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आईआईटी कानपुर के खास स्प्रे से फैटी लिवर वाले मरीज 6 माह में होंगे ठीक, चूहों पर शोध रहा सफल - IIT KANPUR RESEARCH

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने लगाई मुहर, जल्द होंगे क्लिनिकल ट्रायल. स्प्रे में एडहेसिव पॉलीमर, हेलोरोनिक एसिड व एग्जोजोम्स का मिश्रण है.

आईआईटी कानपुर.
आईआईटी कानपुर. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 25, 2025, 3:38 PM IST

कानपुर: जिस तरह देश और दुनिया में हार्ट से जुड़े मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. ठीक वैसे ही अनियमित जीवनशैली, तैलीय और मसालेदार खानों की अधिकता के चलते लोगों का लिवर भी दगा दे रहा है. एल्कोहॉलिक के अलावा नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के मामले भी बहुत तेजी से आ रहे हैं. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर ने अपनी टीम संग इस मामले पर शोध किया तो सामने आया देश में प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति फैटी लीवर की चपेट में है.

अभी तक चिकित्सक फैटी लिवर की कोई दवा न देकर मरीजों को डाइट पर नियंत्रण और एक्सरसाइज बताते हैं. हालांकि लगातार चार सालों तक शोध करते हुए आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. आशीष कौल व उनकी टीम ने फैटी लिवर के लिए एक ऐसा स्प्रे तैयार किया है, जिससे मरीज छह से आठ माह में पूरी तरह ठीक हो जाएंगे.

आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल. (Video Credit : ETV Bharat)



रैट मॉडल पूरी तरह रहा सफल, आईसीएमआर ने किया प्रमाणित: आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर (बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग) आशीष कौल ने बताया कि इस शोध कार्य के लिए सबसे पहले हमने चूहे लिए. इनका वजन खरगोश के बराबर कर इन्हें मोटा किया गया और इनके लिवर में फाइब्रोसिस इकट्ठा किया गया. फैटी लिवर के केस में फाइब्रोसिस ही सबसे अधिक मात्रा में जम जाता है, जिससे लिवर काम करना बंद कर देता है. इसके बाद चूहों को एक्सरसाइज कराई गई और स्प्रे दिया गया. चूहे तीन माह में पूरी तरह से सही हो गए. इस शोध को एक प्रतिष्ठित जर्नल में भी प्रकाशित किया गया और इसका पेटेंट भी फाइल हो गया है.

प्रो. आशीष ने बताया कि हमने स्प्रे तैयार करने के लिए एडहेसिव पॉलीमर लिया. साथ ही इसमें हेलरोनिक एसिड व एग्जोजोम्स (रासायनिक पदार्थ) मिलाए गए. फिर हमने लैप्रोस्कोपिक तकनीक से चूहों में इस स्प्रे को पहुंचाया. इससे चूहों को पूरी तरह से आराम मिल गया. अब आईसीएमआर ने जो क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति हमें दी है, उसके तहत हम और हमारी टीम के सदस्य महाराष्ट्र के वर्धा हॉस्पिटल में क्लिनिकल ट्रायल करेंगे. इस काम में दत्रा मैगे इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की टीम भी साथ रहेगी. जल्द ही यह स्प्रे बाजार में आमजन के लिए मुहैया हो सकेगा.


यह भी पढ़ें : IIT कानपुर की Research: तैयार होगी ऐसी दवा जो घटाएगी कोलेस्ट्रॉल, कोई साइड इफेक्ट भी नहीं

यह भी पढ़ें : ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज के लिए आईआईटी कानपुर ने तैयार किया खास केमिकल, चूहों पर परीक्षण सफल - आईआईटी कानपुर

कानपुर: जिस तरह देश और दुनिया में हार्ट से जुड़े मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. ठीक वैसे ही अनियमित जीवनशैली, तैलीय और मसालेदार खानों की अधिकता के चलते लोगों का लिवर भी दगा दे रहा है. एल्कोहॉलिक के अलावा नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के मामले भी बहुत तेजी से आ रहे हैं. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर ने अपनी टीम संग इस मामले पर शोध किया तो सामने आया देश में प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति फैटी लीवर की चपेट में है.

अभी तक चिकित्सक फैटी लिवर की कोई दवा न देकर मरीजों को डाइट पर नियंत्रण और एक्सरसाइज बताते हैं. हालांकि लगातार चार सालों तक शोध करते हुए आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. आशीष कौल व उनकी टीम ने फैटी लिवर के लिए एक ऐसा स्प्रे तैयार किया है, जिससे मरीज छह से आठ माह में पूरी तरह ठीक हो जाएंगे.

आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर आशीष कौल. (Video Credit : ETV Bharat)



रैट मॉडल पूरी तरह रहा सफल, आईसीएमआर ने किया प्रमाणित: आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर (बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग) आशीष कौल ने बताया कि इस शोध कार्य के लिए सबसे पहले हमने चूहे लिए. इनका वजन खरगोश के बराबर कर इन्हें मोटा किया गया और इनके लिवर में फाइब्रोसिस इकट्ठा किया गया. फैटी लिवर के केस में फाइब्रोसिस ही सबसे अधिक मात्रा में जम जाता है, जिससे लिवर काम करना बंद कर देता है. इसके बाद चूहों को एक्सरसाइज कराई गई और स्प्रे दिया गया. चूहे तीन माह में पूरी तरह से सही हो गए. इस शोध को एक प्रतिष्ठित जर्नल में भी प्रकाशित किया गया और इसका पेटेंट भी फाइल हो गया है.

प्रो. आशीष ने बताया कि हमने स्प्रे तैयार करने के लिए एडहेसिव पॉलीमर लिया. साथ ही इसमें हेलरोनिक एसिड व एग्जोजोम्स (रासायनिक पदार्थ) मिलाए गए. फिर हमने लैप्रोस्कोपिक तकनीक से चूहों में इस स्प्रे को पहुंचाया. इससे चूहों को पूरी तरह से आराम मिल गया. अब आईसीएमआर ने जो क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति हमें दी है, उसके तहत हम और हमारी टीम के सदस्य महाराष्ट्र के वर्धा हॉस्पिटल में क्लिनिकल ट्रायल करेंगे. इस काम में दत्रा मैगे इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की टीम भी साथ रहेगी. जल्द ही यह स्प्रे बाजार में आमजन के लिए मुहैया हो सकेगा.


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