लखनऊ: राजधानी के राजाजीपुरम इलाके में स्थित रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में समस्याओं का अंबार है. चिकित्सालय के बाहर अतिक्रमण का कब्जा है वहीं अंदर खड़े जंग लगे स्ट्रेचर पर मरीजों को लेटाया जा रहा है. वहीं चिकित्सालय में अब स्टाफ की भी काफी कमी हो गई है. जबकि, चिकित्सालय में रोजाना सैकड़ों मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. कोरोना जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद मरीजों के साथ लापरवाही बरती जा रही है. चिकित्सालय आने वाले मरीजों का न ही टेंपरेचर चेक किया जाता है और न ही सैनिटाइज कराया जाता है.
कल्याण सिंह ने किया था शुभारंभ
लगभग दो लाख की आबादी के बीच राजाजीपुरम के एफ ब्लॉक में रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल का 4 मई 1999 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने 110 बेडों के साथ शुभारंभ किया था. अस्पताल में एलोपैथिक के साथ-साथ आयुष का होम्योपैथिक इलाज की भी सुविधा है.
चिकित्सालय में यह सुविधाएं
चिकित्सालय में डॉट्स, सर्जरी, मेडिसिन, आर्थो, बाल रोग, महिला, दंत व नेत्र विभाग के साथ साथ सभी प्रकार की जांच व इलाज की सुविधा है. चिकित्सालय में राजाजीपुरम, आलमबाग, पारा, आलमनगर, खाला बाजार, सहादतगंज, कैंपबेल रोड समेत ग्रामीण इलाकों से लाखों मरीज अस्पताल में पहुंचते हैं. मौजूदा समय में एनएचएम से नियुक्त हुए करीब 4 डॉक्टर, 3 वार्ड बॉय व कई नर्स के पद रिक्त हैं.
प्रयास रहेगा कि न हो अतिक्रमण
चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एके आर्या बताते हैं कि अस्पताल के बाहर किसी भी तरीके का स्थाई अतिक्रमण नहीं है. ठेले खोमचे वाले अस्थाई अतिक्रमण किए हुए हैं. अस्पताल के गार्ड लगातार उन पर निगरानी करते हैं. हमारा पूरा प्रयास रहता है कि अतिक्रमण न होने पाए. मरीजों को बेहतर से बेहतर सुविधा दे सकें. नगर निगम को कई बार शिकायत की गई है. अतिक्रमण हट भी जाता है. अगले दिन फिर ठेले खोमचे वाले आकर खड़े हो जाते हैं.