लखनऊः बिजली निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की तरफ से ऑपरेशन क्लीन अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में तमाम इंजीनियरों की कलई खुल रही है. हाल ही में नोएडा के अनेकों विद्युत वितरण खंडों में इंजीनियरों द्वारा अस्थाई कनेक्शनों के मामलों में बिल्डरों के साथ सांठगांठ का मामला सामने आया था. मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने सख्ती दिखाई है.
उपभोक्ता परिषद ने अपने प्रस्ताव में यह मुद्दा उठाया कि बिजली निगमों में बड़े बिल्डरों को नया कनेक्शन देने या अस्थाई कनेक्शन देने में पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर अनियमितता का अंदेशा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को इस प्रकार के भ्रष्टाचार की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करने पर विचार करना चाहिए. वर्तमान में बिजली निगमों का घाटा लगभग 95000 करोड के आसपास है. लगातार बढ़ते घाटे का एक मुख्य कारण भ्रष्टाचार भी है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जनहित में उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान चाहे नोएडा में अस्थाई कनेक्शन का रहा हो या बिल्डरों को कनेक्शन देने में की गई अनियमितता का या फिर आए दिन बिजली निगमों में भ्रष्टाचार के खुलासे का. इनपर नजर डालें तो कुछ अभियंता अपने निजी स्वार्थ में बिजली निगमों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली दर में बढ़ोत्तरी के रूप में भुगतना पड़ेगा.
उपभोक्ता परिषद की एक याचिका पर पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में जो जवाब दाखिल किया है, उसमें यह सामने आया है कि नोएडा के अस्थाई कनेक्शनों के मामले में बडे पैमाने पर अनियमितता बरती गई है. भारी राजस्व नुकसान हुआ है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से कहा कि भ्रष्टाचार के अनेकों मामलों में सरकार के स्तर पर अविलंब निर्णय लिया जाना भी बहुत जरूरी होता है. भ्रष्टाचार के मामले में त्वरित कार्रवाई किया जाना जनहित में होता है. नोएडा के अनेकों मामलों में जिस प्रकार से भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ उस पर अभी तक कोई निर्णायक कार्रवाई सरकारी स्तर पर नहीं की गई. ये अपने आप में बड़ा सवाल है.
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