे. ताकि राज्य के छोटे-मझोले उद्योगों को बचाया जा सके.

लखनऊः कोरोना काल में उद्यमियों की स्थिति दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है. ऐसे में एमएसएमई सेक्टर से मांग उठ रही है कि सरकार को उद्यमियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए. उद्यमी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. अगर वे कमजोर पड़ेंगे तो अन्य चीजें भी प्रभावित होंगी.

व्यापार ठप है, लेकिन खर्चे जस के तस

सरकार ने कह रखा है कि उद्योग चलते रहेंगे, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि फैक्ट्रियों से उत्पादन होने वाले माल की बिक्री कहां की जाएगी. बाजार बंद होने की वजह से डिमांड न के बराबर है. जब डिमांड नहीं होगी तो उत्पादन करके क्या होगा. ऐसे में उद्यमियों पर भारी बोझ है. कर्मचारियों को वेतन देने का, जीएसटी, बिजली बिल, किराया समेत तमाम अन्य खर्चे जो व्यापार के दौरान भरे जाने से पता नहीं चलता. बंदी के दौरान यही सब पहाड़ जैसा लगता है. सरकार को इन सब चीजों पर छूट देनी चाहिए. उद्यमी राजेश कहते हैं कि इससे भी बड़ी बात ये है कि सरकार ने जो सुविधाएं देने की घोषणा कर रखी है, सरकारी तंत्र उसे भी नहीं मुहैया करा रहा है. उसमें भी अड़चने आ रही हैं.

सरकार को आगे आना होगा

स्मॉल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चर एसोसिएशन (सीमा) के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कच्चा माल भी प्रभावित हुआ है. छोटे उद्यमी इससे काफी प्रभावित हो रहे हैं. इन सब समस्याओं के बावजूद उद्यमियों की सभी इकाईयां कोरोना की महामारी से लड़ने के प्रति प्रतिबद्ध हैं. सभी उद्यमी और उनके संगठन अपने स्तर से समाजसेवा का कार्य भी कर रहे हैं. जरूरतमंदों की मदद को आगे आए हैं. लेकिन हमारी समस्याओं का निपटारा करने वाला कोई नहीं है. सरकारी तंत्र बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहा है.

बंदी की कगार पर प्रदेश के उद्योग

बहुत सारे उद्यमी जीएसटी नहीं जमा कर पा रहे हैं. वो केवल चालान जमा कर रहे हैं. उनके ऊपर अतिरिक्त चार्ज लगाया जा रहा है. बैंकों के अपने मीटर चल रहे हैं. हमारे पास आय का कोई साधन नहीं बचा है. मुरादाबाद का इंपोर्ट बंद पड़ा है. वाराणसी का हैंडलूम सेक्टर पूरी तरह से डगमग है. लखनऊ की सारी इंडस्ट्री बंदी के कगार पर है. अगर एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों की व्यवस्था चरमराई तो प्रदेश और देश की आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी. दुखद बात तो यह है कि सरकार ने जो प्रावधान कर रखे हैं हमें वही नहीं मिल पा रहा है.

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विपक्ष के नेताओं के साथ करेंगे मंथन

सरकारी तंत्र से थक हार कर अब एसोसिएशन दलीय नेताओं के साथ चर्चा करने की तैयारी कर रहा है. शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जल्द ही सभी पार्टियों के नेताओं के साथ बैठक की जाएगी. सत्ता पक्ष के नेता रहते हैं तो ठीक है, नहीं तो हम विपक्ष के सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक करके उद्योग की समस्याओं को उठाने की गुहार लगाएंगे. ताकि राज्य के छोटे-मझोले उद्योगों को बचाया जा सके.

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