लखनऊ : बिजली विभाग में पैसे के दम पर हर काम संभव है. चाहे लाखों का बिल हजारों में करवाना हो, स्टोर रीडिंग को बिल्कुल खत्म कराना हो, सही मीटर को डिफेक्ट दर्शाना हो या फिर चोरी की बिजली से घर को रोशन करना हो, कोई भी काम असंभव नहीं है. घूस देने के बाद उपभोक्ता के लिए अधिकारी सब कुछ कर सकते हैं. ऐसा ही एक मामला लखनऊ के चौक खंड में सामने आया था, जिस पर उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश पर जांच कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की जांच में चौक खंड के सभी अभियंता फंस गए हैं. जांच में खुलासा हो गया है कि मीटर की स्टोर रीडिंग को बिना एमआरआई कराए ही जूनियर मीटर टेस्टर (जेएमटी) की रिपोर्ट लगवा कर खत्म कर दिया गया. इस खेल में चौक क्षेत्र खंड के सहायक अभियंता मीटर भी फंस गए हैं.
दो संविदाकर्मी, तीन ठेकेदार भी जांच के दायरे में
बिजली विभाग के सूत्रों की मानें तो इन अभियंताओं के साथ-साथ चौक खंड के नादान महल रोड और मेडिकल कॉलेज उपकेंद्र के दो संविदा कर्मचारी और तीन ठेकेदार भी जांच के दायरे में आ गए हैं. इन सभी ने उपभोक्ताओं से पैसे लेकर बिजली बिल को कम कराने का खेल किया था. इन सभी के खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराए जाने की तैयारी है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सूर्यपाल गंगवार को जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है. स्पेशल कमेटी गठित कर चौक खंड में ऑडिट भी कराने की तैयारी है.
दलालों के घर पहुंचेगी एसटीएफ
पावर कारपोरेशन के अधिकारी के मुताबिक, चौक खंड में पिछले एक साल में जितने बिजली के बिल संशोधित किए गए हैं, उन्हें सूचीबद्ध किया जा रहा है. जिन उपभोक्ताओं ने दलालों से मिलकर बिजली बिलों से धनराशि कम कराई है, उनके घर तक एसटीएफ दस्तक देगी.