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लखनऊः इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 पर इंजीनियर्स फेडरेशन ने खड़े किए सवाल

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Published : Jun 26, 2020, 8:31 PM IST

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने गुरुवार को इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को मानसून सत्र में पारित कराने की बात कही थी. इस पर ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सवाल खड़ा किया है और जल्दबाजी नहीं करने की बात कही है.

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बिजली

लखनऊः ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की तरफ से जारी स्पष्टीकरण को अस्पष्ट और भ्रामक बताया है. फेडरेशन ने मांग की है कि बिल संसद में रखे जाने से पहले विस्तृत विचार-विमर्श के लिए ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए. इसके समक्ष सभी स्टेक होल्डरों, बिजली उपभोक्ता, कर्मचारी, इंजीनियर और राज्य सरकारों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सके. फेडरेशन ने कहा कि बिल में केंद्र शासित चंडीगढ़ और पुडुचेरी के निजीकरण का कोई उल्लेख नहीं है. फिर भी केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इनके निजीकरण के लिए आदेश जारी कर साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार मुनाफे वाले क्षेत्र निजी घरानों को सौंपना चाहती है.

जल्दबाजी करना उचित नहीं
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की तरफ से जारी बयान पर फेडरेशन ने कहा है कि 17 अप्रैल को जारी ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में यदि केंद्र सरकार कोई परिवर्तन कर रही है, तो पहले उसे सार्वजानिक किया जाना चाहिए. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कल जारी बयान में कहा था कि बिल को संसद के मानसून सत्र में पारित कराया जाएगा. ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर मांग की है कि कोविड-19 संक्रमण के दौर में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल को जल्दबाजी में संसद के मानसून सत्र में पारित कराना किसी भी तरह से उचित नहीं होगा.

स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग
पूर्व की तरह पहले बिल को संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी नियुक्त करने का काम किया गया है. किसानों और गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल में मिलने वाली सब्सिडी समाप्त की गई है. निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीद कर वितरण कंपनियों की तरफ से एलसी खोलकर अग्रिम भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी कान्ट्रैक्ट इन्फोर्स्मेंट अथॉरिटी को अधिकार सौंपने के बारे में कहा है.

सरकारी कंपनियों को होगा घाटा
उन्होंने कहा कि निजी बिजली उत्पादन कंपनियों का अग्रिम भुगतान सुनिश्चित न होने पर केंद्रीय लोड डिस्पैच केंद्र को प्रदेश की बिजली आपूर्ति रोकने का अधिकार और पालन न करने पर भारी पेनाल्टी लगाना जैसे मामलों पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के बयान में 17 अप्रैल को जारी ड्राफ्ट बिल से अलग कुछ भी नहीं कहा गया है. वितरण कंपनियों का खरबों रुपये का नेटवर्क पैसा कमाने के लिए वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी को मुफ्त में दे दिया जाएगा. सवाल है कि इससे कौन सुधार होने जा रहा है? निजी कम्पनियां सिर्फ मुनाफे वाले क्षेत्र में कार्य करने आएंगी, जिससे सरकारी वितरण कंपनियों का घाटा और बढ़ेगा.

सभी मुख्यमंत्रियों से आवाज उठाने की मांग
उन्होंने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के बयान बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के लिए निराशाजनक है. ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर मांग की है कि वे संसद के आगामी मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को पारित करने की एकतरफा कोशिश को रोकने की पहल करें.

लखनऊः ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की तरफ से जारी स्पष्टीकरण को अस्पष्ट और भ्रामक बताया है. फेडरेशन ने मांग की है कि बिल संसद में रखे जाने से पहले विस्तृत विचार-विमर्श के लिए ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए. इसके समक्ष सभी स्टेक होल्डरों, बिजली उपभोक्ता, कर्मचारी, इंजीनियर और राज्य सरकारों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सके. फेडरेशन ने कहा कि बिल में केंद्र शासित चंडीगढ़ और पुडुचेरी के निजीकरण का कोई उल्लेख नहीं है. फिर भी केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने इनके निजीकरण के लिए आदेश जारी कर साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार मुनाफे वाले क्षेत्र निजी घरानों को सौंपना चाहती है.

जल्दबाजी करना उचित नहीं
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की तरफ से जारी बयान पर फेडरेशन ने कहा है कि 17 अप्रैल को जारी ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में यदि केंद्र सरकार कोई परिवर्तन कर रही है, तो पहले उसे सार्वजानिक किया जाना चाहिए. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कल जारी बयान में कहा था कि बिल को संसद के मानसून सत्र में पारित कराया जाएगा. ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर मांग की है कि कोविड-19 संक्रमण के दौर में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल को जल्दबाजी में संसद के मानसून सत्र में पारित कराना किसी भी तरह से उचित नहीं होगा.

स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग
पूर्व की तरह पहले बिल को संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी नियुक्त करने का काम किया गया है. किसानों और गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल में मिलने वाली सब्सिडी समाप्त की गई है. निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीद कर वितरण कंपनियों की तरफ से एलसी खोलकर अग्रिम भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी कान्ट्रैक्ट इन्फोर्स्मेंट अथॉरिटी को अधिकार सौंपने के बारे में कहा है.

सरकारी कंपनियों को होगा घाटा
उन्होंने कहा कि निजी बिजली उत्पादन कंपनियों का अग्रिम भुगतान सुनिश्चित न होने पर केंद्रीय लोड डिस्पैच केंद्र को प्रदेश की बिजली आपूर्ति रोकने का अधिकार और पालन न करने पर भारी पेनाल्टी लगाना जैसे मामलों पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के बयान में 17 अप्रैल को जारी ड्राफ्ट बिल से अलग कुछ भी नहीं कहा गया है. वितरण कंपनियों का खरबों रुपये का नेटवर्क पैसा कमाने के लिए वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी को मुफ्त में दे दिया जाएगा. सवाल है कि इससे कौन सुधार होने जा रहा है? निजी कम्पनियां सिर्फ मुनाफे वाले क्षेत्र में कार्य करने आएंगी, जिससे सरकारी वितरण कंपनियों का घाटा और बढ़ेगा.

सभी मुख्यमंत्रियों से आवाज उठाने की मांग
उन्होंने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के बयान बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के लिए निराशाजनक है. ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर मांग की है कि वे संसद के आगामी मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को पारित करने की एकतरफा कोशिश को रोकने की पहल करें.

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